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*बड़ी खबर: छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में जासूसी कांड बीजेपी सरकार के प्रति वफादारी का संकट, ऑनलाइन इंटरसेप्ट करने वाले सर्वर का डाटा हथियाने में जुटे 3 वरिष्ठ IPS अफसर, खुलासा…*

रायपुर । छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार को सत्ता में बैठे महज 2 माह ही बीत पाया है, लेकिन उसके दुश्मनों की संख्या दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति कर रही है। हालात यह हो गई है कि मुख्यमंत्री सचिवालय और पार्टी के कई नेताओं की जासूसी करने के प्रयास भी जोर शोर से शुरू हो गए हैं। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि मौजूदा सरकार को किसी भी मामले में लपेटे जाने के लिए पुलिस मुख्यालय ही षडयंत्र का केंद्र बन गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति वफादारी दिखाने के बजाए पुलिस के कुछ चुनिंदा अफसर पूर्व की भू-पे सरकार के प्रति निष्ठा दिखाने में अभी भी पीछे नही है।

सूत्रों के मुताबिक पुलिस मुख्यालय में तैनात कुछ IPS अफसर छत्तीसगढ़ सरकार में प्रभावशील लोगों की जासूसी करने में जुटे हैं। इसके लिए NTRO की सहायता से नक्सलियों की गतिविधियों को ऑनलाइन ट्रैक करने वाले सर्वर को अपने कब्जे में लेने के लिए जुटे हुए हैं। मंसूबा साफ है,इसके जरिए बीजेपी नेताओं, सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री समेत उनके सचिवालय में पदस्थ कई अफसरों की जासूसी करने का बीड़ा उठाया गया है।

सूत्र बताते हैं कि भू-पे सरकार के कार्यकाल में फोन टेपिंग और साइबर क्राइम के नाम पर कई नागरिकों की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप किया गया था। इस गैर कानूनी कार्य को अंजाम देने वाले ASP अभिषेक माहेश्वरी को ही NTRO सर्वर का डाटा चुराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्र बताते हैं कि यह कार्य भी प्रगति पर है। रायपुर में पदस्थ रहे अभिषेक माहेश्वरी का नाम महादेव ऐप समेत दूसरे अपराधों में भी लिप्त पाया गया है।इस ASP को हाल ही में राज्य सरकार ने रायपुर क्राइम ब्रांच से पुलिस मुख्यालय स्थानांतरित किया था। लेकिन पुलिस मुख्यालय में उसे इतना महत्वपूर्ण कार्य सौंपे जाने का खुलासा गौरतलब बताया जाता है। देखें दस्तावेज

सूत्र बताते हैं कि विष्णुदेव साय सरकार से भीतर ही भीतर नाराज चल रहे 3 IPS अधिकारियों ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए ASP अभिषेक माहेश्वरी को NTRO ट्रैकर का डाटा हथियाने के लिए खुली छूट दे दी है। देखें दस्तावेज

सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय की SIB शाखा में इन दिनों अभिषेक माहेश्वरी कथित तौर पर उन अफसरों को प्रताड़ित कर रहे हैं, जो NTRO सर्वर डाटा के प्रबंधन में जुटे हुए हैं।पुलिस मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि मौजूदा बीजेपी सरकार के लिए इस ट्रैकर के डाटा से छेड़छाड़ काफी महंगा साबित हो सकता है। लिहाजा इस मामले की उच्च स्तरीय जांच बेहद महत्वपूर्ण है।

सूत्र बताते हैं कि सर्वर में कांग्रेस के कई ऐसे नेताओं का डाटा भी मौजूद है,जिनका नक्सलियों के साथ सीधा संपर्क था। इसमें खास तौर पर कुछ वो चुनिंदा नेता भी शामिल हैं जो की कम्युनिस्ट विचारधारा से भी प्रेरित बताए जाते हैं। इसमें कांग्रेस सरकार के सलाहकार रुचिर गर्ग, विनोद वर्मा और शैलेश नितिन त्रिवेदी का नाम भी शामिल बताया जाता है।सूत्र बताते हैं कि इस सर्वर को क्रैक करने के लिए अभिषेक माहेश्वरी द्वारा दिल्ली और पुणे के कई साइबर विशेषज्ञों की भी सहायता ली जा रही है।

