कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए आयुष- 64 दवा, आयुष मंत्रालय ने जारी की नई गाइडलाइन, बताया- आयुष-64 खाने से कोरोना दूर रखने में मिलेगी मदद

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नई दिल्ली / केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने मंगलवार को कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए आयुष दवाओं का नया प्रोटोकॉल जारी किया। नए प्रोटोकॉल में उन विशेष दवाओं के नामों की जानकारी भी दी गई है, जिन्हें कोरोना मरीजों को देने से उन्हें लाभ मिलता है। इनमें सबसे प्रमुख आयुष-64 को कोरोना वायरस के लिए सबसे ज्यादा कारगर बताया गया है। नई गाइडलाइन में पहली बार कोरोना से स्वस्थ हो चुके लोगों के लिए पोस्ट-कोविड प्रोटोकॉल जारी किए गए हैं। ऐसे लोगों के लिए भी आयुष-64 दवा और कुछ दिशानिर्देश दिए गए हैं।

वहीं, आयुष विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के सभी मरीजों को एलोपैथी अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है। लेकिन दिक्कत यह है कि यहां एलोपैथी के डॉक्टर आयुष दवाओं को मरीजों को देने से परहेज रख रहे हैं। यही कारण है कि अच्छे प्रोटोकॉल तय होने के बाद भी इन दवाओं का लाभ सभी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इनका लाभ सभी मरीजों को मिले, इसके लिए नियमों में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है।

अश्वगंधा और च्यवनप्राश खाने से भी कोरोना से बचाव हो सकेगा | आयुष मंत्रालय की तरफ से जारी प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना संक्रमण की दृष्टि से संवेदनशील एरिया में रहने वाले लोगों को संक्रमण से बचने के लिए रोजाना अश्वगंधा का 1-3 ग्राम पाउडर या 500 एमजी एक्सट्रैक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा गर्म पानी या दूध के साथ प्रतिदिन 10 ग्राम च्यवनप्राश का उपयोग करना चाहिए। कोरोना के लक्षणहीन ऐसे मरीजों के लिए आयुष-64 नाम की दवा दिए जाने की सलाह भी दी गई है।

माइल्ड कैटेगरी के मरीजों के लिए यह लाभदायक साबित हुआ है | आयुष मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना के मध्यम या माइल़्ड कैटेगरी के मरीजों, जिनमें हल्का बुखार, गला खराब होना, पतले दस्त होना या खांसी जैसे हल्के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, के लिए गुडुची, पीपली के एक्सट्रैक्ट्स दो बार देना चाहिए। इसके अलावा आयुष-64 की दवा के 500 एमजी के दो कैप्सूल 15 दिनों तक दिए जाने चाहिए।

मरीजों के लिए विशेष प्रकार के योग की विधियों को भी सुझाया गया है। इनकी अवधि 45 मिनट, 30 मिनट के सेशन के साथ-साथ शाम को 15 मिनट के अलग सेशन रखने का सुझाव दिया गया है। इन योग मुद्राओं में विभिन्न आसन, कपालभाति, प्राणायाम, श्वसन क्रिया और अन्य मुद्राएं शामिल हैं। इसका उपयोग प्रशिक्षित योग शिक्षक की निगरानी में ही करना चाहिए।

पोस्ट कोविड मरीजों की देखभाल के लिए भी दिशा निर्देश जारी किये गए है | दरअसल कोरोना से स्वस्थ हो चुके लोगों में भी कई तरह की समस्याएंं देखने को मिल रही हैं। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी लोगों में सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी, थकावट या चिंता बढ़ने जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इसीलिए आयुष मंत्रालय ने इस बार कोविड से स्वस्थ हो चुके लोगों के लिए भी प्रोटोकॉल निर्धारित किया है। इसके मुताबिक कोविड से स्वस्थ हो चुके लोगों को भी अश्वगंधा का 1-3 ग्राम पाउडर या 500 एमजी एक्सट्रैक्ट दिन में दो बार 15 दिनों तक इस्तेमाल करना चाहिए। इस दौरान प्रतिदिन 10 ग्राम च्यवनप्राश का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

किसी भी दवा का उपयोग आयुर्वेद के डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। उसकी सलाह के मुताबिक ही दवाओं के उपयोग की समयसीमा कम करना या बढ़ाना चाहिए। लेकिन च्यवनप्राश और योगा जैसी चीजें लगातार जारी रखी जा सकती हैं।

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एक्जामिनिंग बॉडी फॉर पैरामेडिकल ट्रेनिंग फॉर भारतीय चिकित्सा, दिल्ली के चेयरमैन डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल के मुताबिक आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए उपाय बेहद कारगर हैं और इनका उपयोग करने से मरीजों को अच्छा लाभ मिल रहा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि कोरोना मरीजों को एलोपैथी अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है जहां आयुर्वेदिक या आयुष दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता। ऐसे में इन उपायों का मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि इनका लाभ ज्यादा से ज्यादा मरीजों को मिल सके, इसके लिए एलोपैथी डॉक्टरों को भी इनका उपयोग करने का सुझाव दिया जाना चाहिए, या प्रत्येक एलोपैथी अस्पतालों में कम से कम एक आयुर्वेद-आयुष डॉक्टर रखना अनिवार्य करना चाहिए। आयुष डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए आयुष में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे डॉक्टरों को भी अस्पतालों में लगाया जा सकता है।

इसके अलावा शारीरिक दूरी बनाए रखने, समय-समय पर हाथ धुलते रहने और मास्क पहनकर रखने को कोरोना से लड़ाई में बेहद आवश्यक बताया गया है। नमक-हल्दी, त्रिफला या यष्टिमधु के गुनगुने पानी से गरारे करने से गला साफ रहेगा और इसमें संक्रमण पैदा नहीं होगा। घर से बाहर जाते समय या आने पर नाक में एक-दो बूंद अणु तेल, घी या नारियल तेल डालने से भी संक्रमण से बचाव में मदद मिलती है। पुदीना, अजवाइन या यूकेलिप्टस तेल की भाप में सांस लेने से भी संक्रमण से बचाव में मदद मिलती है। इसके साथ ही प्रतिदिन आठ घंटे की नींद और मध्यम स्तर का व्यायाम करना भी सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है।

खाने-पीने में भी ध्यान रखने के लिए कहा गया है | आयुष मंत्रालय के मुताबिक दिन में एक बार गोल्डन मिल्क (एक ग्लास दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर उबालकर बनाएं) पीना एक बार आयुर्वेदिक काढ़ा पीना भी संक्रमण रोकने में मददगार होता है। लोगों को केवल ताजे, साफ और सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें उचित मात्रा में फल, सब्जियों की मात्रा अवश्य रखनी चाहिए।