बड़ी खबर : देश में “ब्लैकमनी का हब” बना छत्तीसगढ़ , रोजाना 50 करोड़ से अधिक की काली कमाई “सौदागर” की तिजोरी में , रोजाना आमदनी के मामले में अडानी-अंबानी को भी पछाड़ा कबीले के “सरदार” ने , शराब, खनिज , कल  कारखानों और MOU से ब्लैक मनी की बंपर पैदावार  

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रायपुर / देश में छत्तीसगढ़ ने एक नया आयाम गढ़ा है | हालांकि यह ताज्जुब करने वाली बात नहीं है , क्योंकि कबीले के “सरदार” ने पहले ही “गढ़बो नया छत्तीसगढ़” के नारे का एलान कर रखा है | एक जानकारी के मुताबिक “सरदार” की तिजोरी में रोजाना 50 करोड़ से ज्यादा की रकम इक्क्ठा हो रही है | बताया जा रहा है कि भारी-भरकम रकम का एक बड़ा हिस्सा देश दुनिया के मिडिल ईस्ट तक के इलाकों में निवेश हो रहा है | रकम का कुछ भाग एक राजनैतिक दल और उसके नंबरदारों के हाथों में भी जाना बताया जा रहा है | ब्लैक मनी की बंदरबांट में सौदागर के कर्णधार भी पीछे नहीं है ,कुछ चुनिंदा कर्णधारों के दोनों हाथ घी में और सिर कढ़ाई में बताया जा रहा है | छत्तीसगढ़ राज्य उद्योग धंधों और खनिज के दोहन के मामले में देश में अग्रणी माना जाता है | लेकिन अब इसकी गिनती ब्लैक मनी के हब के रूप में भी होने लगी है | भले ही आप यह सुनकर हैरत में पड़ जाए , कि बगैर खून खराबा किए कबीले का सरदार कैसे रोजाना करोड़ों की रकम अपनी तिजोरी में भर रहा है , तो समझ लीजिए सरदार का हुनर | ब्लैक मनी के कारोबार पर चार चांद लगाने के लिए सरदार ने किन किन क्षेत्रों में अपने कर्णधारों को बागडोर सौंपी है |  

छत्तीसगढ़ में रोजाना 25 करोड़ रूपये से ज्यादा की अवैध शराब की बिक्री का दावा किया जा रहा है | राज्य के दर्जनों जिलों में आय दिन प्रदेश के बाहर से तस्करी कर लाई जा रही शराब की खपत हो रही है | हाल ये है कि पुलिस को इसकी धर पकड़ के लिए सिर्फ खानापूर्ति पर जोर दिया जा रहा है | कुछ एक जिलों में तस्करी कर लाई जा रही शराब की खेप की खेप पुलिस ने अपने कब्जे में की है | लेकिन असल सौदागर तक पुलिस के हाथ नहीं पहुँच पाए है | यही हाल सरकारी शराब दुकानों का है | रायपुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित एक सरकारी शराब दुकान में राज्य से बाहर की बियर की खेप पकड़ी गई थी | लेकिन अधिकारियों ने मामले की तह में जाने के बजाय यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि “मिस हेंडलिंग” की वजह से बाहरी राज्यों के शराब सरकारी दुकान में पाई गई | जानकारी के मुताबिक राज्य की ज्यादातर सरकारी शराब दुकानों में सरकारी और गैर सरकारी दो भागों में शराब की बिक्री हो रही है | यहां शराब की खपत और आमदनी के दो रजिस्टर मैंटेन किए जाने की चर्चा आम है |ब्लैकमनी के इक्क्ठा होने की जानकारी के कारण ही कई सेल्समेन शराब दुकानों से नगदी लेकर भाग खड़े हो रहे है | 

यह भी बताया जा रहा है कि कुछ खास ब्रांड की शराब बेचने पर ही अफसर जोर देते है , उसकी खपत के लिए आबकारी विभाग ने कोटा भी तय कर दिया है | हाल ही के महीनों में छत्तीसगढ़ में शराब की खपत के मामले में दिन दुनि रात चौगुनी प्रगति हुई है | यह प्रदेश अब शराबखोरी के मामले में पहले पायदान पर है | बीते 8 माह में 24 अरब से ज्यादा की शराब की बिक्री हुई | यह आंकड़ा अधिकृत रजिस्टर में दर्ज की गई रकम का बताया जाता है | यह रकम सरकार की तिजोरी में जाती है | लेकिन गैर सरकारी रजिस्टर में भी इस अवधि में अरबों की एंट्री है | बताया जाता है कि यह रकम रायपुर में एक होटल-बिल्डर कारोबारी के हाथों से सरदार की तिजोरी तक पहुंचती है | यह कारोबारी कबीले का कर्णधार नंबर – वन बताया जाता है | 

गब्बर सिंह टेक्स का दायरा वर्ष 2020 की तुलना में अब काफी व्यापक बताया जा रहा है | इसकी वजह कई बड़ी कंपनियों को कोयले पर 25 रूपये प्रति टन की दर से लेव्ही देने के लिए राजी कर लिया जाना बताया जा रहा है | जानकारी के मुताबिक कोरबा , रायगढ़ , अंबिकापुर , जांजगीर , बिलासपुर , सूरजपुर और कोरिया जिले से रोजाना 5 करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली हो रही है | कोयले का कारोबार करने वाले व्यापारी हो या फिर उद्योगपति , प्रत्येक पर गब्बर सिंह टेक्स थोप दिया गया है | इससे होने वाली अवैध वसूली की कमान कबीले के कर्णधार नबर – दो के हाथों में है |

सीमेंट पर भी गब्बर सिंह टेक्स लगा दिए जाने की खबर है | बताया जाता है कि राज्य के सीमेंट उत्पादक कल कारखानों से 15 रूपये प्रति बैग गब्बर सिंह टेक्स वसूला जा रहा है | इसके चलते सीमेंट कंपनियों ने अपने उत्पादों के बाजार भाव में 20 रूपये से ज्यादा की प्रति बैग बढ़ोत्तरी कर दी है | यही हाल आयरन ओर इंडस्ट्री का है | छत्तीसगढ़ में लोहे की कीमते आसमान छू रही है | सरिया की बढ़ी कीमतों के चलते उन लोगों का बुरा हाल है , जो अपने घरों का निर्माण कर रहे थे | स्टील इंडस्ट्री ने लोहे की कीमतों में अचानक इतनी वृद्धि कर दी है कि सरकारी निर्माण कार्य भी ठप्प पड़ रहे है |

हाल ये है कि ठेकेदारों के संगठनों ने लोहे के दाम में कमी लाने और उसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को ज्ञापन सौंपा है। बताया जा रहा है कि विभिन्न ब्रांड का 34 से 36 हजार रूपये टन बिकने वाला सरिया चंद माह में 55 हजार रूपये टन तक जा पहुंचा है | स्टील इंडस्ट्री से जुड़े उद्योगपति बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे है | उनके मुताबिक कोयला और आयरन ओर पर गब्बर सिंह टेक्स लग जाने से कीमते तो बढ़ेगी ही | उनके मुताबिक औद्योगिक प्रयोजन के लिए होने वाले MOU एक हाथ दो , दूसरे हाथ लो की तर्ज पर हो रहे है |  

रेत से भी तेल निकालने में माहिर है “सरदार” | काली कमाई के सरताज का कामकाज का तरीका भी काफी उन्नत और सुनियोजित  बताया जा रहा है | कहा जा रहा है कि इस काम में अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ अफसरों की सहभागिता भी है | सरदार के कर्णधारों में उनका भी ओहदा उच्च कोटि का है | ब्लैक मनी का हिसाब किताब सँभालने में डिप्टी कलेक्टर रैंक से लेकर सचिव स्तर तक की सेवाओं से जुड़े कर्णधारों का नाम लिया जा रहा है | बताया जाता है कि काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा रेत खदानों और उसके आवंटन से हो रहा है | छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रेत की तस्करी हो रही है | अंबिकापुर , बलरामपुर , जशपुर और सूरजपुर इलाकों से रोजाना 500 से ज्यादा  ट्रक रेत उत्तर प्रदेश के जिलों में सप्लाई की जा रही है |

