अवैध शराब से लबा-लब छत्तीसगढ़ का बेमेतरा , मध्यप्रदेश से बड़े पैमाने पर पहुंची शराब की खेप , पंचायत चुनाव में टुन्न होकर वोट डालेंगे ग्रामीण   

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रिपोर्टर – सूरज सिन्हा 

बेमेतरा / छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव की फिजा वैध-अवैध शराब ने बदल दी है | रायपुर से लेकर राज्य के कई जिलों में मध्यप्रदेश , आंध्रप्रदेश और हरियाणा की अवैध शराब बड़े पैमाने पर सुनियोजित रूप से खपाई जा रही है | अवैध शराब के परिवहन और खपत को लेकर लोग आबकरी विभाग को कटघरे में खड़ा कर रहे है | उधर अवैध शराब का जखीरा पकड़कर स्थानीय पुलिस शराब माफियाओं के काले कारनामों पर रोजाना अपनी मुहर लगा रही है | हालांकि उसके हाथ असल शराब माफियाओं के बजाएं उनके गुर्गों के गिरेबान तक पहुंच  रहे है | ये गुर्गे अपने वाहनों के साथ अवैध शराब का जखीरा लिए अड्डों तक पहुंचने में नाकाम रहे है | पंचायत चुनाव में शराब की जबरदस्त खपत ने पंचायती राज अधिनियम की धज्जियां उड़ा कर रख दी है | ताजा मामला बेमेतरा का है | यहां की अधिकांश ग्राम पंचायतों में शराब के जरिये वोटरों का रुख तय किया जा रहा है | इतने बड़े पैमाने पर शराब की जमाखोरी की गई है , कि पंचायती राज संस्थाओं पर से ही लोगों का विश्वास उठ जाये |      

बेमेतरा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर  गांव गांव में सरपंच और पंच प्रत्याशियों से लेकर  जनपद और जिला पंचायतो के सदस्य के लिए भाग्य आजमाने वाले ज्यादातर प्रत्याशी वोटरों को खुल्लेआम शराब बांट रहे है | इन प्रत्याशियों के ठिकानों में शराब तस्कर बड़े पैमाने पर शराब की पेटियां पहुंचा रहे है । हाल यह है कि कई जागरूक ग्रामीण अवैध शराब की जप्ती और शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रशासन को सूचित भी कर रहे है | लेकिन ना तो आबकारी विभाग सक्रियता दिखा रहा है और ना ही पुलिस | शिकायतों के बावजूद सरकारी अमला तस्करों को खुला संरक्षण देते हुए कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहा हैं ।

आपको बता दें कि इन दिनों जो ग्रामीण अंचलों में गांव-गांव तक शराब की पेटियां पहुंच रही है उसमें  ज्यादा मात्रा में शासकीय मदिरा दुकानों में मिलने वाली शराब की पेटियां हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब वह दुकानों में बेचे जाने वाली शराब है तो पूरी की पूरी पेटी गांव तक कैसे पहुंच रही हैं ।

शिकायतकर्ताओं के मुताबिक शासन के नियमों के तहत सरकारी शराब दुकान से एक व्यक्ति एक बोतल से ज्यादा की शराब की बिक्री नहीं की जा सकती | ऐसे में चुनावी कार्य में जुटे कार्यकर्ताओं को पूरी की पूरी पेटी कैसे सौंप दी जा रही है , यह जांच का विषय है |  उधर मध्यप्रदेश से बड़े पैमाने पर शराब की पेटियां कई ग्रामीण इलाकों में खुल्लेआम पहुंच चुकी है | कई प्रत्याशियों ने इसका वितरण भी शुरू कर दिया है | इससे साफ़ है कि पंचायती राज चुनाव में जनप्रतिनिधियों का चयन शराब के नशे में होगा |