News Today Exclusive: बीच बाजार जनता को नंगा करने की इजाजत किसने दी ? छत्तीसगढ़ में बगैर किसी कायदे-कानून और प्रावधान के प्रदर्शनकारियों को नंगा कर रही है पुलिस, जनता के भरोसे की उतरती चड्डी, देखिए…

0
7

छत्तीसगढ़ में  इंसाफ की गुहार अब गुनाह साबित होने लगी है,थानों में अपराधियों को नंगा कर मारने पीटने की कई ख़बरें आपने देखी और पढ़ी होगी,लेकिन अपने अधिकारों की मांग करने वाली जनता का चीरहरण होते यदा कदा ही देखा होगा। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के बैनर तले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को भरोसेमंद बताने के लिए  राज्य का जनसम्पर्क विभाग भले ही रोजाना करोडो रूपए पानी की तरह बहा रहा हो लेकिन सडको का नाजारा देखकर प्रदर्शनकारियों पर डोलता पुलिस का विश्वास कुछ और दास्तान बयां कर रहा है,राजनीति के जानकार बता रहे है कि दिनों दिन डगमगाते विश्वास के चलते ही आम जनता को बीच बाजार नंगा करने का सिलसिला शुरू हो गया है,बावजूद इसके मानवधिकारों की वकालत करने वाले ही चुप्पी साधे हुए है। 

रायपुर / बलरामपुर : छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव 2023 की हुंकार सुनाई देने लगी है, कयास लगाया जा रहा है कि आदर्श अचार संहिता प्रभावशील होने में बामुश्किल कुछ महीने ही का वक्त शेष बचा है। ऐसे दौर में सरकारी कर्मचारी हो या फिर गैर सरकारी जनता, वर्ष 2018 के वादों को पूरा करने की मांग को लेकर सड़को पर उतरने लगी है।

राज्य के लगभग सभी जिलों में ज्यादातर लोगो ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यो का लेखा-जोखा लेना भी शुरू कर दिया है। दिन में जनता की निगाहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हर उस कदम पर है,जो कैमरे के सामने आयोजित-प्रायोजित शो के जरिए नजर आ रहा है। लेकिन राज्य में लोकतंत्र की बीच बाजार उतरती चड्डी तीसरी आंख में कैद हो जाने के बावजूद सरकार ज़रा भी आत्मग्लानि महसूस नहीं कर रही है। बताते है कि यह शर्म का विषय नहीं बल्कि गर्व और प्रेरणा का मामला है, सरकार पर जनता का अटूट भरोसा सडको पर नहीं तो बाथरूम में थोड़े ही नजर आएगा। 

दरअसल, छत्तीसगढ़ पुलिस का काम इन दिनों सरकारी हमाम में सिर्फ प्रदर्शनकारियों को नंगा करने का रह गया है। घटना बलरामपुर की है, पुलिस के द्वारा प्रदर्शनकारियों पर खास अंदाज़ में वाटर कैनेन से हमले किए जा रहे है, इसमें सडको पर नंगा करने,मारपीट, फर्जी मामलों में फंसाकर अथवा पूछताछ के नाम पर प्रदर्शकारियों को अनावश्यक आड़े लेना छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली बन गई है। 

बताते है कि प्रदेशभर में सरकार की पोल खोलने वाले लोगो की पेंट उतारने के लिए रायपुर और भिलाई में तैनात अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ चुनिंदा अधिकारियो की मुहिम अब रंग दिखाने लगी है। बताते है कि खास फरमान के बाद बीजेपी के एक चर्चित नेता का सरेराह पिछवाड़ा देखकर लोगो को हैरानी हो रही है।

