बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ में अरबों रूपये के नान घोटाले को लेकर हाईकोर्ट के फैसलों पर राज्य से लेकर केंद्र तक कड़ी निगाहें , छत्तीसगढ़ सरकार के कर्ता-धर्ता अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला की स्थाई अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित , न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल के फैसले का इंतजार ,  घोटाले को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट ने एक साल छह माह के भीतर मामले की सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए तो निचली अदालतों में अब तक मामला लंबित क्यों ? माथापच्ची में जुटे कानून के जानकार  

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रायपुर/बिलासपुर – छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े और चर्चित नान घोटाले की अदालती कार्रवाई को लेकर अब छत्तीसगढ़ से लेकर केंद्र तक की निगाहें मामले को बड़ी बारीकी से परख रही है | खासतौर पर इस मामले में ED की निगाहें भी लगी हुई है | ताजा जानकारी के मुताबिक बिलासपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई में कई क़ानूनी दांवपेच देखे जा रहे है | घोटाले में आरोपी बनाये गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की स्थाई अग्रिम जमानत की सुनवाई अदालत ने पूरी कर ली है | जानकारी के मुताबिक न्यायधीश अरविन्द सिंह चंदेल ने इस मामले में फ़िलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है | जानकारी के मुताबिक आरोपी अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला को हाईकोर्ट ने पहले ही राहत देते हुए उनकी अंतरिम अग्रिम जमानत स्वीकृत की थी | 14 जुलाई को स्थाई अग्रिम जमानत की सुनवाई पूरी हो चुकी है | माननीय अदालत के फैसले पर सबकी निगाहे है | 

बताया जाता है कि दोनों ही आरोपियों ने स्थाई अग्रिम जमानत के लिए अदालत में गुहार लगाई थी | इसके बाद अदालत ने दोनों ही मामलों की एक साथ साझा सुनवाई की | फ़िलहाल अदालत के फैसले का इंतजार है | उधर कानून के जानकार इस तथ्य और मामले को लेकर माथापच्ची कर रहे है कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक साल के भीतर नाना घोटाले की कार्रवाई पूरी करने के निर्देश निचली अदालत को दिए थे | इसके बाद दोबारा आदेश पारित कर छह माह की अवधि और बढ़ाई | इस तरह से मामला एक साल छह माह के भीतर निपटाने के निर्देश के बावजूद आखिर क्यों अब तक लंबित रहा | इसे लेकर माथापच्ची हो रही है | 

कानून के जानकार इस घोटाले के तमाम अदालती दस्तावेजों को भी खंगाल रहे है | उनके मुताबिक आरोपीगण आखिर कैसे क़ानूनी दांवपेचों के आधार पर मामले को लंबा खींच रहे है , इस तथ्य की ओर दस्तावेजी प्रमाणों का वे बारीकी से अध्ययन कर रहे है | बताया जाता है कि नान घोटाले को लेकर लंबे समय तक जेल की हवा खा चुके शिव शंकर भट्ट की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया था कि इस मामले का निपटारा एक निश्चित समय सीमा अर्थात एक साल के भीतर किया जाए | इसके बाद मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने छह माह की अवधि और बढ़ाई |  बावजूद इसके निचली अदालतों में इस मामले का लंबे समय तक लंबित रहना कानून के जानकारों की आंखों में खटक रहा है | लिहाजा वो इस घोटाले की क़ानूनी कार्रवाई पर पैनी निगाहें रखे हुए है | 

 नान घोटाले को लेकर तत्कालीन दौर में जेल की हवा खा रहे आरोपी शिव शंकर भट्ट ने अपनी जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी | इस मामले में उनकी जामनत स्वीकृत करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण को लेकर निचली अदालत के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किये थे | फ़िलहाल इस मामले को लेकर भी हाईकोर्ट के रुख पर कानून के जानकारों की निगाहें लगी हुई है | उधर अरबों के वारे-न्यारे और घोटाले को लेकर रायपुर की जिला अदालत में भी मूल प्रकरण की सुनवाई पर कई कारणों से ब्रेक की स्थिति देखि जा रही है | इस मामले में स्थानीय अदालत के एक लंबित ऑर्डर की चर्चा जोरों पर है | यह भी कहा जा रहा है कि कई महीनों से लंबित इस प्रकरण की सुनवाई कब पूरी होगी ? कब फैसला आएगा ? इसे लेकर भी चर्चा छिड़ी हुई है |

कानून के जानकारों की दलील है कि लॉकडाउन और अन्य विचाराधीन मामलों को लेकर अदालत पर लगातार बोझ बढ़ता जा रहा है | इस दौरान कई न्यायाधीशों के स्थानांतरण की भी संभावना है | खबर यह भी है कि इस प्रकरण की सुनवाई कर रही जज का भी यदि स्थानांतरण हुआ तो मामला और आगे खींच सकता है | फ़िलहाल तो जनता सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नान घोटाले की जल्द सुनवाई और जल्द फैसले के इंतजार में है | छत्तीसगढ़ सरकार का स्लोगन “अब होगा न्याय” कब चरितार्थ होगा , चर्चा में है |