बड़ा खुलासा : मुन्ना भाइयों के बचाव के लिए CGPSC मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की शरण में, इस संवैधानिक संस्था ने फेस सेविंग के लिए जनसंपर्क संचालनालय का किया रुख, प्रतियोगी परीक्षाओं की वीडियोंग्राफी ना कराए जाने से फर्जीवाड़े का अंदेशा, हैरत में अभ्यर्थी, पीएससी चयनित सभी आवेदकों और भर्ती प्रक्रिया की जांच जरुरी, CGPSC के कदमों से नजर आने लगा दाल में काला, शंका की सुई एक कोचिंग सेंटर पर

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रायपुर / छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन एक संवैधानिक निकाय है | इस निकाय की पारदर्शिता से प्रदेश में निष्पक्ष अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति होती है | यह संस्थान किसी नगरीय निकाय की तर्ज पर गठित नहीं किया गया है, बल्कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत इसका गठन हुआ है | इस संस्था पर किसी राजनैतिक दल के कब्जे की कल्पना नहीं की जा सकती | इस संवैधानिक संस्था के जरिये हमारी व्यवस्थापिका निष्पक्ष और योग्य अफसरों-कर्मचारियों की नियुक्ति करती है | हाल में सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2019 के चयन हेतु आयोजित साक्षात्कार को लेकर मचे बवाल के बीच छत्तीसगढ़ पीएससी का प्रदेश के जनसंपर्क संचालनालय की शरण में चला जाना शक के दायरे में आ गया है | दरअसल जनसंपर्क संचालनालय आमतौर पर सिर्फ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गतिविधियों से जुड़े समाचारों को तवज्जों देता है | राज्य के अन्य मंत्रियों और विभागों के क्रियाकलापों को जनता तक पहुंचाने में उसकी कोई खास दिलचस्पी नहीं होती | ऐसे में छत्तीसगढ़ पीएससी के समाचारों के प्रचार-प्रसार का अचानक बीड़ा उठाए जाने से दाल में काला नजर आने लगा है |

CGPSC पर मुन्ना भाइयों को सरकारी सेवा में नियुक्ति करने के आरोप लग रहे है | ये आरोप अभ्यर्थी लगा रहे है | वीरेंद्र कुमार पटेल नामक अभ्यर्थी ने तो बकायदा रोल नंबर सहित लिखित शिकायत कर यह तथ्य संज्ञान में लाया था कि एक अभ्यर्थी परीक्षा में अनुपस्थित था, लेकिन साक्षात्कार सूची में उसका नाम देखकर वे हैरत में पड़ गए थे | इस मामले की आनन-फानन में जांच कर CGPSC ने इस शिकायत को निराधार पाए जाने का दावा किया है | इसके साथ ही अपनी जांच रिपोर्ट में उसने यह भी साफ़ कर दिया कि इस सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2019 की वीडियोंग्राफी नहीं कराई थी |

वीडियोंग्राफी नहीं कराने से मुन्ना भाइयों की नियुक्ति को लेकर लग रहे आरोप शंका के दायरे में आ गए है | जांच रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि आखिर क्यों इस महत्वपूर्ण परीक्षा की वीडियोग्राफी नहीं कराई गई | आमतौर पर योग्य अभियर्थियों के चयन, निष्पक्ष परीक्षा और पारदर्शिता के लिए परीक्षा केंद्रों के भीतर वीडियोग्राफी कराई जाती है | देश के लगभग सभी राज्यों में स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन यह प्रक्रिया अपनाता है | लेकिन छत्तीसगढ़ पीएससी ने वीडियोंग्राफी क्यों नहीं करवाई चर्चा में है |