बलरामपुर में प्रदर्शन के दौरान उस समय असहज स्थिति निर्मित हो गई जब पुलिस ने वाटर कैनन से प्रदर्शनकारियो की धुलाई शुरू की। देखते ही देखते इस शख्स की पेंट कमर से नीचे खिसक गई, इसके बाद पीड़ित शख्स सड़क में नहीं बल्कि पुलिस के हमाम में नजर आया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वादाखिलाफी से नाराज प्रदर्शनकरियो को कतई उम्मीद नहीं थी कि लोकतंत्र में इंसाफ की आवाज़ उठाने पर जनता की हिफाजत में जुटा पुलिस का अमला उन्हें नंगा भी कर सकता है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अशोभनीय नज़ारे को देखने के उपरांत भी जिम्मेदार पुलिस के अधिकारियो ने भी अपनी नज़रे फेर ली शायद इंसाफ की गुहार का चीरहरण कानून की आँखों से नहीं देखा जा सकता था,उसे तो तीसरी आंख ही अपने नजरो में कैद कर सकती थी।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से रूबरू होते हुए कई कर्मचारी नेता तस्दीक करते है कि मुख्यमंत्री बघेल की वादाखिलाफी याद दिलाने पर घोर आमनवीय यातनाओ का दौर शुरू हो जाता है, महिलाओ और पुरुषो को निशाना बनाकर नंगा किया जा रहा है, कभी वाटर कैनन की बौछार का शिकार बनाकर तो कभी पुलिस कर्मियों द्वारा की जा रही हाथापाई से जनता का चीरहरण हो रहा है, पीड़ितों में सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि दर्जनों ऐसी महिलाएं है, जो धरना प्रदर्शन के दौरान नंगी की जा रही है, ऐसे पीड़ितों का चीरहरण देखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार का बांछे खिलना उनके रणनीतिकारो के जहां मैडल और पदोन्नति सुनिश्चित कर रहा है,वही पीड़ितों को जीवनभर का जख्म भी दे रहा है।  

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से पीड़ित को नंगा करने की सामने आ रही यह तस्वीर लोकतंत्र की जीती जागती वो नजीर है,जो सहज आँखों से देखना घिनौना साबित हो सकता है, लेकिन पुलिस की नजरो में सब कुछ जायज है, जनाक्रोश कुचलने के मौखिक निर्देश जो है,भले ही किसी की इज्जत क्योँ ना उतर जाए ?      

बताते है कि भूपेश बघेल मुख्यमंत्री है तो पुलिस के लिए गैरकानूनी मोर्चों पर जनता का चीरहरण   मुमकिन और मुनासिब भी है,वर्ना कौन राजा अपनी प्रजा को बीच बाजार नंगा होते देखना चाहेगा। छत्तीसगढ़ में प्रदर्शकारियों पर इस तरह की पुलिसिया बर्बरता का आम नजारा देखने को मिल रहा है।  कई लोकसेवक इसका शिकार हो रहे है, बताते है कि सरकारी कर्मचारियों के दर्जनों संगठन अपनी मांगे मनवाने के लिए इन दिनों सडको की लड़ाई लड़ रहे है|

ये भी पढ़ें : सरकारी नक्कार ख़ाने में पत्रकार सुनील नामदेव

बताते है कि पुरुषो और महिलाओ का रेला मुख्यमंत्री की नींद उड़ा रहा है,इसकी रोकथाम के लिए प्रदर्शनकारियों की पुलिसिया हमाम में जमकर धुलाई की जा रही है, इसमें महिलाओ तक को नहीं बख्शा जा रहा है,उन्हें भी नंगा करने में कोई गुरेज नहीं किया जा रहा है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक कई कर्मचारी संगठनों ने पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन को शिकायत कर रहे है,लेकिन कोई उपचार नहीं मिल रहा है। 

बताते है कि अधिकारियो के संज्ञान में जनता को नंगा करने की घटनाओं से वाकिफ कराए जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली में कोई अंतर नहीं आया है। अशोभनीय घटनाओ पर काबू पाने के कोई सरकारी प्रयास नहीं किए गए। अलबत्ता पीड़ितों के खिलाफ ही जनभावनाओं को भड़काने के आरोपों का शिकंजा कस कर उन्हें काल कोठरी में ठूंस दिया जा रहा है। पीड़ित हैरान है कि जिम्मेदार नौकरशाहो के इशारो पर ही सरकारी संरक्षण में जनता को नंगा करो अभियान शुरू किया गया है, इसके तहत उन लोगो की सरकारी हमाम में जमकर धुलाई हो रही है, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नींद में खलल पैदा कर रहे है। 

