छत्तीसगढ़ में सरकारी खर्च पर अय्याशी , 8 करोड़ 53 लाख से ज्यादा की रकम खर्च , मुजरा , दारू-मुर्गा और गुलछर्रे उड़ाने में अफसरों ने तोड़ा रिकार्ड , NMDC के हाऊसिंग प्रोजेक्ट का बहाना बताकर अफसरों ने परिजनों समेत देश विदेश में उड़ाए करोड़ों रूपये फिर सरकारी यात्रा का हवाला देकर बिलों का भुगतान किया सुनिश्चित , बड़े पैमाने पर किया फर्जीवाड़ा , देखे अय्याशी का दस्तावेजी ब्यौरा 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि सरकारी रकम का बेजा इस्तेमाल और भ्रष्ट्राचार पर रोक लगेगी | लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बजाये सुनियोजित संरक्षण की योजना को अंजाम दे रही है | नतीजतन कई विभागों में भ्रष्ट्राचार की फसल लहलहा रही है , साथ ही साथ उन अफसरों को भी चांदी काटने का मौका मिल रहा है , जो पूर्ववती बीजेपी शासनकाल में अपनी कार्यप्रणाली को लेकर बदनाम थे | शायद आप यकीन नहीं कर पाएंगे की सरकारी रकम को कोई अफसर मुजरा देखने , जिस्मफरोशी , दारू-मुर्गा पार्टी और अय्याशी के लिए सैर सपाटे जैसे कई मामलों में खर्च कर दे | बदले में बिलों का फर्जीवाड़ा कर दफ्तर से टीए-डीए और यात्रा खर्च के नाम पर उन बिलों को पास भी करवा ले | ये बात गले ना उतरती हो , लेकिन सत्य और प्रामाणिक है | गंभीर तथ्य यह है कि इन प्रभावशील और भ्रष्ट्र अफसरों ने अपनी यात्राओं को लेकर 8 करोड़ से ज्यादा की रकम को बोर्ड की बैठक में पास भी करवा लिया | 

देखे खर्चो का फर्जीवाड़ा 

NMDC पर कुल खर्च – 8 करोड़ 53 लाख 

  • टूर एंड ट्रेवल्स में – 30 लाख 30 हजार 
  • एडवोकेट का खर्चा  – 2 लाख 6 हजार 
  • आईआईटी देल्ही स्ट्रक्चल डिजाइन के लिए 67 लाख 83 हजार 
  • आर्किटेक्ट चयन के विज्ञापन के लिए 2 करोड़ 35 लाख  
  • पर्यावरण से अनुमति के लिए 2 लाख 
  • आर्किटेक्ट का बिल 5 करोड़ 15 लाख रूपये 

यह भी गंभीर तथ्य सामने आया कि आईएएस अधिकारी और विभाग के कमिश्नर ने प्रभारी मंत्री की सहमति से इस रकम पर मुहर भी लगा दी | आमतौर पर विभागीय मंत्री और कमिश्नर जैसे ओहदे पर तैनात किसी आईएएस अफसर से यह उम्मीद नहीं की जा सकती की वो इस तरह के व्यय पर अपनी मुहर और सहमति प्रदान कर दे | लेकिन हकीकत में जिम्मेदार मंत्री और अफसर ने अपनी ऐसी ही कार्यप्रणाली का नमूना पेश किया है | मामला छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड का है | यहां अफसरों के एक गिरोह ने सरकारी तिजोरी में 8 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है | इन अफसरों ने अपनी यात्राओं को जायज ठहराने के लिए जो बिल पेश किये है , यदि उसकी पड़ताल की जाए तो हकीकत सामने आने में देर नहीं लगेगी | 

जानकारी के मुताबिक बस्तर में NMDC के प्रस्तावित स्टील प्लांट में कार्य करने वाले कर्मियों के लिए आवास निर्माण की योजना प्रस्तावित की गई थी | लेकिन इस योजना में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को निर्माण एजेंसी नियुक्त किये जाने को लेकर NMDC ने ना तो कोई सहमति प्रदान की और ना ही को MOU साइन किया | बावजूद इसके छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अफसर इस प्रोजेक्ट को हथियाने के नाम पर देश विदेश में सैर-सपाटा और अय्याशी के लिए दौड़ भाग करते रहे | इन यात्राओं पर कुछ चुनिंदा अफसरों ने 8 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी | इस रकम का बड़ा हिस्सा पूर्ववर्ती बीजेपी शासनकाल के दौर में व्यय किया गया | जबकि कांग्रेस सरकार के गठन के बाद अफसरों की अय्याशी में आंशिक रकम खर्च हुई | 

आमतौर पर किसी प्रोजेक्ट की सहमति या MOU साइन होने के बाद ही इस तरह के यात्रा व्यय जायज ठहराए जाते है | लेकिन छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में यात्राओं को लेकर कोई सरकारी मापदंडों को पूरा नहीं किया गया | बल्कि उनकी धज्जियाँ उड़ाते हुए अफसरों ने अपनी कुनबे के साथ देश विदेश की यात्राएं की | यही नहीं बिलों में सुनियोजित फर्जीवाड़ा कर उसका भुगतान भी सुनिश्चित कर दिया | दिलचस्प बात यह है कि मामले का खुलासा होने के बाद कोई जांच कमेटी गठित करने या फिर दोषियों पर वैधानिक कार्रवाई करने जैसा कदम उठाने के बजाये विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर और कमिश्नर डॉ आयाज तंबोली इस गंभीर मामले को रफा-दफा करने में जुटे है | भ्रष्ट अफसरों को मिल रहे सरकारी संरक्षण से विभागीय कर्मी भी हैरत में है | उनका मानना है कि इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच कर सरकारी रकम की वसूली होनी चाहिए | उनके मुताबिक भ्रष्ट्र अफसरों के कारनामों से ना केवल शासन की छवि धूमिल हो रही है , बल्कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड पर कंगाली का खतरा मंडराने लगा है | 

बताया जाता है कि भ्रष्ट अफसरों ने तमाम यात्राओं पर अपने जेब से कोई व्यय नहीं किया | बल्कि हाऊसिंग बोर्ड के खातों से सीधे रकम निकाल ली गई | सरकारी रकम की निकासी के लिए प्रत्येक विभाग में एक तय प्रक्रिया पूरी की जाती है | लेकिन छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में इस प्रक्रिया का दूर दूर तक कोई पालन नहीं किया गया | भ्रष्ट अफसरों ने अपने निजी खर्चों और अय्याशी के लिए सरकारी तिजोरी पर ऐसा कब्जा किया कि 8 करोड़ से ज्यादा की रकम पर हाथ साफ़ कर दिया |  इस समाचार के साथ हाऊसिंग बोर्ड की बैठक में पास कराये गए अय्याशी के खर्चो का पूरा ब्यौरा भी संलग्न है |

इन खर्चों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्ट्र अफसरों ने बेरोकटोक सरकारी रकम का बेजा इस्तेमाल किया | चर्चा है कि विभागीय मंत्री और कमिश्नर किसी खास रणनीति के तहत भ्रष्ट्र अफसरों को संरक्षण प्रदान कर रहे है | जानकारी के मुताबिक यह रणनीति भविष्य में छत्तीसगढ़ सरकार की साख पर बट्टा  लगाने के लिए कारगर साबित होगी |  इस मामले में विभागीय मंत्री के रवैये को लेकर लोग हैरत में है | उनका कहना है कि इस फर्जीवाड़े को बीजेपी शासनकाल में अंजाम दिया गया तो कांग्रेस सरकार इसकी जांच को लेकर क्यों हिचकिचा रही है | देखे दस्तावेज