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छत्तीसगढ़ में सीएम इन वेटिंग की बयार, सावन के 21 वें बरस में रमेश बैस का शक्ति परीक्षण आज, पूर्व सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के पदों पर काबिज होने के बाद सक्रिय राजनीति में पुनर्प्रवेश… 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सर्वमान्य नेता के रूप में रायपुर के पूर्व सांसद रमेश बैस का आज जन्मदिन सुर्खियों में हैं। उनके समर्थक बताते हैं कि बैस आज से एक नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं,उनका सक्रिय राजनीति में पुनर्प्रवेश हो रहा है। राज्य में बतौर सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काबिज होने के बाद बैस का नया सफर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। आज उनका जन्मदिन जोरशोर के साथ मनाया जा रहा है। उनके समर्थक इसे यादगार बनाने में जुटे हुए है। 

आज के ही दिन  2 अगस्त 1948 को एक किसान परिवार में जन्में रमेश बैस को देश प्रदेश में कौन नही जानता-पहचानता ? बच्चे हों या बूढ़े या फिर नौजवान, हर एक उम्र के लोग उन्हें “भईया” कहना ही ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि कई बार दाऊ और “नेता” कहकर भी लोग उन्हें संबोधित करते हैं। उन्हें जन्मदिन पर बधाई देने वालो में बीजेपी – कांग्रेस के अलावा सामाजिक नेताओं का तांता लगा है। राजनीति की पहली सीढ़ी “पार्षद” के रूप में सालो पहले चुनाव जीतने के बाद बैस ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 
राजनीति के सफर में छत्तीसगढ़ के “लालू” के रूप में भी उनकी पहचान करने वालों की कोई कमी नहीं हैं। बीजेपी के रंग में रंगे होने के बावजूद बैस हर दौर में कांग्रेस के भी चहेते रहे हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेता बैस को “तकदीरवाला ” कहने से नही चूकते। वे बताते हैं कि राजनीति का यह धुरंधर खिलाड़ी  “कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना” साधने की महारथ भी रखता है। कहते है कि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी ने रमेश बैस के कांग्रेस प्रवेश की तिकड़में भरपूर की थी, लेकिन वे भी अपने मिशन में कामयाब नही हो पाए थे। आज बैस  77 वां जन्मदिन अपने समर्थकों के बीच मना रहे हैं।


उधर जोशो खरोश से भरे बैस समर्थक तस्दीक करते हैं कि भैया आज भी 21 बरस के किसी बांके जवान छोरे से कम नहीं हैं। उनकी सूरत – सीरत और त्वचा से उम्र का तो ठीक ढंग से पता ही नही चल पाता। उनके व्यवहार में सादगी के साथ साथ गर्मजोशी सदैव झलकती है। आम जनता से सहजता से मिलना-जुलना और उनकी समस्याओं का निराकरण करना, बैस की दिनचर्या का खास हिस्सा बताया जाता है। बैस समर्थक उनकी इसी जिंदा – दिली के कायल है, वे खुद को उनसे जुड़ा महसूस करते हैं।

राजनीति के जानकार बताते हैं कि उम्र के इस मोड़ में रमेश बैस ऊंची और लंबी छलांग लगाने की तैयारी में जुटे हैं। सक्रिय राजनीति में उनका पुनर्प्रवेश नए लक्ष्य की ओर इशारा कर रहा है। उनके मुताबिक पार्टी आलाकमान के हर एक निर्देशों का समुचित पालन करने वाले बैस के भीतर छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करने की भावना आज भी सिर पर सवार है। 


रायपुर संसदीय सीट से 7 बार सांसद, केंद्रीय राज्य मंत्री फिर त्रिपुरा, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों के राज्यपाल की जिम्मेदारी निभाने के बाद रमेश बैस एक बार फिर सक्रिय राजनीति में कूद कर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। राजनीति के जानकार यह भी तस्दीक करते हैं कि बैस देश – प्रदेश उन गिने चुने नेताओं में शुमार हैं, जिनकी किस्मत सदैव मौके पर साथ देती है, विपक्षियों के अरमानों पर पानी फिर जाता है। वे बताते हैं कि जिस तर्ज पर डूबते को तिनके का सहारा मिल ही जाता है, ऐसी ही दास्तान रमेश बैस की है, कब विपक्षी खेमें को पटखनी दे दे, कुछ नही कहा जा सकता ? फिलहाल बीजेपी नेता रमेश बैस का सक्रिय राजनीति में पुनर्प्रवेश ने राजनीतिक गलियारा गरमा दिया है। नेता नगरी में अभी से उन्हें सीएम इन वेटिंग करार दिया जा रहा है।  

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