छत्तीसगढ़ पीएससी के पास अपना खुद का सेटअप है | यह स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है | लेकिन अपने प्रचार-प्रसार और फेस सेविंग के लिए इसका अचानक राज्य शासन के जनसंपर्क संचालनालय से नाता जोड़ लेना किसी गंभीर तथ्य की ओर संकेत कर रहा है | इसके पूर्व कभी भी ऐसा नजारा सामने नहीं आया जब CGPSC को जनसंपर्क विभाग की शरण में जाना पड़ा हो | लेकिन इस बार उसकी ओर से सरकारी प्रेसनोट जारी करते हुए जनसंपर्क संचालनालय ने सहायक प्राध्यपक परीक्षा 2019 की उस जांच रिपोर्ट को जारी किया है | यह जांच रिपोर्ट उस अभ्यथी वीरेंद्र पटेल की शिकायत पर आधारित है, जिसमे उन्होंने परीक्षा से अनुपस्थित रहे एक अभ्यर्थी का साक्षात्कार सूची में नाम दर्ज होने को लेकर आपत्ति की थी | CGPSC की यह जांच रिपोर्ट जनसंपर्क संचालनालय ने 1 फरवरी 2021 को जारी किया था | अभ्यर्थी की शिकायत और जांच रिपोर्ट इस समाचार के साथ संलग्न है |

CGPSC ने इसके बाद अपनी पीठ थपथपाने वाला ब्यौरा भी कांग्रेस सरकार के जनसंपर्क विभाग के जरिये 3 फरवरी 2021 को भी जारी करवाया | इसमें पिछले दो सालों का ब्यौरा जारी करते हुए बताया गया कि कोरोना काल के 10 माह में 15 प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कर CGPSC ने रिकार्ड बनाया है | इसी अवधि में 93 बार आयोग ने विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक की और 938 अधिकारियों की पदोन्नति की अनुसंशाए की | CGPSC का दो सालों का गुणगान करते हुए जनसंपर्क विभाग ने जिस तरह से ब्यौरा पेश किया है, वो बताता है कि सीजी पीएससी के भीतर वो कड़ी है, जिसका सीधा संबंध कांग्रेस सरकार के कर्णधारों के साथ है | दरअसल बिलासपुर के कुछ एक कोचिंग सेंटरों की CGPSC से सांठगाठ के आरोप अक्सर सुर्खियों में रहे है | इस बार भी यही दास्तान सबूतों सहित सामने आ रही है |

प्रदेश के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने भी आरोप लगाया है कि कुछ जिम्मेदार अधिकारी तत्कालीन भाजपा सरकार के शीर्ष नेताओं से मिली भगत कर राज्य लोक सेवा आयोग सहित कुछ विश्वविद्यालयों में फर्जीवाड़ा कर कांग्रेस सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही पद से हटाये जाने की कार्रवाई करनी चाहिए। विकास उपाध्याय के इन आरोपों को ख़ारिज करना गैर लाजमी नजर आ रहा है | चर्चा है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में कुछ प्रभावशील अफसरों का CGPSC से अंतरंग संबंध रहा है | इनमे से नान घोटाले में सुर्ख़ियों में रहे एक एक अफसर का तो कोचिंग सेंटर का बड़ा कारोबार है | जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार के प्रभावशील अफसरों के गिरोह में विश्वासपात्र होने के चलते इस अफसर को नान की जवाबदारी भी सौंपी गई थी |

बताया जाता है कि पूर्ववर्ती सरकार में नान घोटाला सामने आने के बाद इस अफसर ने रायपुर के बजाए बिलासपुर के कोचिंग सेंटर में अपना ठिकाना बना लिया था | वो कोचिंग सेंटर में अपनी सेवाएं देने लगे थे | लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही यह अफसर प्रभावशील पद पर काबिज हो गया | उसका नाम अब सत्ता के कर्णधारों में लिया जाने लगा है | CGPSC के तार आज भी बिलासपुर कोचिंग सेंटर से लेकर रायपुर और दिल्ली में काबिज उन अफसरों के हाथों में बताए जाते है , जिनका पुरानी सरकार से करीब का नाता रहा है |

सरकार के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय के बयानों से मुन्ना भाइयों और उनके संस्थानों में खलबली मची हुई है | विकास उपाध्याय की खरी खोटी के बाद राजनैतिक हलचल भी तेज हो गई है | सीजी पीएससी के कारनामो को लेकर कोंग्रेसी विधायकों के साथ साथ विपक्षी दलों के नेताओं के बीच माथा पच्ची का दौर जारी है | फ़िलहाल देखना यह होगा कि राज्य की भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार अपने संसदीय सचिव की मांगों को ख़ारिज करती है , या फिर उनके गंभीर और तथ्यात्मक आरोपों की जांच के लिए कोई ठोस कदम उठाती है |