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छत्तीसगढ़: महादेव ऐप मामले में EOW की F.I.R. में बड़ा उलटफेर, सिर्फ हिन्दी के 3 पन्ने सार्वजनिक, अंग्रेजी में दर्ज F.I.R. के 14 पन्ने सस्पेंस भरे, विष्णु की मायानगरी में लंका ? IPS विभीषण चर्चा में…

दिल्ली। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के खिलाफ EOW में हालिया दर्ज 420सी की F.I.R.को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गहमागहमी है। इस पर स्टे की जोर आजमाइश शुरू हो गई है।देश के कई ख्याति प्राप्त वकील इस मामले पर अपनी निगाहें लगाए बैठे हैं। इनमें से ज्यादातर वही महंगे वकील हैं, जिन्हें आरोपी भू-पे बघेल ने बतौर मुख्यमंत्री प्रत्येक पेशी का 25 लाख रुपए से अधिक की रकम मुहैय्या कराया करते थे। नंबर 1 में प्रदाय होने वाली यह रकम हर माह करोड़ों में है। पूर्ववर्ती भू-पे सरकार के कार्यकाल में प्रति माह करोड़ो रूपए विधिक सहायता के नाम पर पानी की तरह बहाए गए थे।सरकारी तिजोरी के धन को अरबों में दिल्ली के नामी वकीलों के चैंबरों पर लुटाया गया था।

बताते हैं कि अब भू-पे को उपकृत करने का दौर आ गया है। भू-पे समेत उसके दागी IPS अधिकारियों के खिलाफ भी दर्जनों प्रकरण पंजीबद्ध होने की आशंका के चलते वकीलों का एक धड़ा सक्रिय हो गया है। बघेल को गिरफ्तारी से बचाने के लिए तमाम कानूनी हथकंडों पर एक लॉ चैंबर में 24सो घंटे उस F.I.R. का पोस्टमार्टम किया जा रहा है, जो 4 मार्च को EOW में दर्ज की गई थी। इस F.I.R. का अगला हिस्सा काफी महत्त्वपूर्ण बताया जाता है। लिहाजा कानून की बस्ती में कई जानकार भू-पे और दागी IPS अधिकारियों को सुरक्षित बच निकालने के लिए जमकर माथा पच्ची कर रहे हैं।अंग्रेजी के इस हिस्से वाली F.I.R.की चर्चा दिल्ली के कुछ लॉ चैंबरों में भी खूब हो रही है।

सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में सरकारी तंत्र से जुड़े एक शख्स ने महादेव ऐप मामले में EOW में दर्ज F.I.R. के 3 पन्ने भेजे थे। लेकिन शायद त्रुटिवश 17 पन्ने हाथों हाथ उस पत्रकारनुमा शख्स के पास पहुंच गए थे, जिसे F.I.R. सौंपी जानी थी।हालाकि 14 पन्ने फौरन डिलीट भी कर दिए गए थे। बावजूद इसके वकीलों की पारखी नजरों ने समय रहते अंग्रेजी के हिस्सों को भांप लिया था। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ EOW में महादेव ऐप घोटाले को लेकर दर्ज F.I.R.का एक हिस्सा ही सुनियोजित रूप से अभी सार्वजनिक किया गया है। जबकि अंग्रेजी में दर्ज F.I.R.का अगला हिस्सा गोपनीय बताया जाता है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि दागी IPS अधिकारियों के हाथों में FIR का सम्पूर्ण हिस्सा क्यों सौंप दिया गया?

सूत्र दावा कर रहे हैं कि दागी अफसरों से संबद्ध एक लॉ चैंबर में आयोजित एक महत्त्वपूर्ण बैठक में EOW में दर्ज F.I.R. के 17 पन्ने रखे गए थे। इसका अगला अंश अंग्रेजी में दर्ज किया गया बताया जाता है, इसमें उन सभी दागी IPS अधिकारियों और कर्मियों को भी सूचिबद्ध किया गया है, जिनके खिलाफ ED ने नामजद FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे। सूत्र बताते हैं कि अंग्रेजी में दर्ज F.I.R. में ED द्वारा नामजद किए गए सभी “संबंधित पुलिस अधिकारीगण” का ब्यौरा भी बतौर आरोपी दर्ज किया गया है।

यह भी बताया जाता है कि EOW में दर्ज FIR की गोपनीयता समय पूर्व दिल्ली में भंग कर देने से नया विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल नामजद और अज्ञात आरोपियों को लेकर कानूनी सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनके मुताबिक एक ही गवाहों के बयानों के आधार पर सभी लगभग 70 को आरोपी बनाए जाने के बजाए सिर्फ उन्हें और मात्र 15 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है। इससे बीजेपी की मंशा साफ झलक रही है।बघेल बीजेपी सरकार से यही सवाल कर रहे हैं कि “संबंधित पुलिस अधिकारीगण” के खिलाफ भी नामजद F.I.R. आखिर क्यों नहीं दर्ज की गई? बघेल के इस सवाल का जवाब ना तो बीजेपी के अंदरखानों से बाहर आ रहा है और ना ही सरकार की ओर से नामजद और अज्ञात को लेकर कोई सफाई दी गई है।

इस बीच F.I.R. के अंग्रेजी में दर्ज अगले हिस्से को लेकर दिल्ली के कुछ लॉ चैंबरों में सरगर्मियां तेज हैं। सूत्र बताते हैं कि बिलासपुर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में EOW की F.I.R.को चुनौती देने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए भू-पे खेमा जोरशोर से जुटा हुआ है। दागी IPS अधिकारियों की टोली भी कंधे से कंधा मिलाकर उसके साथ खड़ी है।

उनकी लीगल टीम रायपुर, बिलासपुर और दिल्ली में कुलांचे भर रहीं हैं। इस पर रोजाना लाखो रुपए व्यय किए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ कैडर के एक वरिष्ठ दागी IPS अधिकारी अपने गिरोह के सदस्यों के साथ इन दिनों दिल्ली के कई नामी गिरामी वकीलों के दफ्तरों की खाक छान रहे हैं। साहब, खुद के साथ-साथ आरोपी भू-पे के प्रति काफी नरम रूख अपनाए जाने के लिए वकीलों को कई टिप्स भी दे रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि तनावग्रस्त इस IPS अधिकारी ने महादेव ऐप मामले की 17 पन्नों की एक F.I.R., सार्वजनिक कर दी थी। उसने इसे सीधे कानून के कुछ जानकारों के पास भेजा था। फिर चंद मिनटों बाद होश में आने पर साहब ने अंग्रेजी में दर्ज F.I.R. के 14 पन्नों को तत्काल डिलीट करने की गुहार भी कुछ लोगों से लगाई थी। उनके द्वारा हवाला दिया गया कि यह गोपनीय है। न्यूज टुडे छत्तीसगढ़-दिल्ली से जुड़े पत्रकारों ने मामले की हकीकत जानने के लिए EOW के वरिष्ठ अफसरों और सामान्य प्रशासन विभाग एवम गृह विभाग के अफसरों से भी संपर्क साधा।

लेकिन अंग्रेजी में दर्ज FIR के 14 पन्नों को लेकर संतोषजनक जवाब फिलहाल कहीं से भी नही मिल पाया है। इस बीच राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा छिड़ी है कि विष्णु की मायानगरी में आखिर कौन? लंका लगाने में जुटा है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सजग और सक्रिय मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में भ्रष्टाचारियों का बच निकलना नामुमकिन है।

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