छत्तीसगढ़ में जंगलराज का एक और कारनामा ,  राजकीय पशु वन भैसों को खिलाई जाती है सेक्स वर्धक दवाईयाँ , ओवर डोज से वन्य जीवों की मौत का सिलसिला थामे नहीं थम रहा , फिर गई एक की जान , जांच के निर्देश अब तक नहीं  

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गरियाबंद / छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली चर्चा का विषय बनी हुई है | वन विभाग के अफसर अपने मूल विभाग में रहे या फिर प्रतिनियुक्ति पर अन्य सरकारी विभागों में | लेकिन उनकी कार्यप्रणाली जंगलराज के ढर्रे पर ही चलती है | ताजा मामला गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण का है | यहां  राजकीय पशुओ की मौत का सिलसिला थामे नहीं थम रहा है | बीती रात को अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में आशा नामक मादा वनभैंसा की मौत हो गई है | सरकारी देखरेख में यहां साल भर में लगभग आधा दर्जन वन भैंसे दम तोड़ चुके है | प्रदेश के राजकीय पशु वन भैंसे की लगातार मौत की पड़ताल में जुटे वन्य जीव विशेषज्ञों का दावा है कि इन्हे सेक्स टॉनिक दिए जाने के घातक परिणाम सामने आ रहे है | 

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर और बाघ रिसर्चकर्ता तीव कुमार सोनी के द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में वनभैंसों को सेक्स वर्धक दवाईयाँ खिलाने का आरोप लगाया है | उनका आरोप है की सेक्स वर्धक दवाईयाँ के ओवर डोज दिए जाने के कारण ही मादा वन भैसा आशा की मौत हुई है | वर्ष 2005 में वन विभाग के अधिकारियों ने शासन को बताया था की उदंती अभ्यारण्य में 61 वन भैंसे है परन्तु दिल्ली से आये वाईल्ड लाईफ टास्क फ़ोर्स ने जब जांच पड़ताल किया तो उदंती अभ्यारण्य में केवल 7 वन भैंसे ही पाए गए थे | उनके मुताबिक इस दौरान से अधिकारियों पर वन भैसों की संख्या बढाने के लिए काफी दबाव है | इसके बाद अधिकारियों ने वन भैसों की संख्या बढाने के लिए वन भैसों को सेक्स वर्धक दवाईया और स्टेराईड खिलाना शुरू कर दिया है | ताकि दवाईया खा कर वन भैसे अधिक से अधिक प्रजनन करे | उनका दावा है कि मंगलवार को फिर सेक्स वर्धक दवाईया के ओवर डोज दिए जाने के कारण राजकीय पशु वन भैसे आशा की मौत हो गयी है |

अभ्यारण के मुख्य द्वार से लगभग 200 मीटर भीतर जंगल में ट्रेकरो ने आशा को मृत पाकर इसकी सूचना अफसरों को दी | हालांकि डब्ल्यूटीआई से नियुक्त चिकित्सक आर पी मिश्रा ने इस मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि आशा उम्र दराज होने के कारण लंबे समय से बिमारी से ग्रसित थी | उनके मुताबिक बीमारी का उपयुक्त इलाज भी जारी था | जिले के उदंती अभ्यारण में पहले जुगाडू, फ़िर श्यामू अब वंश वृद्धि करने वाली आशा की मौत होने से वन विभाग सवालों के घेरे में है | एक साल के भीतर तीन राजकीय पशु की मौत से अभ्यारण्य प्रशासन पर उँगलियाँ उठ रही है | जबकि एक अन्य वन भैंसा प्रिंस भी बीमार चल रहा है | उसकी आंखों में संक्रमण बताया  जा रहा है | जुगाडू और श्यामू के बाद आशा की मौत ने राजकीय पशु की संख्या बढ़ाने चलाये जा रहे अभियान व उसमें फूंके जा रहे करोड़ों रूपये के खर्च पर सवाल खड़ा कर दिया है