गजब का संयोग : दो साल पहले नए साल की पूर्व संध्या पर चोरी हुई कार इस वर्ष नव वर्ष पर मिली ,चोरी की कार इंस्पेक्टर साहब चलाते हुए पकडे गए , आईजी साहब ने दिए कार्रवाई के निर्देश , एक फोन ने इंस्पेक्टर पर लटकाई गिरफ्तारी की तलवार 

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कानपुर / नव वर्ष 2021 एक शख्स के लिए फलदायी साबित हुआ है | उसकी दो साल पहले चोरी गई कार अब जाकर उसके कब्जे में आने वाली है | दिलचस्प बात यह है कि चोरी गई कार कानून के उस रखवाले के कब्जे में पाई गई , जिसके कंधों पर चोरों और गुंडे- बदमाशों पर लगाम लगाने की जवाबदारी है | इंस्पेक्टर साहब के पास से चोरी की कार बरामद होने से पुलिस महकमा हैरत में है | फ़िलहाल आईजी साहब ने फौरी कार्रवाई करते हुए जांच रिपोर्ट तलब कर इंस्पेक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है | मामला कानपूर का है | 31 दिसंबर 2018 को कानपुर के रहने वाले ओमेंद्र सोनी नामक युवक की कार एक वाशिंग सेंटर के बाहर से चोरी हो गई थी | पीड़ित शख्स ने कार  चोरी की रिपोर्ट स्थानीय थाने में दर्ज कराई थी | इसके बाद पुलिस ने कार को बहुत तलाश किया, लेकिन ना तो कार मिली और ना ही चोरों का सुराग लगा | इस घटना के ठीक दो साल बाद बुधवार 30 दिसंबर 2020 की शाम पीड़ित ओमेंद्र सोनी के पास एक सर्विस सेंटर से फोन आया |  सर्विस मैनेजर ने उनसे पूछा कि क्या कार सही चल रही है ? यह सुनते ही पीड़ित का माथा ठनक गया | उसने सर्विस सेंटर पहुंचकर कार लाने वाले शख्स का ब्यौरा इक्क्ठा किया और फौरन पुलिस को मामले की जानकारी दी | चोरी की कार का मामला खुलते ही पुलिस का भी माथा ठनक गया | क्योकि चोरी की कार किसी आम व्यक्ति नहीं बल्कि एक इंस्पेक्टर के कब्जे में थी | 

बताया जाता है कि कानपुर के बर्रा थाने में पीड़ित ओमेंद्र सोनी ने अपनी कार की चोरी का मामला दर्ज कराया था | नव वर्ष के ठीक पहले सर्विस सेंटर से ओमेंद्र के पास फीडबैक कॉल आया था | दरअसल कार के चेसिस नंबर के आधार पर गाड़ी के मालिक का ब्यौरा निकालकर सर्विस सेंटर की ओर से यह फोन किया गया था | फोन पर कार की जानकारी लगते ही ओमेंद्र चौंक गए थे | उन्होंने बातचीत कर फौरन सर्विस सेंटर पहुंचे | यहाँ उन्हें पता चला कि यह कार बिठूर थाने के कोतवाल कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने सर्विस के लिए भेजी है | कार की जानकारी मिलते ही पीड़ित ओमेंद्र सोनी अपनी कार की असलियत बताने के लिए थानेदार कौशलेन्द्र प्रताप सिंह के पास पहुंच गए | 

उधर असलियत सामने आने के बाद थानेदार साहब मामला रफादफा करने में जुट गए | उन्होंने फौरन इस कार को थाने में यह कहकर खड़ा करवा दिया कि 14 दिसंबर को कार उन्हें लावारिस स्थिति में खड़ी मिली थी | उधर  मामले की हकीकत आला अधिकारियों तक पहुंच गई | अधिकारियों ने लावारिश कार को सर्विस सेंटर भेजे जाने की रिपोर्ट तलब कर ली | उधर अपने बचाव में जुटे थानेदार कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने सीनियरों को जो रिपोर्ट भेजी उसमें उन्होंने बताया कि लावारिश कार को थाने ले आया गया था | लेकिन इसी दिन इलाके में एक जगह बवाल होने से वह कार मौके पर भेजी गई थी | उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि  थाने में दूसरा वाहन ना होने के कारण यह कार बिना अनुमति के मौके पर भेजी गई | चूंकी इस कार में खराबी आ गई थी लिहाजा सर्विस सेंटर पर ठीक कराया गया और फिर से उसे थाने पर खड़ा कर दिया गया है | इंस्पेक्टर साहब की दलील अफसरों के गले नहीं उतरी | एक अन्य जांच में पता पड़ा कि कौशलेन्द्र प्रताप सिंह और उनका परिवार पिछले दो सालों से इस कार का उपयोग कर रहा है |  

उधर चोरी की कार में सवार पुलिस इंस्पेक्टर की असलियत सामने आने से यूपी पुलिस की किरकिरी होना लाजमी था | मामला संज्ञान में आते ही कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने जांच के आदेश दिए हैं | उन्होंने कहा कि इस तरह वाहन का इस्तेमाल गलत है | आईजी ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी |