नई दिल्ली / देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने का अपना वादा पूरा करने के बाद केंद्र की मोदी सरकार अब एक और बड़ा काम करने जा रही है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने अब 24 घंटे तक उपभोक्ताओं को बिजली व्यवस्था देने पर काम शुरू कर दिया है | सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने और तय समय पर सेवाएं देने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इस बारे में उपभोक्ता अधिकार नियम जारी किए गए हैं। बिजली की दर तय करने के तरीके को ज्यादा पारदर्शी बनाने की भी व्यवस्था की गई है। 24 घंटे बिजली की उपलब्धता को बिजली ग्राहकों के अधिकार में शामिल किया गया है।
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इन नियमों का उल्लंघन होने पर बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इन नियमों के बारे में बिजली मंत्री आर के सिंह ने बताया कि देश की बिजली वितरण कंपनियां अब सेवा प्रदाता कंपनी हैं। बिजली ग्राहकों को दूसरे सेवा क्षेत्रों की तरह ही सारे अधिकार मिलेंगे। इन नियमों के जरिये हम आम जनता का सशक्तीकरण कर रहे हैं। केंद्र सरकार का अगला कदम इन नियमों के बारे में पूरे देश में प्रचार करना होगा। अगर डिस्काम जान-बूझकर इन नियमों का उल्लंघन करेगी, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह नियम 30 करोड़ बिजली ग्राहकों को फायदा पहुंचाएगा।
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बिजली मंत्रालय के ये नियम ग्राहकों के अधिकार से जुड़े है। वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि ये नियम विद्युत उपभोक्कताओं को सशक्त बनाएंगे।उन्होंने कहा, ये नियम इस भरोसे पर आधारित है कि बिजली व्यवस्था उपभोक्ताओं की सेवा के लिए है और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त करने का अधिकार है। पूरे देश में वितरण कंपनियां चाहे सरकारी हो या फिर निजी, का एकाधिकार है जबकि दूसरी तरफ ग्राहकों के पास कोई विकल्प नहीं है। इसीलिए यह जरूरी है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों को उल्लेखित करने वाले नियम एवं व्यवस्था स्थापित हो ताकि उसे प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।नियमों के तहत प्रत्येक वितरण इकाइयों का यह कर्तव्य है कि वे विद्युत कानून के प्रावधानों के अनुरूप किसी मकान के मालिक या वहां रहने वालों के आग्रह पर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करें।
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इसमें कहा गया है कि विद्युत आपूर्ति के संदर्भ में ग्राहकों के पास वितरण कंपनियों से न्यूनतम मानक सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार है। नियम में पारदर्शी, सुगम और समयबद्ध तरीके से नये कनेक्शन जारी करने और मौजूदा कनेक्शन में सुधार का प्रावधान किया गया है। नियम के अनुसार, विद्युत कनेक्शन के लिये आवेदनकर्ताओं के पास ऑनलाइन आवेदन का विकल्प है। वितरण कंपनियों को बिजली कनेक्शन या उसमें सुधार का काम महानगरों में अधिकतम सात दिनों में, अन्य नगर पालिका वाले क्षेत्रों में 15 दिनों में और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिनों में करने होंगे।
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नियमों के अनुसार कोई भी कनेक्शन बिना मीटर के नहीं दिया जाएगा और मीटर स्मार्ट या पूर्व भुगतान मीटर होगा। मीटर के परीक्षण के साथ खराब, जले हुए या चोरी हुए मीटरों के बदलने का भी प्रावधान है। इसमें उपभोक्ता शुल्क और बिलों के मामले में पारदर्शिता की भी बात कही गयी है। नियमों के अंतर्गत ग्राहकों के पास ऑनलाइन या ऑफलाइन बिल भुगतान का विकल्प होगा। इसके अलावा बिलों का पहले से भुगतान का भी प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार, वितरण कंपनियां सभी ग्राहकों को 24 घंटे भरोसेमंद बिजली देंगी।
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हालांकि बिजली नियामक कृषि जैसे कुछ श्रेणी के ग्राहकों के लिये कम घंटे की बिजली की व्यवस्था तय कर सकते हैं। वितरण कंपनियों को ऐसी व्यवस्था विशेष रूप से स्वचालित प्रणाली स्थापित करनी होगी जिससे बिजली गुल होने पर नजर रखी जा सके और उसे तुरंत बहाल किया जाए। इसमें ग्राहकों की एक नई श्रेणी भी बनायी गयी है जो बिजली भी पैदा करेंगे। इन्हें ‘प्रोज्यूमर’ कहा गया है। नियम के अनुसार ये प्रोज्यूमर उपभोक्ता का दर्जा बरकरार रखेंगे और उनके पास भी वे अधिकार होंगे, जो दूसरे ग्राहकों के पास होंगे। साथ ही उनके पास छतों पर सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणाली समेत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन इकाई लगाने का अधिकार होगा। इसे वे स्वयं या सेवा प्रदाता के जरिये लगा सकते हैं।
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नियमों के अनुसार, आयोग वितरण लाइसेंस रखने वाली इकाइयों के लिये कामकाज को लेकर मानक अधिसूचित करेगा। अगर कामकाज से जुड़े मानकों का उल्लंघन होता है, तो ग्राहकों को उसके एवज में हर्जाना देना होगा।जिन सेवाओं में कमी के एवज में वितरण कंपनियों को ग्राहकों को स्वत: हर्जाना देने की जरूरत होगी, उसमें निश्चित अवधि के बाद भी बिजली की आपूति नहीं होना शामिल है। इस बारे में आयोग (नियामक) अधिसूचना जारी कर चीजों को स्पष्ट करेगा। वितरण कंपनियों के प्रदर्शन का आकलन कनेक्शन के लिये लगने वाला समय, बिजली काटने, उसे जोड़ने, मीटर को दूसरी जगह लगाने, उपभोक्ता श्रेणी में बदलाव, क्षमता बढ़ावाने में लगने वाला समय, खराब मीटर को बदलने में लगने वाला समय, समय पर बिल देना, वोल्टेज संबंधित शिकायतों के समाधान और बिल संबंधी शिकायतों के समाधान में लगने वाले समय के आधार पर की जाएगी।
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वितरण कंपनियां अगर आयोग द्वारा निर्धारित समयसीमा में सेवा नहीं देती हैं, उन्हें ग्राहकों को दंडस्वरूप हर्जाना देना होगा। नियमों में व्यवस्था की गयी है कि वितरण कंपनियां 24 घंटे सातों दिन काम करने वाले टोल फ्री केंद्रीकृत कॉल सेंटर स्थापित करेंगी। वे सभी सेवाएं साझा ग्राहक संबंध प्रबंधक (सीआरएम) प्रणाली के जरिये उपलब्ध कराएंगी। ग्राहक शिकायत निपटान मंच (सीजीआरएफ) में ग्राहक और प्रोज्यूमर प्रतिनिधि शामिल होंगे। नियमों के तहत शिकायतों के समाधान को आसान बनाया गया है। इसके तहत बहुस्तरीय व्यवस्था की गई है तथा ग्राहकों के प्रतिनिधियों की संख्या एक से बढ़ाकर चार की गई है।