झारखंड के शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ की भूपे लॉबी भी हिस्सेदार, 2 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांगी गई इजाजत, मंत्रालय में गहमा-गहमी, जांच EOW के हवाले….

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रांची/रायपुर। छत्तीसगढ़ और झारखंड में एक ही शराब लॉबी ने घोटाले को अंजाम दिया था। राज्य के तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी को झारखण्ड सरकार ने लाखों के वेतनमान पर दोहरी नौकरी में रख लिया था। यह लॉबी इतनी मजबूत बताई जाती थी कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर कायदे-कानूनों को दरकिनार कर छत्तीसगढ़ के आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी को घोटालों की दोहरी जिम्मेदारी के लिए उनकी सेवाएं को झारखंड सरकार को भी सौंप दिया गया था। झारखंड में अंजाम दिए गए शराब घोटाले की जांच में ED जुटी हुई है।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ EOW ने भी दोनों राज्यों के घोटालेबाजों के खिलाफ FIR दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। इस सिलसिले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर ने झारखंड कैडर के आईएएस विनय कुमार चौबे और राज्य उत्पाद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गजेंद्र सिंह के खिलाफ भी मामला पंजीबद्ध किया है। जानकारी के मुताबिक झारखंड में पदस्थ दोनों अधिकारियों पर मुक़दमा दर्ज होने के बाद धारा 17 (क) के तहत वैधानिक कार्यवाही की अनुमति सरकार से मांगी गई है।

बताया जाता है कि घोटालेबाजों की एक टीम ने रायपुर से रांची में डेरा डाल लिया था। कई महीनों तक झारखंड में शराब की नंबर एक और दो की बिक्री जारी रही। यहाँ भी तत्कालीन सरकार के संरक्षण में घोटालों को अंजाम देने के लिए एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर की अगुवाई में शराब पॉलिसी को अंतिम रूप दिया गया था। इतना ही नहीं घोटालों के विशेष सलाहकार के रूप में छत्तीसगढ़ लॉबी शराब की खरीदी-बिक्री को नियंत्रित करते रही। अपराध के जानकार तस्दीक करते है कि घोटालों को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने एक ही आपराधिक शैली अपनाई थी।

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध शाखा में अपराध दर्ज होने के बाद झारखंड कैडर के आईएएस और तत्कालीन उत्पाद सचिव की बतौर आरोपी गिरफ्तारी सुनिश्चित है। रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र निवासी विकास सिंह ने शराब घोटाले की शिकायत दर्ज कराई थी। विकास सिंह ने शिकायत में बताया था कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर शराब घोटाला किया था। इसके कारण केंद्र और राज्य सरकार को अरबों की हानि उठानी पड़ी।

शिकायत के मुताबिक छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने यहाँ भी आबकारी नीति में बदलाव कर झारखंड सरकार के राजस्व पर हाथ साफ किया था। इसके लिए वर्ष 2021 के दिसंबर से लेकर जनवरी 2022 तक मैन पावर सप्लाई और अवैध शराब की खपत से हुई आमदनी के बटवारे के लिए कई बैठकें हुई थीं। ईओडब्ल्यू में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार दिसंबर 2022 में झारखंड की शराब नीति में बदलाव से जुड़ी बैठक रायपुर में कारोबारी अनवर ढेबर के ठिकाने में रखी गई थी। इस बैठक में एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, झारखंड के उत्पाद अधिकारी समेत अन्य कारोबारी भी मौजूद रहते थे।

जानकारों के मुताबिक अप्रैल 2023 में ईडी के रायपुर स्थित कार्यालय में आईएएस विनय चौथे और के. सत्यार्थी ने अपने बयान भी दर्ज कराये थे। जांच में यह तथ्य भी सामने आया था कि 2019 से 2022 तक झारखंड की सरकारी शराब दुकानों में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई थी।

प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का ठेका मिला था। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही राज्यों में होलोग्राम आपूर्ति का ठेका एक ही कंपनी को सौंपने से गोपनीयता बरक़रार रहने के साथ-साथ आरोपियों को मोटी कमाई होती थी। फ़िलहाल, छत्तीसगढ़ EOW की सक्रियता से झारखंड मंत्रालय में गहमा-गहमी है। बताते है कि संभावित कार्यवाही से बचने के लिए आरोपियों ने क़ानूनी सलाहकारों की शरण ली है।