राजनीति और प्रशासनिक गतिविधियों के जानकार बताते है कि राज्य में भूपेश बघेल को दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने का जिम्मा छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ चुनिंदा अधिकारीयों ने अपने कंधो पर उठाया है, ये अधिकारी उन लोगो पर खौफ पैदा कर रहे है,जो कांग्रेस सरकार के कामकाज से नाराज है, बघेल के लिए राजनैतिक चुनौतियां पेश करने वाले लोग हो, या फिर केंद्रीय जांच एजेंसियों के वांटेड आरोपियों की पोल खोलने वाले पीड़ित, ऐसे कई महत्वपूर्ण लोगो और गवाहों को ठिकाने लगाने के लिए पुलिस तंत्र का जमकर दुरूपयोग किया जा रहा है, बावजूद इसके पुलिस मुख्यालय मौन है।

राज्य के प्रभावित इलाको में ग्राउंड जीरो का जायजा हैरान करने वाला है,मानवधिकारों का हनन कर लोकतंत्र के हिमायतियों को फर्जी मामलों में जेल में ठूंसा जा रहा है। न्याय की गुहार लगाने वालो के ही बुरे हाल है,जबकि सुपर सीएम सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा जैसे नौकरशाहों की ही पौ बारह है, बताते है कि चीफ सेकेट्री कार्यालय में टुटेजा के फरमानो की फ़ौरन सुनवाई हो रही है, लेकिन अन्य लोकसेवको की शिकायतों पर संज्ञान लेने वाला कोई नहीं, वो भी तब जब सरकारी कर्मचारी अपनी जायज मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन जैसे मामलों में भी कायदे-कानूनों का पालन कर रहे है। 

बताते है कि मौजूदा सरकारी मशीनरी में कर्मचारियों की ही पुलिसिया हमाम में धुलाई का दौर शुरू हो चुका है, कई कर्मचारी नेताओ और प्रदर्शनकारियों के पता ठिकानो पर खाकी वर्दीधारी लठैतो की चौकसी बढ़ा दी गई है, दिन-रात पुलिस का कडा पहरा उन पर बैठा दिया गया है। प्रदर्शनकारियों को पुलिसिया नाफ़रमानी की सजा मौके पर ही नंगा करके दी जा रही है।

सरकारी ना’फ़रमानी की सजा मौके पर दिए जाने के दिशा निर्देश भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी नहीं किए गए है। बताते है कि इंसाफ की आवाज़ दबाने के लिए मारपीट और बदनाम किए जाने के तमाम हथकंडे फेल होने के बाद बगैर किसी लिखित आदेश के छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को नंगा कर बखूबी धुलाई की जा रही है,ढेरो शिकायतों के बावजूद सडको पर खाकी वर्दी का कहर थामे नहीं थम रहा है। 

वरिष्ठ पुलिस सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुट्ठी भर विश्वासपात्र IAS-IPS अधिकारियों ने कांग्रेसी रंग में खाकी वर्दी की आन बान और शान का विलीनीकरण कर दिया है,इनके द्वारा जनता और जनप्रतिनिधियों को ही नंगा करने का फैसला लिया गया है, इसके लिए पुलिस तंत्र की ताकत का इस्तेमाल किया जा रहा है|

ED के दफ्तर में पुलिस के ख़ुफ़िया विभाग के 2 कर्मी जासूसी के आरोप में विधिवत नामजद भी किए गए है. प्रवर्तन निदेशालय ने सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका में सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाई कोर्ट को दोनों कर्मियों का नाम भी बताया है। जबकि निलंबित और रिटायर ADG मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में अवैध फोन टेपिंग से जुड़े दस्तावेज पेश कर IPS अधिकारी आनंद छाबड़ा और शेख आरिफ की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान भी खड़े किए थे।

सूत्र बताते है कि राज्य में कोल खनन परिवहन घोटाले और आबकारी घोटाले समेत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ दर्ज तमाम आपराधिक मामलों को रफा-दफा करने और गवाहों को ठिकाने लगाने के मामलों से जुडी इन अफसरों की कई चैट भी इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है। बताते है कि PHQ की कमान जूनियर अधिकारियो के हाथो में आ जाने के चलते जनता के चीरहरण की घटनाओ में तेजी आई है।

चर्चा है कि राज्य में चुनावी बयार के बीच मुख्यमंत्री के खिलाफ बह रही राजनीतिक हवा को थामने के लिए शासन-प्रशासन की शक्तियों का बेजा इस्तेमाल हो रहा है,  धरना प्रदर्शन में सरकार के तय मापदंडों को दरकिनार कर पुलिस बर्बरता में उतर आई है, पुलिस सूत्र ऐसे मामलों को किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिए जाने की साजिश से भी जोड़कर देख रहे है, उन्हें आशंका है कि निजता के उल्लंघन के बढ़ते मामले पुलिस संस्थान के लिए भी गले की फ़ांस साबित हो सकते है।

सूत्र बताते है कि राज्य में फर्जी अपराधों की बाढ़ और राजनैतिक साजिशो को अंजाम देने के मामलों में गिने चुने अधिकारी और उनकी कार्यप्रणाली खूब सुर्खियां बटोर रहे है। यह भी बताते है कि राजनैतिक आंदोलनों को फेल करने तो कभी इंसाफ की आवाज़ कुचलने के लिए पुलिस के सीक्रेट फंड का भी पूरा-पूरा उपयोग किया जा रहा है,सालाना करोडो के हेर-फेर वाले इस बजट की सीक्रेट ऑडिट की जांच कराए जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है।

ये भी पढ़ें : “भू-माफिया पदवी” की नारेबाजी के बीच ओलम्पिक संघ से भी खदेड़े गए केबल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा

पुलिस तंत्र को राजनेताओ का खिलौना बनाने वाले अफसरों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाने की सिफारिश भी विभाग के कई जानकार जोरशोर से कर रहे है। उनका मनना है कि पुलिस मुख्यालय और चीफ सेकेट्री कार्यालय के घुटने टेक देने के चलते प्रशासनिक कामकाज IT-ED और CBI के आरोपियों के हाथो में आ गया है, राजनीतिक दबाव में कई अधिकारी बगैर किसी प्रावधान और लिखित आदेश के पुलिस के हमाम में जनता की नंगा होते तक धुलाई कर रहे है। 

फिलहाल बलरामपुर में पीड़ित प्रदर्शनकारियो को बीजेपी का समर्थन मिला है, मुख्य विपक्षी दल के कई नेता पीड़ित लोकसेवको के हाथो में अपना हाथ थमा रहे है, जबकि पीड़ितों की आंखे अन्य विपक्षी दलों की राह तक रही है, उन्हें उन प्रेस-मीडिया की भी बांट जोहनी पड़ रही है,जो लोक तंत्र के हिमायती होने का दम भरते है,लेकिन ग्राउंड जीरो से उनकी दूरिया सदैव बरक़रार रहती है।

बहरहाल न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ऐसे किसी भी वीडियो फुटेज और तस्वीरो की आधिकारिक पुष्टि नहीं करता, जो जनभावनाओं को भड़काने में शामिल होते है। पाठको को खबरों और हकीकत से रूबरू कराने के लिए समाचार सामग्री इस्तेमाल की गई है,इस मामले में किसी भी पीड़ित की पहचान और पुष्टि हमारे संवाददाता द्वारा नहीं की जा रही है,जो देखा,वो लिखा और दिखाया।