बताया जाता है कि नियमानुसार रेत का उत्खनन करने के बजाए तमाम रेत घाटों में बड़ी बड़ी मशीने लगाई गई है | जेसीबी और दूसरी खनन मशीनों से रोजाना सैकड़ों ट्रक रेत प्रतापपुर होते हुए उत्तर प्रदेश की सरहद पर स्थित जिलों में पहुँच रही है | जानकारी के मुताबिक यूपी के किसी “पुनिया” नामक ठेकेदार ने इस अवैध कारोबार की कमान संभाल रखी है | उसके तार रायपुर से भी जुड़े बताए जा रहे है | यही हाल अन्य जिलों का है | अवैध खनन और रेत के कारोबार ने “सरदार” की तिजोरी भर दी है | लोगों के मुताबिक राज्य सरकार और खनिज विभाग ने रेत का बाजार भाव तय कर रखा है | लेकिन रेत माफियाओं के हावी रहने के चलते आम लोगों को सरकारी दर पर नहीं , बल्कि सरदार द्वारा तय की गई कीमत पर रेत खरीदने को विवश होना पड़ता है |

छत्तीसगढ़ में खनिजों के अलावा उसकी खदानों में भी बड़े पैमाने पर धांधली बरती जा रही है | बताया जा रहा है कि कांकेर-भानुप्रतापपुर स्थित आरी-डोंगरी आयरन ओर खदान आवंटन के लिए ऑनलाइन निविदा के बजाए ऑफ़ लाइन टेंडर जारी किये गए | ताकि “सरदार” को ही उनके करीबियों के नाम से यह खदान आवंटित की जा सके | बताया जाता है कि इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया से सरकारी तिजोरी पर 500 करोड़ से ज्यादा की चपत लगेगी | साफ है कि ऑफ़लाइन टेडंर से “सरदार” की तिजोरी भरेगी |

रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में नामचीन इमारतों , होटलों और जमीनों की खरीदी को लेकर “सरदार” के कर्णधारो के सौदों की चर्चा भी जोरो पर है | बताया जाता है कि भिलाई-दुर्ग के कुछ मेडिकल और डेंटल कॉलेज , होटलें और बेशकीमती जमीनों के सौदे “सरदार” के कर्णधारों ने किये है | बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त के लिए कर्णधारों के नाते-रिश्तेदारों के नाम सुर्खियों में है | इसी कड़ी में बिलासपुर की जेबीएल होटल और खपरगंज में गोलबाजार स्थित कुछ विवादित इमारतें लगभग 50 करोड़ की लागत से बुधिया बंधुओं ने खरीदी है | “सरदार” के कर्णधारों में से एक प्रभावशील महिला की चल अचल संपत्ति के दस्तावेज भी लंबे अरसे से सोशल मीडिया में वायरल होते रहे है | 

छत्तीसगढ़ में ब्लैकमनी की लहलहाती फसलों से केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सकते में है | हालांकि उन्हें भी मैनेज करने का दावा किया जा रहा है | बताया जाता है कि “सरदार” के कर्णधारों में कुछ आईएएस और आईपीएस अफसर ऐसे है , जिनका दावा है कि उनकी ED , विजिलेंस और सीबीडीटी जैसे संस्थानों में गहरी पैठ है |  छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित है या नहीं , फ़िलहाल तो इस तथ्य को लेकर प्रशासनिक महकमों से लेकर राजनीति के गलियारों मे  चर्चा छिड़ी हुई है | वही गढ़बो छत्तीसगढ़ के मायने भी निकाले जा रहे है |