छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के धंधे से राजनेताओ के घर-आंगन पर सोने की बरसात हो रही है,आबकारी और कोल खनन परिवहन घोटाले के अलावा ज्यादातर सरकारी विभागों से होने वाली अवैध वसूली पर ईडी ने अपना शिकंजा बघेलखण्ड पर कसा है,R-वन की लंका में लगी आग अब बुझाए नहीं बुझ रही है,कई विधायको और नौकरशाहों की अवैध संपत्ति जब्त करने का सिलसिला शुरू हो गया है। दरअसल,छत्तीसगढ़ पुलिस,EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आगे आत्मसमर्पण कर देने से राज्य में शासन-प्रशासन छिन्न-भिन्न है,सत्ता के शीर्ष की कार्यप्रणाली जनता पर भारी पड़ रही है।
रायपुर/दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्टाचार और घोटालो में बुरी तरह से घिर गए है। बघेल के विश्वासपात्र कारोबारियों,नौकरशाहों और राजनैतिक उपकृत उद्योगपतियों ने अब उनका साथ छोड़ दिया है। हकीकत बयां कर रहे गवाह तस्दीक कर रहे है कि भ्रष्टाचार की कड़ी से अंतिम रूप से उपकृत होने वाला शख्स अनिल टुटेजा,अनवर ढेबर,सूर्यकांत तिवारी नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है।
सीएम बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल उर्फ़ बिट्टू से ED तीन बार पूछताछ कर चुकी है,उनके कथित दामाद क्षितिज वर्मा,चिप्स घोटाले में जमकर सुर्खियां बटोर रहे है,इसके अलावा समस्त भरा पूरा बघेलखण्ड इन दिनों राजनीति के खेत में लहलहाती खड़ी चांदी की फसल काटने में दिन-रात एक किए हुए है। मुख्यमंत्री बघेल कुनबे की चल-अचल संपत्ति भी अंबानी और अडानी की तर्ज पर प्रत्येक 24 घंटे में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है। लेकिन प्रदेश की आम जनता की कमाई जनता के महान सेवक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तुलना में इजाफे की ओर नहीं बल्कि जमीनी गर्त की ओर तेजी से बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के बाद कोई शख्स हर घंटे कितनी अधिक रकम कमा कर उसे सुनियोजित रूप से उसे ठिकाने लगा सकता है,इसकी देश में जीती-जागती मिसाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी अगुवाई में छत्तीसगढ़ शासन के वो नौकरशाह है,जिनके गिरेबान पर हाथ डालने के लिए भारत सरकार की वैधानिक जांच एजेंसियों को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
देश के सर्वाधिक महंगे वकीलों की टीम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों को बचाने में जुटी है,इसके लिए सरकारी तिजोरी से हर माह करोडो रूपए व्यय किए जा रहे है। रायपुर की जिला अदालत से लेकर छत्तीसगढ़ शासन बनाम किसी भी शख्स का हाई प्रोफ़ाइल मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके व्यक्तिगत हितो से जुडा हुआ बताया जाता है।
जानकारी के मुताबिक बीते पौने पांच सालो में अदालतों पर सुनवाई और वकीलों की मोटी फीस पर होने वाला व्यय लगभग पांच सौ करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चुका है,यह अभी भी अनवरत जारी है,क्योँकि ED समेत अन्य जांच एजेंसियां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टोली पर लगातार शिकंजा कस रही है। छत्तीसगढ़ शासन के खजाने से आए दिन महंगे वकीलों पर करोडो खर्च हो रहे है,बावजूद इसके छत्तीसगढ़ शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है।
अदालती फरमानो से सरकार की भद्द पिट रही है,आम जनता को जनहित से जुड़े मामलों में कोई ख़ास अदालती राहत नहीं मिल पा रही है,इसका कारण सिर्फ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली को बताया जा रहा है।
बताते है कि अदालती खर्च छत्तीसगढ़ शासन वहन कर रहा है। जबकि इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष फायदा IAS अनिल टुटेजा,IAS अलोक शुक्ला,IAS विवेक ढांड, IPS आनंद छाबड़ा और शेख आरिफ,PCS अधिकारी और मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया समेत कई दागी नौकरशाहो को मिल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संवैधानिक क्रियाकलापों को लेकर ED ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर शासन-प्रशासन के कामकाज से अदालत को अवगत कराया है।
