
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह आदेश पॉलोमी पाविनी शुक्ला बनाम भारत संघ केस की सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने पहले ही RTE की धारा 12(1)(c) के तहत अनाथ बच्चों को शामिल करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।
बाकी राज्यों को चार हफ्ते में आदेश पूरा करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बाकी राज्यों को चार हफ्तों के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा, “राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे अनाथ बच्चों को शिक्षा का बुनियादी अधिकार प्रदान करें।”
राज्यों को करना होगा अनाथ बच्चों का सर्वे
कोर्ट ने एक और अहम निर्देश देते हुए कहा कि सभी राज्य सरकारें अनाथ बच्चों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण करें — यह पता लगाया जाए कि किन बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिला है और किन्हें इनकार किया गया है। यह सर्वे बच्चों की स्थिति समझने और नीति निर्माण में उपयोगी होगा।
डेटा की कमी पर जताई चिंता
कोर्ट ने भारत में अनाथ बच्चों के विश्वसनीय आंकड़ों की कमी पर गंभीर चिंता जताई। याचिकाकर्ता पॉलोमी पाविनी शुक्ला ने दलील दी कि भारत सरकार के पास इस संबंध में कोई आधिकारिक डेटा नहीं है। उन्होंने बताया कि UNICEF और NGOs के मुताबिक देश में करीब 2.96 करोड़ अनाथ बच्चे हैं।
शिक्षा के अधिकार को मिलेगा मजबूती
यह फैसला न सिर्फ अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलेगा, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों को ऊपर उठाने में भी बड़ी भूमिका निभाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सभी राज्य अपनी अधिसूचनाओं की जानकारी न्यायालय को प्रस्तुत करें।