CBI से पहले EOW के हाथ बघेल के गिरेबान में ? 2200 करोड़ के शराब घोटाले में लखमा को हर माह 2 करोड़ तो मुख्यमंत्री को कितना ? पूर्व आबकारी मंत्री की जुबानी, ऐसे खुलने लगी पोल….

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में सीबीआई की तर्ज पर EOW ने भी विभिन्न घोटालो की जांच को मुकाम तक पहुंचा दिया है। 2200 करोड़ के शराब घोटाले में EOW की जांच अंतिम पड़ाव में बताई जाती है। एजेंसी को पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले है, इसमें शराब नीति से जुड़े दस्तावेजों में मुख्यमंत्री के संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग का मामला भी सामने आया है। EOW ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर माह मिलने वाली करीब 2 करोड़ की रकम का पूरा ब्यौरा इकठ्ठा कर लिया है, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री के लेनदेन में हिस्सेदारी को लेकर भी अहम पूछताछ का दौर जारी है। इसके लिए तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को एक बार फिर रिमांड पर ले लिया गया है। उनसे एजेंसियां घोटाले का सच उगलवाने में जुटी है। लखमा से 11 अप्रैल तक पूछताछ की जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की शराब घोटाले में भूमिका EOW की इस पूछताछ का खास हिस्सा बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि लखमा को हर माह 2 अलग-अलग स्रोतों से से करीब 2 करोड़ का भुगतान होता था। एक भुगतान लगभग 50 लाख आबकारी विभाग की ओर से पेश किया जाता था। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री के ठिकानों में हिसाब-किताब के बाद डेढ़ करोड़ का भुगतान कारोबारी अनवर ढेबर के माध्यम से किया जाता था।

शराब घोटाले की जांच में जुटी ED ने भी कई ऐसे तथ्यों से EOW को अवगत कराया है, जिससे पता-पड़ता है कि मोटी रकम कमाने के लिए मुख्यमंत्री के संवैधानिक अधिकारों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा था। सूत्र तस्दीक करते है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खिलाफ शराब घोटाले के पुख्ता सबूत मिले है, इसमें सरकारी दस्तावेजों के अलावा लेनदेन का पूरा ब्यौरा भी एजेंसियों ने जुटा लिया है।

पूर्व आबकारी मंत्री लखमा से अब इसकी तस्दीक भी कराई जा रही है। कई ऐसे सरकारी दस्तावेज है, जिनमे लखमा के दस्तखत के बाद शराब के स्टॉक में हेरफेर किया गया था। जांच एजेंसियों के समाने ऐसे भी कई तथ्य सामने आये है, जिससे पता-पड़ता है कि आबकारी विभाग को चूना लगाने के बाद हवाला कारोबारियों के जरिये घोटाले की रकम दुबई तक ठिकाने लगाई गई थी। घोटालेबाजों का दुबई में बड़ा निवेश सुर्ख़ियों में बताया जा रहा है।

हवाला के जरिये मोटी रकम विदेशों में ठिकाने लगाने के कई प्रकरणों की जांच ED और CBI की विवेचना का खास हिस्सा बताया जाता है। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में गिरफ्तार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को एक बार फिर ईओडब्ल्यू की रिमांड पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है। 2 अप्रैल से जारी हफ्तेभर की पूछताछ में ईओडब्ल्यू बड़ी कामयाबी की ओर बताई जा रही है।

अंदेशा तो यह भी जाहिर किया जा रहा है कि महादेव ऐप सट्टा घोटाले में जांच में जुटी सीबीआई के धर दबोचने के पहले EOW ही ना पूर्व मुख्यमंत्री को धर ले। शराब घोटाले में भी बघेल की गिरफ्तारी पुख्ता बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि रायपुर सेंट्रल जेल में प्रभावशील संदेही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल से मेल-मुलाकात के बाद गिरफ्तार पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के सुर अब बदले-बदले से नजर आ रहे है। EOW की रिमांड में लखमा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक बघेल के भय के कारण लखमा ने अचानक चुप्पी साध ली है। वे अधिकांश सवालों का गोलमोल जवाब दे रहे हैं, अनपढ़ होने का हवाला देते हुए भले ही लखमा असलियत पर पर्दा डाल रहे है। लेकिन दस्तावेजी प्रमाणों को झुठलाना उन्हें भारी पड़ रहा है। ईओडब्ल्यू की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि शराब घोटाले के कमीशन की मोटी रकम तत्कालीन आबकारी मंत्री के गृहनगर सुकमा भेजने के लिए ‘बस’ का इस्तेमाल किया जाता था। आबकारी अमले की देख-रेख में नगदी से भरे पार्सल को लखमा के घर पर सौंपा जाता था।