न्यायालीन सूत्रों के मुताबिक,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण समेत कई महत्वपूर्ण मसलो पर शासन का पक्ष मजबूती से रखने में कोई रूचि नहीं दिखाई थी। बतौर मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करने से एक बड़ी आबादी को आरक्षण के अधिकार से वंचित होना पड़ा। जबकि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में अदालती बीड़ा उठाने वाला विभाग मुस्तैदी के साथ अपना पक्ष रख रहा था।
बिलासपुर हाई कोर्ट में आरक्षण प्रक्रिया की सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री बघेल नाचने-गाने और राजनीति में व्यस्त रहे। वही दूसरी ओर पैरवी के लिए छत्तीसगढ़ शासन का पक्ष मजबूती के साथ रखने के लिए कोई भी नामी गिरामी महँगा वकील दिल्ली से नहीं बुलाया गया। नतीजतन आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ शासन को मुँह की खानी पड़ी।
सूत्र दावा करते है कि पौने पांच सालो में मुख्यमंत्री बघेल जनता को आर्थिक रूप से मजबूत करने के बजाए खुद आर्थिक रूप से ठोस हो गए। वर्ष 2018 के पूर्व के वर्षो की तुलना में वर्ष 2018 से लेकर 2023 के वर्षो में सिर्फ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कुनबे की संपत्ति में ही जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है। इन्ही वर्षो में चंद नौकरशाहो और कारोबारियों की संपत्ति भी आसमान छू रही है,केंद्रीय जांच एजेंसियां भंडाफोड़ कर रही है।
बघेलखण्ड के ठिकानो पर रोजाना छापेमारी हो रही है,मुख्यमंत्री बिलबिला रहे है,ED पर दबाव बनाने के बहाने कभी केंद्र सरकार पर तो कभी बीजेपी पर राजनैतिक हमला कर रहे है। ताजा जानकारी के मुताबिक कारोबारी अनवर ढेबर से जारी पूछताछ के दौरान ED ने मुख्यमंत्री बघेल के खास हवाला ऑपरेटर सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। मनी लांड्रिंग की जांच में प्रवर्तन निदेशालय को बघेलखण्ड के हवाला रैकेट के पुख्ता प्रमाण मिले है।
मंगलवार को ED ने राजधानी रायपुर और भिलाई में करीब आधा दर्जन ठिकानों पर दबिश दी है। हवाला कारोबार से जुड़े लोगों के यहां छापेमारी से हड़कंप है। ईडी की टीम ने रायपुर में हवाला कारोबार से जुड़े सदर बाजार स्थित नाहटा मार्केट और शैलेंद्र नगर स्थित कुछ ठिकानो पर भी छापे मारे हैं। कोल परिवहन घोटाला और 25 रुपए प्रति टन गब्बर सिंह टैक्स की अवैध वसूली से एक राजनैतिक दल के हितो को साधा गया है। छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों में घोटाले की रक़म का एक हिस्सा खर्च किया गया है। कई नौकरशाह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए अखिल भारतीय सेवाओं का धंधा कर रहे थे।
प्रवर्तन निदेशालय ने हालिया कार्यवाही में IAS रानू साहू के अलावा कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी,कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव,विधायक चंद्रदेव प्रसाद राय, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, युवा इंका नेता विनोद तिवारी समेत कुछ अन्य की 90 चल-अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। इसमें वाहनों, आभूषणों और 51.40 करोड़ रुपये की नकदी को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है। इससे पूर्व ईडी ने सूर्यकांत तिवारी,IAS समीर विश्नोई, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा से चयनित डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल से 170 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सहयोगियों से ED अब तक कुल लगभग 250 करोड़ की संपत्ति अटैच कर चुकी है।
