छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम में दस्तक देते ही रामगोपाल ने नगद नारायण की ली सुध , सहायक प्रोग्रामर से तीन माह के वेतन की मांगी गई रिश्वत , वर्ना नौकरी से निकालने का अल्टीमेटम , 60 कर्मियों में से कई ने दी रिश्वत , अवैध वसूली की शिकायत के बाद जांच के निर्देश

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में नान घोटाला लोगों की जुबान पर है | इस घोटाले का जन्म छत्तीसगढ़ सिविल सप्लाय कार्पोरेशन में हुआ था | इस घोटाले में कई बड़े अफसरों से लेकर सामान्य कर्मचारी लपेटे में आये है | डेढ़ दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों ने जेल की हवा खाई है | हालांकि अभी वे जमानत पर है | कांग्रेस की माने तो यह घोटाला 36 हजार करोड़ से ज्यादा का है | इस घोटाले के दायरे में आए अधिकारी हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का चक्कर काट रहे है | यही नहीं घोटाले को लेकर ED ने भी मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है | नागरिक आपूर्ति निगम को अब घोटाले का पर्याय माना जाने लगा है | उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस शासनकाल में इस निगम की छवि में सुधार आएगा | नागरिक आपूर्ति निगम में अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यहां के कर्मचारियों को यह भी उम्मीद थी कि उन्हें क़ानूनी संरक्षण मिलेगा | लेकिन अध्यक्ष के दस्तक देने के बाद यहां कार्यरत सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन सपोर्ट अमले में तैनात सहायक प्रोग्रामर से तीन माह का वेतन एक मुश्त माँगा गया है | इस मामले में निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लग रहा है |  

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन में कॉल मी सर्विसेस नामक कंपनी आउट सोर्सिंग करती है | इस कंपनी ने यहां सहायक प्रोग्रामर के 60 पदों पर अपनी सेवाएं दी है | यह कंपनी पूर्ववर्ती बीजेपी शासनकाल से कार्यरत है | इसके कर्मी नान और फूड दो विभागों में कार्यरत है | प्रत्येक सहायक प्रोग्रामर को यह कंपनी प्रतिमाह 25 हजार रूपये का एक मुश्त वेतन देती है | कांग्रेस शासनकाल के 18 माह तक तो इस कंपनी का काम यहां ठीक ठाक ढंड से चल रहा था | लेकिन कांग्रेस के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल के इस निगम का अध्यक्ष बनने के बाद यहां खलबली मच गई | जानकारी के मुताबिक कॉल मी सर्विस को निगम से फरमान दिया गया है कि वो जल्द से जल्द अपने कर्मियों का तीन माह का वेतन अध्यक्ष जी के कोष में जमा करे | वर्ना ब्लैक लिस्टेड कर उनकी यहां से रवानगी तय कर दी जाएगी | 

जानकारी के मुताबिक कॉल मी सर्विस इस अवैध भुगतान के लिए तैयार हो गई है | लेकिन उसने इस अवैध उगाही का भार उन सभी 60 सहायक प्रोग्रामर के मत्थे मढ़ दिया है , जो नागरिक आपूर्ति निगम में कार्यरत है | यह कंपनी अपनी तिजोरी से सिर्फ एक माह का वेतन गोपाल जी को समर्पित करेगी | लेकिन शेष दो माह का वेतन इन कर्मचारियों के जेब से चढ़ोत्तरी होगा | इस अवैध उगाही से सभी 60 कर्मी परेशान है | इनमे से कुछ ने अपनी नौकरी बरकरार रखने के लिए 50 हजार रूपये का भुगतान कर दिया है | लेकिन कुछ कर्मी अपनी तंग माली हालत का हवाला देकर हाथ खड़े कर रहे है | यह भी बताया जा रहा है कि इन 60 कर्मियों में एक कर्मी प्रभावशील डिप्टी सेक्रेटरी का रिश्तेदार है | इसलिए उसका भुगतान माफ़ कर दिया गया है | 

उधर कॉल मी सर्विस के कर्ताधर्ता नरेंद्र नामक शख्स ने स्वीकार किया कि निगम में अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया गया है | उन्होंने बताया कि दो माह के वेतन को जमा करने के बाद ही कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया है | नरेंद्र ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ कर्मचारियों से उनकी माली हालत  को देखते हुए साढ़े बारह हजार दो किश्तों में वेतन के दौरान कटौती की जाएगी | उसके मुताबिक यह अवैध या रिश्वत के लिए दी जाने वाली रकम का भार कंपनी पर नहीं बल्कि कर्मचारियों पर होगा |

निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि नान में कई संदेहास्पद तत्व कार्यरत है | उनके अध्यक्ष बनने के बाद ऐसे लोगो पर कार्रवाई की जा रही है | उन्होंने कहा कि सम्भवतः इसी के चलते यह मामला सामने आ रहा है | उन्होंने इस तरह की अवैध वसूली से अनभिग्यता जाहिर करते हुए कहा कि वे इस मामले में पता करते है |  उधर नागरिक आपूर्ति निगम के प्रभारी सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी निरंजन दास ने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए बताया कि यह शिकायत उन्हें प्राप्त हुई है | उनके मुताबिक मामले की जांच के आदेश तीन दिन पहले ही दिए गए है | निरंजन दास के मुताबिक जांच रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त होने के आसार है | इसके बाद ही वे मामले में कुछ कह पाएंगे |