छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में अकबर – बीरबल का हाथ घोटालेबाजों के साथ, गायब हुई क़्वींस क्लब और तालपुरी प्रोजेक्ट की फाइल, CAG रिपोर्ट में करोड़ों के घोटालों की पुष्टि के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई, ई -टेंडरिंग में भी 100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला, ठेकेदारों को करोड़ो का अतिरिक्त भुगतान, ब्लैक मनी की खदान बना दिया गया CGHB को, पढ़े प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट

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रायपुर / छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड मुट्ठी भर अफसरों के लिए काली कमाई का अड्डा बन गया है। इन अफसरों की कार्यप्रणाली के चलते सरकार को करोड़ों का चूना लग रहा है वही इस संस्थान की हालत कंगाली की तरफ तेजी से बढ़ रही है। घोटाले में शामिल अफसरों का दावा है कि एक प्रभावशील अजगर के संरक्षण में उन्होंने घोटालों को अंजाम दिया है। यह तथ्य भी सामने आया है कि पूरवर्ती सरकार के कार्यकाल में प्रभावशील अफसरों ने अपनी काली कमाई के लिए अजगर को पाला था। वर्ष 2018 में नई सरकार के आगमन के साथ ही यह अजगर और मजबूत एवं प्रभावशील हो गया। नतीजतन मौजूदा सरकार के कार्यकाल में भी छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में घोटालों को अंजाम देने की कवायत यथावत चलती रही।

दस्तावेज बताते है कि करोड़ों की ब्लैक मनी CGHB में अभी भी पूरवर्ती सरकार की तर्ज पर जारी है। वर्ष 2013 -14 में CAG ने छत्तीसगढ़ हाउसिंग में करोड़ों के घोटाले और अनियमितता उजागर की थी। इस पर आज पर्यन्त तक ना तो जाँच हुई और ना ही उन घोटालों पर रोक लगाई जा सकी। नतीजतन घोटालेबाजों की पौ बारह है। छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में घोटालेबाजों ने ब्लैक मनी से बड़े पैमाने पर चल अचल संपत्ति खरीदी है। उन्होंने ये संपत्ति अपने नाते – रिश्तेदारों और नौकरों के नाम कर आयकर और ईडी की आँखों में धूल झोंकने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। जानकार बता रहे है कि रायपुर नगर निगम क्षेत्र में 700 एकड़ से अधिक जमीन अकेले अजगर और उसके कुनबे के नाम पर है। 

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्ग – भिलाई स्थित तालपुरी प्रोजेक्ट में ई रेगुलर कंस्ट्रक्शन ऑफ़ बंगलोस एंड कमर्शियल कॉम्पलेक्स में टोटल वैल्यू 182 करोड़ को बेवजह फूक दिया गया। इस रकम से नियत स्थान के बजाये गरीबों के लिए आवंटित की गई जमीन पर ये बंगले और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाये गए। यही नहीं बिना टेंडर के 60 करोड़ का काम ठेकेदारों को दिया गया। जानकारों के मुताबिक इस काम को सिर्फ कागजों में ही किया गया था। यह पूरी रकम अफसरों और ठेकेदारों की तिजोरी में चले गई। CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उजागर किया कि गलत तरीके से मोबेलाइजशन एडवांस की रकम कुल 22 करोड़ 50 लाख रुपये ठेकेदारों को दिए गए। घोटाला यही नहीं थमा। जिम्मेदार अफसरों ने ठेकेदारों को 12 करोड़ 50 लाख का एक्सेस पेमेंट किया।

CAG ने वर्ष 2013 -14 के बाद जो रिपोर्ट दी है, वो भी हैरान करने वाली है। बताया जा रहा है कि भ्रष्ट अफसरों ने इस रकम से कई नेताओं और अफसरों को भी उपकृत किया है। लिहाजा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जानकार बताते है कि पूरवर्ती सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से घोटालों को अंजाम दिया जा रहा था वही स्थिति नई सरकार के कार्यकाल में भी नजर आ रही है। वर्ष 2018 -19 में अतिरिक्त कमिश्नर एच के वर्मा ने 10 करोड़ रुपये सीधे अपनी जेब में डाल लिए। बताया जाता है कि इस सरकारी रकम को डकारने के लिए उन्होंने नया पैतरा खेला। इसके लिए वर्ष 2016 -17 में जो कार्य पूर्ण हो चुके थे, उन्हें दोबारा कराने के लिए 2018 में नया टेंडर जारी किया। बोगस बाउचर के जरिये इस काम के एवज में 10 करोड़ रुपये हड़प लिए गए। इस तरह से बगैर काम किये डकारी गई रकम का बड़ा हिस्सा अजगर ने निगल लिया।

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कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही पूरवर्ती सरकार के ई टेंडरिंग घोटाले की जाँच कराई थी। इस दौरान चिप्स नामक संस्था के जरिये हुए ई टेंडरों की पड़ताल की गई। इसमें अकेला 100 करोड़ का घपला छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड का पाया गया। जानकारों के मुताबिक CGHB के एक ही लेपटॉप पर टेंडर फ्लोट हुए जबकि उसी लेपटॉप से ठेकेदारों ने भी टेंडर भरा था। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अब कुछ अफसरों और नेताओं व उनके परिजनों के लिए ब्लैक मनी की खदान बन चूका है। यहाँ घोटालों को सरेआम अंजाम दिए जाने की परंपरा बन गई है। राज्य सरकार ही नहीं बल्कि केंद्रीय जाँच एजेंसियों को काली कमाई के इस अड्डे का रुख करना होगा। तमाम घोटालों और उसकी जाँच को लेकर न्यूज़ टुडे ने पर्यावरण और वन मंत्री मोहम्मद अकबर और CGHB के कमिश्नर डॉ. अयाज तंबोली से बातचीत करनी चाही। लेकिन दोनों की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया।