कोरबा नगर निगम में मनमानी का एक और मामला आया सामने , लेखा अधिकारी ने अपने ही हस्ताक्षर से आहूत कर ली अपने नाम की एनओसी, सेवानिवृत्ति के एक माह पहले किया अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग

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रिपोर्टर – गेंदलाल शुक्ला 

कोरबा /  पूर्ववर्ती विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण कोरबा और वर्तमान नगर पालिक निगम अपने घपले-घोटालों के लिए सुर्खियों में रहा है। नगर निगम में ऐसे-ऐसे घोटाले हैं, जिनकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। ताजा मामला हाल में 30 जून को सेवा निवृत्त हुए नगर निगम के मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर.मिश्रा का है, जिन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने ही हस्ताक्षर से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए निगम की विभिन्न शाखाओं से एन.ओ.सी.आहूत कर ली। इस सिलसिले में नगर निगम के आयुक्त एस.जयवर्धन से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं हैं।

किसी भी शासकीय-अर्धशासकीय विभाग से कोई अधिकारी-कर्मचारी रिटायर होता है, तो उससे पहले विभाग की विभिन्न शाखाओं से एन.ओ.सी.आहूत की जाती है। ऐसा एन. ओ. सी. कोई भी शाखा तभी देता है, जब संबंधित से किसी भी प्रकार की लेनदारी शेष नहीं होती। नगर निगम के मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर.मिश्रा 30 जून 2020 को रिटायर हो रहे थे। उन्होंने इससे एक माह पहले 29 मई 2020 को पत्र. क्र. स्था./ एक /2020/ 597 के जरिये  एक नोटशीट नगर निगम के विभिन्न विभागों (शाखा) में भेजकर एन.ओ.सी.आहूत की। मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर.मिश्रा के हस्ताक्षर से आहूत नोटशीट में निगम के विभिन्न शाखाओं के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर हस्ताक्षर भी कर दिये। केवल संपदा शाखा ने पी.आर.मिश्रा द्वारा अपने प्रभाव का उपयोग कर स्व.वित्तीय योजना के तहत विक्रय हेतु बनाये गये नगर निगम के एच.आई.जी.-20 सी-01, सी-02 को लेकर नोटशीट में टीप अंकित की है।

इस सिलसिले में वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों से चर्चा की गयी तो उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति रिटायर होता है, तो वह स्वयं विभिन्न शाखाओं से एन.ओ.सी.आहूत नहीं कर सकता। संस्था का उससे वरिष्ठ या प्रमुख अधिकारी ऐसी कार्यवाई करेगा। विधि विशेषज्ञों ने कहा कि मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा नोटशीट चलाकर अपने ही हस्ताक्षर से अपने लिए एन.ओ.सी.आहूत करना, विधि विरूद्ध, अवैधानिक और अपने पद का दुरूपयोग कहा जायेगा। क्योंकि जिन अधिकारियों से एन.ओ.सी.आहूत की गयी, वे सभी मुख्य लेखा अधिकारी के ही अधिनस्थ कर्तव्य निर्वहन करते है। वे मुख्य लेखा अधिकारी के प्रभाव में रहते हैं और उनसे उपकृत रहते हैं।
सूत्रों के अनुसार मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर.मिश्रा का यह अकेला कारनामा नहीं है। इससे पहले साडा में नियुक्ति से लेकर प्रमोशन तक उनके द्वारा विभिन्न स्तरों पर गड़बड़ी करने की जानकारी समय-समय पर सामने आती रही है। हालांकि ऐसे सभी मामले समय के साथ गर्त में समा गये। अब पी.आर.मिश्रा ताजा मामले को लेकर निगम के गलियारों में चर्चा में हैं। लोगों का कहना है कि नगर निगम कोरबा में इससे पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को रिटायर होने से पहले अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। पहली बार नगर निगम  में ऐसा चमत्कार हुआ है। पूर्व मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर.मिश्रा के द्वारा इस तरह का नोटशीट चलाकर एन.ओ.सी.आहूत करने के संबंध में नगर निगम के आयुक्त एस.जयवर्धन से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है।