
राजस्थान के बांसवाड़ा में संगमेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर पानी में डूब चुका है। मंदिर का आधे से अधिक हिस्सा जलमग्न है, और भोलेनाथ के शिवलिंग भी पानी के नीचे छिपे हैं। बावजूद इसके, श्रद्धालु सोमवार को नाव में बैठकर भगवान शिव की पूजा करने पहुंचे। भक्त नाव से सीधे मंदिर की छत तक गए और जलमग्न मंदिर में आरती की।

लगातार बारिश के कारण राजस्थान के कई हिस्सों में जलभराव की समस्या बनी हुई है, जिससे बांसवाड़ा की नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है। संगमेश्वर महादेव मंदिर, जो बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमा पर गुजरात बॉर्डर के नजदीक तीन नदियों—माही, अनास और जाखम के संगम स्थल पर स्थित है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है और आनंदपुरी से लगभग 5 किलोमीटर तथा डूंगरपुर के चीखली से 3 किलोमीटर दूर बेडुआ गांव के पास तलहटी क्षेत्र में स्थित है। खास बात यह है कि यह मंदिर वर्ष के आठ महीने जलमग्न रहता है, क्योंकि यह माही नदी के बांध के डूब क्षेत्र में आता है। जब पानी का स्तर 400 फीट से नीचे आता है तभी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच पाते हैं। सावन के महीने में भक्त विशेष रूप से नाव के जरिए यहां पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं।