नई दिल्ली / राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष सांसद हनुमान बेनीवाल ने शनिवार को एनडीए छोड़ने की घोषणा की है। बेनीवाल ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि देशभर का किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से सड़क पर हैं। किसान तेज सर्दी में सड़क पर बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी अनदेखी कर रही है।
उन्होनें कहा कि किसानों का स्वाभिमान ही मेरी ताकत है। किसान कानूनों को लेकर किसानों का विराध प्रदर्शन अभी भी जारी है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव भेजा है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने यह जानकारी दी। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता टिकैत ने हालांकि कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
इससे पहले किसानों के मुद्दे पर ही एनडीए के सहयोगी दल अकाली दल ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। एनडीए के सभी सहयोगी दलों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, जो किसानों को कृषि कानून के लाभ समझाने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सिंघू बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने यह जानकारी दी। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता टिकैत ने हालांकि कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए। टिकैत ने कहा, ‘‘हमने 29 दिसंबर को सरकार के साथ वार्ता करने का फैसला किया है।”