छत्तीसगढ़ में सूत्र दावा करते है कि आबकारी घोटाला सालाना 20 हजार करोड़ जबकि कोल परिवहन घोटाला सालाना 5 हजार करोड़ का है। जानकारी के मुताबिक ED ने अब तक आबकारी घोटाले में 2 हजार करोड़ और कोल घोटाले में लगभग 500 करोड़ के पुख्ता सबूत हासिल किए है। इसी के आधार पर ED अपनी जांच को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी है। वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्टाचार की जांच को सुगम और सरल बनाने के बजाए जांच एजेंसियों के सामने रोजाना नए-नए राजनैतिक और प्रशासनिक हथकंडे अपनाए जा रहे है।
सूत्र दावा कर रहे है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सरकारी कार्यालय ही प्रदेश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा है। नवा रायपुर स्थित सरकार के मंत्रालय में छापेमारी से दर्जन भर विभागों का काला-चिटठा सामने आया है।
जानकार तस्दीक कर रहे है कि ED की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि सिर्फ कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ रूपए कमा रहा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका कुनबा प्रतिदिन कितनी कमाई कर रहा है ? बताते है कि 17/12/2018 से पहले अर्थात मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले भूपेश बघेल मात्र 8 करोड़ के मालिक थे,लेकिन सीएम की कुर्सी ऐसी फली की चंद दिनों में ही बघेल 23 करोड़ के आसामी बन गए।
आर्थिक मामलों के जानकार बताते है कि रातो-रात करोड़पति बनने का सिद्ध मंत्र भूपेश बघेल ने अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के माध्यम से ही प्राप्त किया था। दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद बघेल से लेकर बघेलखण्ड की कुल संपत्ति इन पौने पांच सालों में एक हजार गुना से ज्यादा बढ़ चुकी है।
इसी तर्ज पर कई नौकरशाहो के बुजुर्ग माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर पुत्र-पुत्रियों,दामाद समेत तमाम पारिवारिक सदस्यों की आमदनी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। देश की अर्थ व्यस्था के कई मौको पर लड़खड़ाने और बैंको की ख़राब माली हालत के कोंग्रेसियो के आरोप ही राहुल,प्रियंका और सोनिया गाँधी समेत कांग्रेस आलाकमान को मुँह चिढ़ा रहे है।
कांग्रेस आलाकमान देश की आर्थिक नीतियों की बुराई कर अर्थव्यस्था को गर्त में डालने के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है,जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री बघेल और उनके कुनबे की इन्ही अवधि में कमाई छप्पर फाड़ कर हो रही है। कमाई भी ऐसी की केंद्रीय जांच एजेंसियों को चल-अचल संपत्ति,एग्रीमेंट और विभिन्न स्टाम्प पत्रों के जरिए जनता के महान सेवक की माली हालात का पता पड़ रहा है।
एशिया के मानचित्र में भारत गणराज्य के छत्तीसगढ़ प्रांत में कार्यरत जनता के महान सेवक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुनबे की संपत्ति पौने पांच सालो में अडानी और अंबानी की तर्ज पर आसमान छू रही है,वही प्रदेश के कई चर्चित नौकरशाह,कारोबारी और उद्योगपति केंद्रीय जांच एजेंसियों के दफ्तरों का चक्कर काट रहे है।
विधानसभा चुनाव 2018 में बघेल द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक, बघेल के पास कुल 230,526,171 रुपये की संपत्ति का दावा किया गया है। इसमें 14,667,061 रुपये की चल संपत्ति और 215,859,110 रुपये की अचल संपत्ति दर्शाई गई है। कमाई के प्रमुख श्रोत कृषि कार्य है, इतना ही नहीं इस दौरान स्वयं बघेल पर करीब 19 लाख रुपये का कर्ज होने की बात भी सामने आई थी।
फिलहाल बघेल की वर्तमान आमदनी अकल्पनीय बताई जा रही है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री को जनता की सेवा करने के एवज में प्रतिमाह सरकारी खजाने से चंद हजार रूपए ही मिल पाते है। इससे बामुश्किल गुजर-बसर होती है। लेकिन अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरूपयोग कर सरकारी मशीनरी जाम करने से सेवा का धंधा कई मायनो में लाभदायक साबित होता है। फिलहाल तो सत्ता के कर्णधारो के गिरेबान में ED का बढ़ता हाथ सुर्ख़ियों में है।