रायपुर : छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की लूटमार देश भर में चर्चा में है। भारत सरकार भी अपने अफसरों के कारनामे देख -सुनकर सकते में है। प्रदेश में 4 साल के भीतर बेलगाम नौकरशाही पर नकेल कसने के लिए अब तक लगभग सभी एजेंसियां वैधानिक कार्यवाही में जुटी है। बची कूची एक दो केंद्रीय एजेंसियां भी यहाँ आने की राह तक रही है। अभी तक NIA ,सीबीआई और रॉ का आना ही शेष बचा है। जबकि DRI, IT -ED को प्रदेश में शानदार सफलता मिल रही है।
सूत्रों के मुताबिक NIA को मुखबिरी फंड के राजनैतिक इस्तेमाल और टेरर फंडिंग से जुड़े अफसरों की तलाश है। यही नहीं एक एजेंसी को भी अंतरराष्ट्रीय सट्टा गिरोह ”महादेव एप” के वर्दीधारी सरंक्षकों के साथ साथ केंद्रीय मदद से संचालित मुखबिरी फंड के राजनैतिक इस्तेमाल करने वालो की तलाश है। बताया जाता है कि नगदी के रूप में ठिकाने लगाया जाने वाला करोडो रूपया ही ब्लैकमनी बन गया है। इस रकम का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला जैसे कारोबार में हो रहा है। केंद्रीय एजेंसियों के लिए यह मामला किसी टेरर फंडिंग से कम नहीं है।
सूत्र बता रहे है कि रायपुर में एक अफसर के ठिकानो पर NIA की रेड की अटकले लगाई जा रही थी। लेकिन इसके पहले ही साहब जी यहाँ से दुर्ग खिसक लिए है। इन साहब की महिमा किन लोगो पर बरस रही है, इसकी पड़ताल जारी है। सूत्र बताते है कि मुखबिरी फंड का एक बड़ा हिस्सा राजनैतिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। पिछले लगभग दो सालो से इस फंड का जरुरतमंदो के हाथो में ना पहुंचने से सरकार के अरमानो पर पानी फिर गया है। बताते है कि इस फंड की उपयोगिता परखने के लिए स्पेशल ऑडिट की प्रक्रिया खबरों में है। इस बीच साहब रातो रात दुर्ग के सफर पर निकल पड़े है।