सूत्रों द्वारा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह बताया जा रहा है कि इस सर्वर के साथ छेड़छाड़ या डाटा प्राप्ति तभी संभव है जब मुख्यमंत्री अथवा गृहमंत्री इसके लिए DGP को हरी झंडी प्रदान करें। सूत्रों का पुख्ता दावा है कि NTRO सर्वर के प्रबंधन और उसके डाटा प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई भी आदेश या निर्देश छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय को नही दिए गए हैं। बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय में पदस्थ DGP के अलावा किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी डाटा एकत्रित करने के लिए ASP अभिषेक माहेश्वरी को अधिकृत तक नही किया है। ऐसे में उनके द्वारा सर्वर प्रबंधन कक्ष में दाखिल होकर डाटा हथियाने का प्रयास करना कई संदेह पैदा कर रहा है। इस अफसर की कार्यप्रणाली से DSB स्टॉफ सकते में है। सर्वर और डाटा के रख-रखाव को लेकर स्टॉफ चिंतित बताया जाता है।पुलिस सूत्र बताते हैं कि इस सर्वर का उपयोग दागी IPS अफसर बीजेपी सरकार और उससे सहानुभूति रखने वाले सरकारी अफसरों, कारोबारियों और विशिष्ठ जनों की जासूसी करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अंदेशा यही जाहिर किया जा रहा है। उनके मुताबिक बगैर किसी विधिवत आदेश के सर्वर और उसका डाटा हथियाने की कोशिशें संदेहजनक है।

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद 3 IPS अधिकारियों क्रमशः शेख आरिफ, अजय यादव और तत्कालीन खुफिया प्रमुख आनंद छाबड़ा ने NTRO सर्वर की जांच प्रारंभ की थी। इस दौरान सर्वर प्रिंटर समेत कई सामानों की जब्ती नायब तहसीलदार की उपस्थिति में बनाई गई थी। डेटा सर्वर को ट्रैक करने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कवि गुप्ता को तैनात किया गया था। वे पुलिस मुख्यालय में तकनीकी सेवाओं के प्रभारी थे, लेकिन कवि गुप्ता इस सॉफ्टवेयर को क्रैक नही कर पाए थे। इसे क्रैक करने के लिए स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के करीबी रिश्तेदार इंस्पेक्टर नरेश पटेल ने भी खूब माथा पच्ची की थी। लेकिन वे भी असफल रहे।

हालाकि कांग्रेस सरकार में इस सर्वर का नियंत्रण अपने हाथो में लेने के बाद दागी IPS और जूनियर अधिकारियों का एक गिरोह पुलिस मुख्यालय और बघेल सरकार, दोनों पर पूरे पांच साल तक हावी रहा। बताते हैं कि अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग कर 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख़ आरिफ, खुफिया प्रमुख आनंद छाबड़ा और अजय यादव तीनों ही तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रणनीतिकार और षड्यंत्रकर्ता बन गए थे।

सूत्र बता रहे हैं कि अब यही दागी अफसर बीजेपी सरकार में कोहराम मचा रहे हैं। उनकी कार्यप्रणाली से पुलिस मुख्यालय में भी कई विवादों का जन्म शुरू हो गया है।पुलिस मुख्यालय के साइबर सेल में इन अफसरों का अघोषित कब्जा होने से हड़कंप है।

बताते हैं कि ASP अभिषेक माहेश्वरी इन अफसरों के निर्देश पर सर्वर का डाटा हथियाने में जोर शोर से जुटे हुए हैं। यही नही पूर्व की कांग्रेस सरकार से संबंधित कई पुरानी निस्तियों तक को नष्ट किया जा रहा है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की फोटो कॉपी करवाई जा रही है। बताते हैं कि यह गैर कानूनी गतिविधियां राज्य की बीजेपी सरकार के लिए घातक साबित हो सकती है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक NTRO सर्वर डेटा को क्रैक किए जाने का मामला DGP अशोक जुनेजा और प्रभारी योजना प्रबंधन DG प्रदीप गुप्ता, दोनों के संज्ञान में भी है। यह सब कुछ जानते-बूझते हुए भी यह दोनों अफसर इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। बहरहाल इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया जानने के लिए न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने DGP और गृहमंत्री से भी संपर्क किया लेकिन उनका मोबाइल फोन रिसीव नही हुआ।

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