नई दिल्ली / कोरोना संक्रमण के चलते अधिकांश लोग ऑनलाइन खरीदारी पर फोकस कर रहे हैं, ताकि उन्हें घर से बाहर निकलना न पड़े। इससे ऑनलाइन सामान बेचने वाली कई वेबसाइटों में ट्रैफिक बढ़ने लगा है। इसके साथ साइबर फ्रॉड का खतरा भी तेजी से बढ़ा है। त्यौहारी सीजन में ऑनलाइन ठगी की आशंका अन्य दिनों की अपेक्षा और ज्यादा रहती है। इस समय खरीदारी ज्यादा होती है। इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन ठगी करने वाले भी विभिन्न वेबसाइटों में सक्रिय रहते हैं और तरह-तरह के लुभावने ऑफर देकर लोगों को ठगते हैं।
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दरअसल इन दिनों साइबर अपराधियों ने बड़ी – बड़ी नामी गिरामी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट और एप का क्लोन बना लिए हैं | ये वेबसाइट आपको ऑरीजनल वेबसाइट के जैसी ही लगेंगी | वेबसाइट के प्रोडक्ट्स पर भारी ऑफर और डिस्काउंट देकर फंसाया जाता है | लेकिन जब इन वेबसाइट या एप्स पर पेमेंट कर देते है तो उसके कुछ देर बाद ये लिंक गायब हो जाता है | इस तरह साइबर अपराधी बड़े ही शातिराना अंदाज में चूना लगा रहे है | साइबर सेल ऐसी घटनाओं की जांच कर रहा है लेकिन ऑनलाइन लिंक डिलीट होने की वजह से इस तरह के क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रही है |
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साइबर अपराधी प्लेस्टोर पर ऐसी फर्जी एप्स को लॉन्च कर देते हैं जो काफी आसान होता है | प्ले स्टोर पर ऐसे कई फर्जी एप्स मिल जाते है | इन एप्स को ब्रांडेड ई-कॉमर्स वेबसाइट या एप्स के फर्जी क्लोन के तौर पर बनाया जाता है | उसके बाद शातिर अपराधी अपनी फर्जी वेबसाइट पर सामानों पर 60 से 80 फीसदी तक का डिस्काउंट ऑफर देते हैं | जब सस्ती चीजें मिल रही होती हैं तो उसे तुरंत ऑर्डर कर देते है | बस इसी सस्ते के झांसे में लोग फंस जाते हैं | लोग अपने पसंदीदा सामान को कम कीमत में देखर तुरंत पेमेंट कर देते हैं | लेकिन सामान की डिवरी कभी नहीं होती है | जब उस लिंक को चेक करते हैं तो वो लिंक भी डिलीट मिलता है | तो सतर्क रहे और सावधान रहे ऐसे फर्जी वेबसाइट से बचे |
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ये अपराधी इतने शातिर होते हैं कि कई बार प्लेस्टोर की जगह जब गूगल में किसी सामान को ऑनलाइन चेक करते हैं तो ये लोग गूगल एडवर्ड्स के जरिए अपनी फर्जी साइट्स को ट्रेंड करा देते हैं | ऐसे में लोग जब सामान खरीदने के लिए उन साइट या ऐप्स पर क्लिक करते हैं तो भारी डिस्काउंट दिया जाता है | याद रखें ये ऐप्स ऑर्डर के बाद डिलीट कर दिए जाते हैं | पुलिस का कहना है कि लिंक डिलीट होने की वजह से ऐसे लोगों को ट्रैक करना काफी मुश्किल है | कई कस्टमर्स को ऐसी फर्जी ऐप्स और साइट्स के बारे में तब पता चला जब डिलीवरी नहीं आने पर उन्होंने कंपनी के कस्टमर केयर में फोन किया | सभी ई-कॉमर्स कंपनी के स्टमर केयर की ओर से बताया गया कि ऐसी उनकी कोई ऐप नहीं है और न ही कंपनी की ओर से ऐसा कोई ऑफर दिया जा रहा है |
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आप किसी कंपनी की वेबासइट के बारे में इटरनेट से पता लगा सकते हैं ऑनलाइन ऐसी कई साइट्स हैं जो कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर कंपनी कितनी पुरानी है उसकी लीगलिटी क्या है ऐसी तमाम जानकारी आप पता कर सके है | कोई भी पेमेंट करने से पहले ई-कॉमर्स कंपनी के बारे में जांच लें | किसी भी कंपनी के पेज पर नीचे जाकर कॉपीराइट वाला ऑप्शन जरूर देख लें | अगर कंपनी सही होगी तो यहां वैट आई डी भी दिखाई देगी | अगर वेबसाइट के आगे https नहीं लगा तो समझो ये फर्जी साइट है | रजिस्टर्ड वेबसाइट के URL के सामने हमेशा लॉक लगा होता है इसे जरूर चेक कर लें। वेबसाइट के होम पेज पर जाकर Contact पर क्लिक करें अगर यहां आपको एड्रेस जैसी जानकारी न मिले तो ऐसी साइट्स से शॉपिंग करने से बचें |