इस काम को अंजाम देने वाले बस कर्मचारियों से तस्दीक के बाद ईओडब्ल्यू उन बसों के मालिकों, ड्राइवर और पार्सल ठिकाने लगाने वालों तक से भी पूछताछ में जुटी है। उनके बयान दर्ज किये गए है। बताते है कि हर माह प्राइवेट बसों में नोटों का पार्सल चढ़ाया जाता था। शराब घोटाले के लिए लखमा तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल और अनवर ढेबर के निर्देश पर कार्य कर रहे थे। इसके लिए उन्हें हर माह 2 करोड़ रुपए का कमीशन मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर ही मिलता था।

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि घोटाले की मुख्य कड़ी के रूप में बघेल और कारोबारी अनवर ढेबर कितना कमाया करते थे ? सूत्रों के मुताबिक जिला आबकारी अधिकारी इकबाल अहमद ने स्वीकार किया है कि लखमा को वे हर माह 50 लाख रुपए देते थे। जबकि जेल में बंद तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने स्वीकार किया है कि ढेबर के माध्यम से वे भी डेढ़ करोड़ रुपए हर माह तत्कालीन आबकारी मंत्री को भेजते थे।

लखमा के तत्कालीन ओएसडी जयंत देवांगन के बयान भी सरकारी तिजोरी में हाथ साफ करने की पुष्टि कर रहे है। बताते है कि OSD ने स्वीकार किया है कि आबकारी सब इंस्पेक्टर कन्हैया कुर्रे के माध्यम से कमीशन की रकम मंत्री तक पहुंचती थी। सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम की घोटालों में भूमिका सामने आने के बाद ईओडब्ल्यू ने लखमा से पूछताछ का दायरा बढ़ा दिया है। वो फूंक-फूंक कर अपने कदम आगे बढ़ा रही है।

राजनैतिक दबाव के साथ-साथ क़ानूनी दांवपेचों के मद्देनजर पूर्व सीएम भूपेश बघेल की भूमिका की जांच की कड़ी काफी संवेदनशील बताई जाती है। कांग्रेस शासन काल के बीते 5 वर्षों में अंजाम दिए गए तमाम घोटालों का ‘श्रीगणेश और समापन’ तत्कालीन मुख्यमंत्री करप्शन बघेल के ‘चरण कमलों’ में सिमटने लगा है। अब तक की जांच में यही तथ्य सामने आ रहे है।

सबूतों और गवाहों की ऐसी दास्तान सामने आ रही है, जिससे पता-पड़ता है कि भ्रष्टाचार की असली जड़ तत्कालीन मुख्यमंत्री के सरकारी और निजी आवासों के अलावा घोटालेबाजों के ठिकानों तक फैली हुई पाई गई है। छत्तीसगढ़ के 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले में बतौर नामजद आरोपी तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल का नाम अब 2200 करोड़ के शराब घोटाले में भी असली मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया है।

बताते है कि मुख्यमंत्री के अधिकारों का दुरुपयोग कर अपने कार्यकाल में बघेल ने 2 ‘सुपर सीएम’ की नई कुर्सी लांच की थी। इसमें एक पद नान घोटाले के कुख्यात आरोपी अनिल टुटेजा को सौंपा गया था। जबकि दूसरी कुर्सी में 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की डिप्टी कलेक्टर स्तर की सौम्या चौरसिया को तैनात किया गया था, दोनों अधिकारियों के अलावा कारोबारी अनवर ढेबर तत्कालीन दोनों ही सुपर सीएम के साथ कदमताल कर प्रदेश की शराब नीति का संचालन कर रहे थे।

यह भी बताते है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के वरदहस्त के चलते घोटाले के कारोबार ने प्रदेश में दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रगति की थी। इसके बाद तमाम घोटालेबाजों ने पड़ोसी प्रदेश झारखंड का रुख कर लिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड की शराब नीति और उगाही की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनकी सहायता के लिए कारोबारी अनवर ढेबर को तैनात किया गया था।

सूत्रों के मुताबिक जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा के संवैधानिक अधिकारों का उपयोग-दुरुपयोग कारोबारी अनवर ढेबर कर रहे थे। आबकारी विभाग के अघोषित मंत्री के रूप में ढेबर की भूमिका सामने आई है। फ़िलहाल, EOW की पूछताछ जारी बताई जा रही है। चर्चा तो यह भी है कि 11 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री लखमा की रिमांड अवधि ख़त्म होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल पर EOW की नजरे इनायत हो सकती है।