
बस्तर। छत्तीसगढ़ से एक ऐतिहासिक खबर आई है — नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाला उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ अब नक्सलमुक्त हो चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई ने अब एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। तय समय मार्च 2026 से पहले ही सरकार ने बस्तर के नक्सली गढ़ों को पूरी तरह से मुक्त कर लिया है।
अमित शाह ने कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे इलाकों में नक्सल आतंक का अंत हो गया है। यहां के कई बड़े नक्सली नेता भी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। आज कांकेर और माड़ डिवीजन में सक्रिय दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के 206 नक्सली मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सामने सरेंडर करेंगे। इनमें नक्सलियों का प्रवक्ता रूपेश भी शामिल है, जो लंबे समय से फोर्स की रडार पर था।
मई महीने में सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ के घने जंगलों में अभियान चलाकर नक्सलियों के शीर्ष नेता बसवा राजू को मार गिराया था। उसी दौरान रूपेश की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी। अब रूपेश अपने 156 साथियों के साथ आत्मसमर्पण करने जा रहा है।
इसके अलावा, कांकेर जिले से DKSZC के सदस्य भास्कर, राजू सलाम, डीवीसी रतन, मीना और प्रसाद के नेतृत्व में 50 से अधिक नक्सली जगदलपुर पहुंचेंगे। सरेंडर करने वालों में एक सीसीएम, दो डीकेएसजेडसीएम, 15 डीवीसीएम, एक माड़ डीवीसीएम और 121 अन्य कैडर नक्सली शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि पिछले 20 महीनों में बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में करीब 1900 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन रणनीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।