रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आबकारी घोटाले में जिला अदालत,हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में IAS-IPS अधिकारी राज्य और केंद्र सरकार पर भारी पड़े हैं। नतीजतन यह मामला खारिज होने की कगार पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 अप्रैल को संभावित है। माना जा रहा है कि इस दिन प्रदेश की जनता को पता चल जाएगा कि “ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा”। फिलहाल तो दागी IAS अनिल टुटेजा और उनके पूत्र यश टुटेजा को बिलासपुर हाई कोर्ट से फौरी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ किसी भी दंडनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए स्टे दे दिया है। इसे राज्य और केंद्र सरकार पर कड़े प्रहार के रूप में देखा जा रहा है।
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ED की कार्यवाही सवालों के घेरे में है, तकनीकी कारणों से ED में दर्ज ESIR प्रकरण के खात्मे के आसार बढ़ गए हैं।यह सुनवाई के दिन स्पष्ट होगा की मामला अब आगे चलने योग्य है या नहीं। लिहाजा राज्य सरकार से आबकारी घोटाले की CBI जांच की अपेक्षा प्रदेश की आम जनता को है । सूत्र बताते हैं कि अदालत में मुंह की खाने के मामले में विवेचना को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। आबकारी घोटाले को लेकर ED में दर्ज ESIR को प्रमुख आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बताते हैं कि अब तक हुई सुनवाई में ED और आरोपियों के बीच लगभग साल भर से आंख मिचौली का खेल चल रहा था,लेकिन अब इस मामले में ED पर ही ठीकरा फूटता नजर आ रहा है, ऐसे में EOW में दर्ज F.I.R. कितनी कारगर साबित होगी ? यह तो वक्त ही बताएगा।
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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शराब घोटाले में पूर्व IAS अनिल टुटेजा को होईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। टुटेजा समेत उनके पुत्र यश टुटेजा के खिलाफ शराब घोटाले में ACB-EOW ने हाल ही में अपराध दर्ज किया था।इस मामले को लेकर दायर याचिका पर होईकोर्ट ने आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए किसी भी प्रकार की दंडनात्मक कार्रवाई को लेकर रोक लगाई है।
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जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा को एसीबी-ईओडब्लू में दर्ज आबकारी घोटाले में स्टे दे दिया है।सोमवार,1अप्रैल को अनिल टुटेजा की याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की जस्टिस एन के चन्द्रवंशी की एकल बेंच ने की है। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के 21 अगस्त 2023 के ऑर्डर को संज्ञान में लेते हुए दोनों ही आरोपियों पूर्व IAS अनिल टुटेजा व उनके पुत्र यश टुटेजा को फौरी कार्रवाई से राहत दी है। यही नहीं, कोर्ट ने एसीबी-ईओडब्लू को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब-तलब भी किया है।
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कानूनी जानकारों के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही करने पर रोक लगाते हुए “No Coercive Action Shall be taken against the petitioners” का फरमान जारी किया है।इस मामले में ED की ओर से उपमहाधिवक्ता डा सौरभ पांडेय और एसीबी-ईओडब्लू की ओर से अधिवक्ता रनबीर सिंह मरहास ने पैरवी की। आरोपी अनिल टुटेजा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल एवं राजीव श्रीवास्तव ने अपने तर्क दिए।
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ग़ौरतलब है कि आरोपी अनिल टुटेजा राज्य के एक और सबसे बड़े 36000 करोड़ के नान घोटाले में भी प्रमुख आरोपी हैं। इस मामले को लेकर तत्कालीन भू-पे सरकार ने टुटेजा को बचाने के लिए कई कानूनी दांवपेंच आजमाए थे। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस शासन में राज्य का पक्ष मजबूती के साथ नही रखने के चलते टुटेजा को जमकर फायदा पहुंचाया गया था। बताते हैं कि भू-पे के गैर कानूनी संरक्षण के चलते टुटेजा एंड कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से आबकारी घोटाले के मामले एवं नोएडा में IT में दर्ज़ एफआईआर मामले में “No Coercive Action” का फरमान पूर्व में मिल चुका है। इस बार हाई कोर्ट में भी बाजी आरोपियों के हाथ लगी है।
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आबकारी घोटाले में 11 अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर आज मंगलवार को सुनवाई होनी है। इसे लेकर हाई कोर्ट में काफी गहमागहमी देखी जा रही है। राज्य के तमाम बड़े घोटालों में शामिल दागी अधिकारियों को अदालत से मिल रही राहत ने सरकारी विधि सलाहकारों के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। दरअसल पूर्ववर्ती भू-पे सरकार के कार्यकाल में अंजाम दिए गए सभी बड़े घोटालों में दागी IAS,IPS अधिकारियों को कमजोर विवेचना का भरपूर लाभ मिल रहा है।
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टुटेजा एंड कंपनी के प्रकरणों में इस तथ्य को “गौरतलब”बताया जाता है। फिलहाल घोटालेबाजों को मिल रहे अदालती संरक्षण से केंद्र और राज्य की एजेंसियों के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो गई है। ऐसे में घोटालों की निष्पक्ष जांच के लिए जनता की निगाहें CBI की ओर हैं। कानून के जानकार बताते हैं कि कमजोर विवेचना के चलते अदालत में एजेंसियो का माकूल जवाब देना मुश्किल हो गया है। लिहाजा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने वाली राज्य की विष्णुदेव साय सरकार आबकारी घोटाले पर गंभीर रुख अपना सकती है।