नदी किनारे मिली बेबीडॉल, पुलिस ने नवजात का शव समझकर किया पंचनामा, अस्पताल भेजी गई लाश, पोस्टमॉर्टम के दौरान पता चला कि यह बेबी नहीं प्लास्टिक की गुड़िया है, डॉक्टरों ने पुलिस को लौटाया प्लास्टिक की गुड़ियाँ का शव, हैरत में लोग

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बुलढाणा वेब डेस्क / नदी किनारे एक बेबीडॉल दिखाई दी | मिट्टी और पानी से वो काफी गन्दी हो चुकी थी | उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे हूबहू कोई नवजात हो | कुछ लोगों ने जब इस बेबीडॉल को देखा तो उन्हें किसी नवजात का शव फेंकने का अंदेशा हुआ | उन्होंने फ़ौरन इसकी सूचना पुलिस को दी | मौके पर पहुंची पुलिस ने आम शवों की तर्ज पर इस बेबीडॉल पर भी सरसरी निगाहे डाली | फिर मौके पर कागज पेन लेकर पुलिसकर्मियों ने अपनी बैठक जमा ली |

कुछ देर बाद मौके पर कुछ और भी लोग इकठ्ठा हो गए | लाश का पंचनामा किया गया | क़ानूनी खानापूर्ति करने के बाद बेबीडॉल को एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया | यहाँ मर्चुरी में उसे सुरक्षित रखा गया | दूसरे दिन जब डॉक्टरों ने उसके पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की तो वे खिलखिला के हंस पड़े | उन्होंने उस बेबीडॉल को देखा और फिर पुलिस द्वारा भेजे गए सरकारी दस्तावेजों को | आखिरकार डॉक्टरों ने सरकारी दस्तावेजों के साथ पीएम रिपोर्ट और बेबीडॉल पुलिस को सौंप दी |

मामला महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से सामने आया है | इस अजीबोंगरीब मामले में पुलिस ने जिस नवजात को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था वह असल में खिलौना निकला | दरअसल जब डॉक्टर की टीम ने पोस्टमॉर्टम शुरू किया तो नवजात शरीर से कपास और स्पंज निकलने लगा | डॉक्टर इसे देखकर हैरान हो गए | उन्हें लगा कि कही किसी ने लाश तो नहीं बदल दी | फिर मामले की पड़ताल की गई | पुलिस दस्तावेजों से साफ हुआ कि वो जिसे नवजात समझ रही थी, वास्तव में वो बच्चों की खेलने वाली गुड़िया थी |

दरअसल, बुलढाणा जिले के खामगांव तहसील के बोरजवला गांव की एक नदी के तट पर कुछ ग्रामीणों ने इस बेबीडॉल को देखा था | उन्हें किसी नवजात के पड़े होने का अंदेशा हुआ | उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस दी | पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और पंचनामा कर उस नवजात के शव को खामगांव के सरकारी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया | यही नहीं पुलिसकर्मियों ने आसपास के इलाकों में गर्भवती महिलाओं और मेटरनिटी होम भर्ती महिलाओं की पड़ताल भी की | ताकि नवजात के साथ अमानवीय व्यवहार करने वालों का पता लगाया जा सके |

अब इस मामले में पुलिस की भद्द पिटने के बाद स्थानीय थाने के अधिकारी एसएल चव्हाण ने बताया कि बोरजवला गांव के पुलिस पाटिल की जानकारी के बाद वे इस मृत बच्चे को बरामद करने गए थे | उन्होंने बताया कि वहां पर हमें 7 या 8 माह का मृत बच्चा दिखाई दिया | उन्होंने बताया कि कीचड़ लगने के कारण वह हूबहू नवजात बच्चा दिखाई दे रहा था | उन्होंने बॉडी उठाने के बाद उसे खामगांव अस्पताल लेकर पहुंचे | दूसरे दिन सुबह पंचनामा कर तमाम दस्तावेज बनाए गए | उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम के दौरान उस बच्चे के शरीर से कपास और स्पंज निकलने के बाद समझ में आया कि वह मानव शरीर नहीं बल्कि प्लास्टिक की गुड़िया है |

उधर पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर एके वैद्य ने बताया कि ऐसा केस उन्होंने अब तक नहीं देखा | उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों को गंभीरता बरतनी चाहिए | डॉक्टर वैद्य के मुताबिक प्लास्टिक की गुड़िया होने की जानकारी उन्होंने पिपलगांव पुलिस को दी और हकीकत से रूबरू कराया | इस अजीबोगरीब घटना की चर्चा प्रदेशभर में हो रही है | इसके बाद लोग पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं | वे कह रहे है कि क्या पुलिसकर्मियों को इस बात का आभास भी नहीं हुआ कि यह एक खिलौना है ? सवाल यह भी किया जा रहा है कि वह खिलौना नदी के पास फेंक कर किसी ने पुलिस की परीक्षा तो नहीं ली | यह फिर यह किसी की शरारत तो नहीं?