Punjab: बठिंडा मिलिट्री स्टेशन पर फिर बड़ा हादसा, राइफल से गोली चलने से 1 और जवान की मौत

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चंडीगढ़: Punjab: पंजाब के बठिंडा मिलिट्री स्टेशन पर गोलीबारी में सेना के चार जवानों की मौत के बाद एक और बड़ा हादसा सामने आया है. बीती रात को राइफल से अचानक गोली चलने से एक और जवान की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि ड्यूटी पर तैनात एक जवान की राइफल से अचानक गोली चल गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. जवान की शिनाख्त लघुराज के रूप में है. मृतक जवान के शव को बठिंडा अस्पताल में रखवाया गया है. पुलिस का कहना है की पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि यह एक एक्सीडेंटल फायर की घटना थी या फिर जवान ने सुसाइड किया है.

दरअसल, इसी मिलिट्री स्टेशन पर कल यानी बुधवार तड़के सेना के चार जवानों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वे बठिंडा सैन्य स्टेशन में अपने बैरक में सो रहे थे. हत्यारों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है, जबकि हत्या से जुड़े कई कारणों का पता लगाया जा रहा है. हत्या के स्थान से बरामद हथियार और इंसास राइफल के 19 खाली खोलों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. 9 अप्रैल को स्टेशन के शस्त्रागार से 28 गोलियों की एक मैगजीन के साथ राइफल चोरी हो गई थी.

सेना ने बठिंडा में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की है और आईपीसी की धारा 302 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज किया गया है. मृतकों में गनर सागर बन्ने, करनालेश आर, योगेश कुमार जे और संतोष एम नागराल शामिल हैं, सभी आर्टिलरी की 80 मीडियम रेजिमेंट के हैं. पहले तीन विशेष वाहनों के चालक थे, जो तोपखाने की बंदूकें खींचते थे.

बठिंडा कैंट थाने में दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि दोनों आरोपियों ने सफेद कुर्ता-पायजामा पहन रखा था और उनके चेहरे कपड़े से ढके हुए थे. चार जवानों की हत्या करने के बाद दोनों वन क्षेत्र में फरार हो गए थे, जिसके बाद तलाशी अभियान जारी है, जबकि सेना और पुलिस सुराग के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं. प्राथमिकी में कहा गया है कि गनर योगेश कुमार और सागर बन्ने गार्ड की ड्यूटी करने के बाद बैरक की पहली मंजिल पर अपने कमरे में चले गए थे. अन्य दो गनर संतोष और करनालेश बगल के कमरे में सो रहे थे.

गोलियों की आवाज से जैसे ही मिलिट्री स्टेशन की नींद खुली, एक जवान ने अपने यूनिट ऑफिसर को फायरिंग की सूचना दी. उन्होंने उल्लेख किया कि दो अज्ञात व्यक्तियों को बैरक से बाहर आते देखा गया था, उनमें से एक के पास इंसास राइफल थी और दूसरे के हाथ में एक धारदार हथियार था. बठिंडा में मुख्यालय वाली सेना की 10 कोर को पश्चिमी सीमाओं का जिम्मा सौंपा गया है और यह जयपुर कमांड के अधीन है.