रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचारियों को उनके असल ठिकाने भेजे जाने की कार्ययोजना परवान चढ़ने लगी है। जल्द ही सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसियां कांग्रेस के लुटेरे नेताओं के ठिकानों पर दस्तक दे सकती है। छत्तीसगढ़ की सरकारी तिजोरी में डाली गई डकैती कि धन वापसी हो सके. इसके लिए राज्य की बीजेपी सरकार ने अपनी कमर कस ली है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और तत्कालीन आवास तथा पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने मात्र 5 साल के कार्यकाल में नया रायपुर की संरचना करने वाली संस्था NRDA को लूट लूट कर दिवालिया बना दिया था। हालत यह हो गई है कि ब्याज चुकाने के लिए NRDA को अपनी जमीनें तक बेचनी पड़ी थी। फिलहाल नया कर्ज लेकर NRDA की गतिविधियां फिर आगे बढ़ रही थी कि बीते 2 सालों में उसे लगभग 2 हजार करोड़ के घोटाले का सामना करना पड़ा है। इसका मुख्य कारण तत्कालीन आवास तथा पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर की कार्यप्रणाली बताई जा रही है। घोटाले का ठीकरा भूपे के सिर फूट रहा है मंत्री द्वारा विकास और निर्माण कार्यों का ठेका अपने सगे भाई मोहम्मद असगर को एकतरफा सौंप दिए जाने से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है।
मामले की शिकायत ईडी और सीबीआई से भी की गई है। घोटाला उजागर होते ही विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने एक ही झटके में लगभग 300 करोड़ का ठेका निरस्त कर दिया है.एक जानकारी के मुताबिक मोहम्मद अकबर जिस विभाग के प्रभारी मंत्री थे उसी विभाग में उनका पूरा कुनबा उपकृत हो रहा था। रोजाना करोड़ों की कमाई से जहां इस कुनबे की तिजोरी भर रही थी वही राज्य की गरीब जनता दिनों दिन भारी भरकम कर्ज के तले दबी जा रही थी। ताजा जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर लगभग 300 करोड़ के 10 टेंडर निरस्त कर दिए गए हैं। ज्यादातर टेंडर भूपे और मोहम्मद अकबर के लोगों के ही हाथों में ही थे।
बताते हैं कि बीते 5 सालों में नया रायपुर अटल नगर में किए गए NRDA के सभी कार्य सवालों के घेरे में है। इस इलाके में बड़े पैमाने पर जहां सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है वहीं सत्ता का दुरूपयोग कर भारी भरकर घोटालों को अंजाम भी दिया गया है.इस इलाके में गरीब किसानों और सरकारी जमीनें औने पौने दामों में हथिया ली गई. ऐसी जमीनों पर नियमों को ताक में रखकर आवासीय योजनाएं एवम प्लॉटिंग शुरू कर दी गई है।
कई सरकारी प्रोजेक्ट में तो NRDA के आधिकारियों के साथ मिलकर कांग्रेसी नेताओं ने इलाके के बजाए खुद का इतना विकास किया है कि देश विदेश में उनकी तिजोरियां लबा लब भर गई है। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में मंत्री का किला रोशन हो रहा है.पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए अपने भाई की कंपनी को अन्य नाते रिश्तेदारों को ही अरबों के ठेके सौंप दिए. हाऊसिंग बोर्ड,NRDA और वन विभाग का ज्यादातर कार्य अकबर खानदान और उनसे जुड़े ठेकेदारों के ही पास था। इसके चलते तमाम विकास योजनाएं ठप पड़ गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नवा रायपुर में तमाम योजनाएं गुणवत्ता विहीन कार्यों के लिए जानी पहचानी जा रही है। ये योजनाएं ना तो समय पर पूर्ण की गई और ना ही टेंडर की शर्तों का नियमानुसार पालन करते हुए मूर्त रूप दी गई। नतीजतन स्मार्ट सिटी के तमाम कार्य घोटलों की भेंट चढ़ गए। अटल नगर के टेंडर में फर्जीवाड़े और घटिया कार्यों के मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और आवास एवम पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने कड़ी कारवाई के निर्देश दिए हैं.इसके तहत योजनाओं का जायजा लिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि हकीकत सामने आते ही 281.7 करोड़ के 10 निर्माण कार्यों के टेंडर को निरस्त कर दिया गया है। बताया जाता है कि पुरानी सरकार के अधिकारी सत्ता के दबाव के चलते ठेकेदारों को सिर्फ नोटिस थमाकर औपचारिकता पूर्ण कर रहे थे। उन्होंने टेंडर की शर्तों के अनुरूप ना तो सड़कें, और साइकिल ट्रैक बनाया और ना ही क्लब हाउस और स्मार्ट पार्किंग की व्यवस्था की। विभागीय भ्रष्टाचार चरम पर होने के चलते विकास कार्यों में जमकर सरकारी रकम का दुरुपयोग भी किया गया।
सूत्र बताते हैं कि तमाम ठेकेदारों को तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर का संरक्षण प्राप्त था। योजनाओं में भूपे को 50 फीसदी तक कमीशन दिया जाता था। इसके बाद ही टेंडर प्राप्त होते थे. कमीशनखोरी के चलते समय पर कार्य पूरा करने में रुचि लेने के बजाए ठेकेदारों का जोर सिर्फ बिलों के भुगतान पर ही सीमित होता था। नया रायपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से 45 करोड़ की लागत से 36 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक बनाया जाना था, लेकिन यह 10 किलोमीटर ही बन पाया।
बताते हैं कि NRDA के आधिकारियों की मिलीभगत से उस ठेकेदार को 5 बार नोटिस जारी करने कि सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। इसी तरह करीब 42 करोड़ की लागत से स्मार्ट पार्किंग का निर्माण शुरू किया गया था. इस ठेकेदार ने भी बमुश्किल 20 फीसदी कार्य किया और अपने हाथ खींच लिए. उसे भी 6 बार नोटिस जारी किए गए लेकिन NRDA ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.यही हाल अन्य प्रॉजेक्ट।सड़कों और दूसरे विकास कार्यों का भी था।
बताया जाता है कि नवा रायपुर में स्मार्ट सिटी के लगभग 1 हजार करोड़ के कार्य आधे अधूरे पड़े हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि ज्यादातर ठेके अपात्र लोगों को दिए गए थे। जिनका सीधा संबंध अकबर खानदान से था. कानून के जानकार बताते हैं कि मंत्री होने के बावजूद मोहम्मद अकबर का कुनबा उनके प्रभार वाले विभागों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेकर उपकृत्त हो रहा था। सरकारी धन के दुरूपयोग के मामले सामने आने के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे. जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट व सीवीसी का साफ़ निर्देश है कि विभागीय मंत्री के प्रभार वाले मंत्रालयों में उनके परिजनों को लाभ दिलाने के मामलों में सतर्कता बरतनी जानी चाहिए। इसकी स्पष्ट गाइडलाइन भी है। बावजूद इसके मंत्री अकबर के प्रभार वाले विभागों में उनके ही परिजन ठेकेदारी और उगाही करते रहे। एक शिकायत में NRDA के विकास कार्यों की महालेखाकार से ऑडिट कराने की मांग भी की गई है। शिकायतकर्ता ने NRDA के घोटालों की जांच के लिए ईडी और सीबीआई से भी गुहार लगाई है।