रायपुर: छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग और गुणवत्ता विहीन कार्य होने से राज्य की एक बड़ी आबादी को पानी मुहैया होना दूभर हो रहा है,वही PHE विभाग के कर्णधार भरी गर्मी में एक विशेष बैठक आयोजित कर रहे है। इस बैठक का मकसद गरीब जनता को गर्मी में ठंडा या गर्म पानी पिलाने की योजना पर मंथन नहीं,बल्कि नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट आवंटन में यथोचित कमीशन की रकम का सुरक्षित आदान-प्रदान को मजबूती प्रदान करना है। सरकारी भ्रष्टाचार के भेद खुलने के भय से गुरु घंटाल ने अपने बंगले में ही बैठक आहूत कर ली है।
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चिंतन बैठक का एजेंडा भी कम दिलचस्प नहीं है, बताते है कि पिछले 3 माह का यथोचित कमीशन पूरा-पूरा सौंपे जाने को लेकर कई अधिकारी कन्नी काट रहे है। इनमे से कुछ ने तो उन ठेकेदारों की गर्दन मरोडनी शुरू कर दी है,जो लंबे अरसे से सिर्फ बिल सौंपकर भुगतान प्राप्त कर रहे थे।
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सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में ED के बाद भिलाई में CBI की दस्तक से गुरु घंटाल एलर्ट मोड़ पर बताया जा रहा है। इसके चलते सरकारी बैठके विभागीय दफ्तर में नहीं,अपितु भारी भरकम सुरक्षा व्यस्था के बीच गुरु घंटाल के सरकारी-गैर सरकारी आशियाने में आयोजित की जा रही है।
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बताया जा रहा है कि बंगले में आयोजित बैठक का न्यौता प्रदेशभर के कुछ खास अधिकारियो को ही भेजा गया है। इसमें ENC से लेकर SDO स्तर के सैकड़ो अधिकारी शामिल है। हालांकि, मौखिक आदेश पर इस बहुप्रतीक्षित न्यौते का पालन कितने अधिकारी करते है, यह देखना गौरतलब होगा। PHE सूत्रों के मुताबिक विभागीय सचिव समेत कई वरिष्ठ अधिकारियो को इस बैठक का न्यौता ना भेजा जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
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छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना का पथ से भटकना आदिवासी बाहुल्य इलाको की जनता पर भारी गुजर रहा है। भरी गर्मी में कई इलाको में बच्चे बड़े बूढ़े और महिलाऐं सुबह होते ही पेयजल की समस्या से जूझ रहे है। गुरु घंटाल की विशेष कृपा से सरकारी तिजोरी पर चोट पर चोट लग रही है। जनता के आम जन-जीवन से जुडी इस महत्वपूर्ण परियोजना में फैलते भ्रष्टाचार को काबू में करने के बजाए छत्तीसगढ़ सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियो का रवैया भी गौरतलब है।
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PHE विभाग और जल-मिशन से जुड़े कुछ वरिष्ठ पीड़ितों ने तस्दीक की कि पिछले 3 माह से गुरु की अवैध वसूली ठप्प है। कई अधिकारियो ने गुणवत्ता विहीन कार्यो को ना कह दिया है,वे अब नियमानुसार कार्यो पर जोर दे रहे है,लेकिन यही भ्रष्टाचार के गुरु को नागवार गुजर रहा है। वर्ष 2024 में ख़त्म होने वाली जल-जीवन मिशन योजना पर अब तक लगभग 14 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है।
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सालभर से भी कम वक्त में इस योजना की शेष बची लगभग 10 हजार करोड़ की राशि पर हाथ मारने के लिए कई राजनेताओ, नौकरशाहों,कारोबारियों और ठेकेदारों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। इसके लिए जारी निविदा टेंडर की होड़ में “पहले आओ-पहले पाओ” की कतार लगी हुई है। हालत यह है कि जन कल्याण के लिए वरिष्ठ अधिकारियो को ना बुला कर चुनिंदा अधिकारियो और ठेकेदारों को “गुरु” का न्यौता सुर्खियों में है।
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PHE विभाग के कुछ AE, E और ENC स्तर के कुछ चुनिंदा अधिकारियो ने गुरु की अवैध वसूली से जुडी चिंतन बैठक को विभाग के लिए खतरनाक बताया है। उनके मुताबिक मौखिक आदेश के तहत गुरु के नुरू-पंडा इस चिंतन को हवा दे रहे है,ऐसे में वरिष्ठ अधिकारियो को ठोस कदम उठाने चाहिए।
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वरिष्ठ अधिकारियो के मुताबिक एक तो वैसे ही राज्य को IT-ED की नजर लग गई है,ऐसे समय गुरु ने आज 31 मई,दिन बुधवार को सुबह 10 बजे से वसूली आश्रम में चिंतन करने का एक तरफा फरमान सुनाया है,वही मुँह मांगी रकम देने से इंकार कर रहे ठेकेदारों के संगठनो ने भी एजेंसियों के दफ्तरों का रुख किया है।
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पीड़ित संगठनो के मुताबिक यह चिंतन सिर्फ शुद्ध-लाभ के ब्यौरे पर आधारित है, इस बैठक को कैमरे की निगरानी में किए जाने को लेकर नई मांग भी सामने आ रही है। ऐसे में मजदूरों के मई दिवस का एक दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन और समापन दोनों को लेकर सरगर्मियां तेज है।
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उधर,छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना में भारी भ्रष्टाचार का मामला जस का तस बताया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस योजना में राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते विकास के कार्य कई इलाको में ठप्प पड़े है। ठेकेदारों ने श्रमिकों का कई महीनो का भुगतान रोके रखा है,टूटी-फूटी पाइप लाइनों की वजह से कई गांव में जल की आपूर्ति गुजरे दिनों की बाते हो गई है,यही नहीं सरगुजा और बस्तर संभाग की बड़ी आबादी जल-जीवन मिशन का पानी पीने के लिए मोहताज़ है।
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राज्य में भीषण गर्मी के दौर में कई इलाको की जनता प्यासी है,जबकि सरकार के दस्तावेजों में पानी की सतत आपूर्ति दर्ज है। न्यूज़ टुडे नेटवर्क ने जल-जीवन मिशन और उस पर सरकारी खजाने से लुटाई-बिछाई गई कई पाइप लाइन की गुणवत्ता का जायजा लिया,प्रभावित इलाको में जनता से उनकी प्यास पर चर्चा की। फिर मुख्यमंत्री कार्यालय और PHE मंत्री रूद्रकुमार गुरु के ठिकानो का भी रुख किया। लेकिन परम्परानुसार दोनों महान विभूतियों ने कैमरे से दूरियां बनाए रखी।