रायपुर / रायपुर के ह्रदय स्थल शांति नगर की 37.06 एकड़ से ज्यादा जमीन को कौड़ियों के दाम सुनियोजित रूप से बेचे जाने को लेकर अकबर-बीरबल कटघरे में है | इस जोड़ी ने बुलंद हौसलों के साथ शांति नगर रिडेवलपमेंट योजना को सैद्धांतिक रूप से कैबिनेट से पारित करा लिया है | यही नहीं भ्रष्ट्राचार से लबरेज इस परियोजना को परवान चढ़ाने के लिए अब उन लोगों का मुंह बंद करने की कवायत शुरू हो गई है जो इस योजना की असलियत पर से पर्दा उठाकर इसके कर्ताधर्ताओं के अरमानों पर पानी फेर सकते है | लिहाजा राजनेताओं से लेकर मीडिया कर्मियों को नजराना पेश करने का खेल शुरू हो गया है | एक ओर जहां असरदार लोगों को मुफ्त में सरकारी जमीन आवंटित किये जाने का सिलसिला शुरू हुआ है ,वही कई मीडिया कर्मियों को नगद नारायण के दर्शन कराये जा रहे है | लिहाजा उपकृत लोगों में मीडिया का वो धड़ा भी शामिल हो गया है जो कौड़ियों के दाम बेचीं जा रही शांति नगर परियोजना की असलियत सामने लाने के बजाये उस पर्दा डालने के लिए जोरशोर से जुटा हुआ है |
ताजा मामला छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के द्वारा दृष्टिबाधितों के विस्तार हेतु ‘नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड रायपुर ‘नामक संस्था को मात्र 6 रूपये में 6 हजार स्कवायर फीट से ज्यादा की जमीन आवंटित करने का है | आप हैरत में पड़ जाएंगे कि अकबर-बीरबल की पकाई गई खिचड़ी का पहला स्वाद हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन कुलदीप जुनेजा ने लिया है | पुख्ता जानकारी के मुताबिक चेयरमेन कुलदीप जुनेजा के करीबी और नाते-रिश्तेदारों के एक एनजीओं को मात्र एक रूपये की दर पर 605.17 वर्ग मीटर अर्थात 6511.63 वर्ग फीट जमीन आवंटित की गई है | बताया जाता है कि जिस एनजीओं को यह जमीन आवंटित की गई है उसका नाम नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड रायपुर है | इस एनजीओं को हीरापुर इलाके की प्राइम लोकेशन में यह जमीन आवंटित की गई है |
हालांकि औपचारिकतावश हाऊसिंग बोर्ड ने कुछ शर्ते भी रखी है | हैरत वाली बात यह है कि इसके पूर्व इस एनजीओं का सिर्फ काम ही नहीं बल्कि कोई इसका नाम तक नहीं जानता था | जानकारी के मुताबिक चेयरमेन कुलदीप जुनेजा का मुंह का जायका बढ़ाने के लिए हाऊसिंग बोर्ड ने तश्तरी में परोसकर यह जमीन आवंटित की है | हालांकि दृष्टिबाधितों के हितों के लिए इस सरकारी जमीन का उपयोग होता है , तो यह रचनात्मक कदम होगा | लेकिन शांतिनगर प्रोजेक्ट को लेकर शांति बनाये रखने के लिए उठाया गया यह कदम अब चर्चा में आ गया है | न्यूज़ टुडे ने मुफ्त के भाव सरकारी जमीन के एनजीओं को आवंटित किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन कुलदीप जुनेजा से संपर्क साधा | लेकिन वे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा के अंतिम संस्कार कार्यकम में व्यस्त बताये गए | श्री जुनेजा की प्रतिक्रिया मिलते ही इस संबंध में उनका पक्ष जनता के समक्ष रखा जायेगा |
गौरतबल है कि रायपुर के व्यावसायिक-आवासीय इलाके शांति नगर में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड पीपीपी मॉडल के तहत 37. 06 एकड़ सरकारी जमीन को कुछ चुनिंदा बिल्डरों के हवाले करने की तैयारी में है | करीब 17 सौ करोड़ की इस सरकारी जमीन को अपने कब्जे में लेकर बिल्डर समूह राज्य सरकार को मात्र 168 करोड़ रूपये देगा | जबकि इसी रकम में से छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को मात्र 10 फीसदी रकम सुपर विजन फीस के रूप में मिलेगी | छत्तीसगढ़ शासन को चूना लगाने और चुनिंदा बिल्डरों को अपनी तिजोरी भरने के लिए अंजाम दी जा रही इस योजना से बेलगाम भ्रष्ट्राचार को बल मिल रहा है |
जमीन के कारोबारी बताते है कि शांति नगर इलाके में जमीन का मौजूदा बाजार भाव कम से कम 10 से 15 हजार रूपये प्रति स्कायर फीट पर आंका जाता है | ऐसे में किस पैरामीटर्स के तहत राज्य सरकार के खाते में मात्र 168 करोड़ जमा करने का फैसला लिया गया है , इसकी जांच की जानी चाहिए | जानकारों के मुताबिक 37.06 एकड़ जमीन को डेवलप कर बिल्डर अरबों की रकम कमाएंगे | जबकि हाऊसिंग बोर्ड कंगाली का सामना करेगा | जानकार बताते है कि हाऊसिंग बोर्ड का अपना बड़ा सेटअप है | कई सालों से वो हाऊसिंग प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहा है | ऐसे में पीपीपी मॉडल थोपकर उसे पंगु बनाये जाने की साजिश रची गई है | लोगों की दलील है कि पीपीपी मॉडल रद्द कर शांतिनगर प्रोजेक्ट को सिर्फ हाऊसिंग बोर्ड के हाथों में ही सौंपा जाना चाहिए |