
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन बिल पेश किए, जिनमें गंभीर अपराधों में गिरफ्तार होने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनके पद से हटाने का प्रावधान शामिल है। बिल पेश होते ही सदन में विपक्ष के नेताओं ने जोरदार विरोध किया और हंगामा खड़ा हो गया।
विपक्षी सांसद असदुद्दीन ओवैसी, मनीष तिवारी, एनके प्रेमचंद्रन, धर्मेंद्र यादव और केसी वेणुगोपाल ने इन विधेयकों को असंवैधानिक बताते हुए इसका पुरजोर विरोध किया।
शाह का जवाब और हंगामा
विपक्ष ने शाह से सवाल किया कि क्या उन्होंने गुजरात का गृह मंत्री रहते नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था। शाह ने स्पष्ट किया, “हां, मैंने नैतिकता के आधार पर गुजरात के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और तब तक कोई संवैधानिक पद नहीं लिया जब तक कोर्ट से बरी नहीं हुआ।”
विपक्षी सांसदों ने बिलों को फाड़कर शाह के सामने फेंक दिया। हंगामे को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को भंग कर दिया।
विपक्ष का दावा
ओवैसी ने कहा कि ये बिल प्रथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और लोगों के सरकार चुनने के अधिकार को कमजोर करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार पुलिस राज्य बनाने पर तुली हुई है और चुनी हुई सरकार पर यह विधेयक मौत की कील ठोंकने जैसा है।
पेश किए गए तीन बिल
केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) बिल 2025
संविधान (130वां संशोधन) बिल 2025
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025
ये बिल 30 दिनों के लिए हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रावधान रखते हैं।