
जादवपुर। केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों और श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में देशभर की 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया। इस बंद के तहत वामपंथी यूनियनों ने जादवपुर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया और रेलवे ट्रैक जाम कर सरकार की “कॉर्पोरेट समर्थक” नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई।
बंद के दौरान जादवपुर में पैदल मार्च भी निकाला गया, जिसमें यूनियन के सदस्यों ने केंद्र सरकार पर मज़दूरों के अधिकारों को कमजोर करने का आरोप लगाया। जादवपुर 8बी बस स्टैंड पर भारी पुलिस तैनाती के बावजूद कुछ निजी और सरकारी बसें चलती रहीं। कई बस चालकों को हेलमेट पहनकर काम करते देखा गया, जो प्रदर्शन के दौरान संभावित हिंसा से बचाव का संकेत था।
ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए चार श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग की। सीआईटीयू महासचिव तपन सेन ने कहा कि ये कानून ट्रेड यूनियन आंदोलन को खत्म करने की कोशिश हैं और लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।
संयुक्त ट्रेड यूनियन फोरम ने सरकार पर पिछले दस वर्षों से भारतीय श्रम सम्मेलन न बुलाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने चेताया कि इन नीतियों के कारण बेरोज़गारी, महंगाई, मज़दूरी में गिरावट और सामाजिक क्षेत्रों में खर्च में कटौती जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
भारत बंद के ज़रिए यूनियनें मांग कर रही हैं कि स्वीकृत पदों पर भर्ती, मनरेगा के कार्य दिवसों और मज़दूरी में वृद्धि, और शहरी बेरोज़गारों के लिए कानून लागू किया जाए। यूनियनों ने सरकार की ईएलआई योजना की भी आलोचना की, जिसे वे केवल नियोक्ताओं को लाभ पहुंचाने वाली योजना बता रहे हैं।