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दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की बैठक के बाद फिर नए समीकरण, असंतुष्ट नेताओं ने राहुल के नेतृत्व को नहीं किया स्वीकार, अभी भी गैर – गाँधी अध्यक्ष की पैरवी, पार्टी अध्यक्ष पद पर आम सहमति सिर्फ गैर गाँधी उम्मीदवार पर वर्ना चुनावी मैदान में उतरे राहुल, पिक्चर अभी बाकि है….

दिल्ली / दिल्ली में सोनिया गाँधी के आवास 10 जनपथ पर हुई बैठक के बाद नए समीकरण के आसार तेज हो गए है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अंतरकलह से निपटने और नए सियासी जंग के लिए राहुल गाँधी की ताजपोशी के लिए तैयार होने की कवायद तो की लेकिन अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं है कि पार्टी में राहुल को लेकर आम सहमति बनेगी। बताया जा रहा है कि शनिवार को पार्टी के बड़े नेताओं ने इस बैठक में अपनी राय जाहिर की है। लेकिन राहुल को दोबारा कमान दिए जाने को लेकर अपनी सहमति जाहिर नहीं की है।सूत्र बताते है कि 10 जनपथ की बैठक समाप्त होने के बाद कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आपसी संवाद के बाद रणदीप सुरजेवाला के उस बयान को ख़ारिज किया है, जिसमे उन्होंने राहुल को अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर 99. 9 फीसदी कोंग्रेसियों के तैयार होने का दावा किया है। हालाँकि इस मामले में पार्टी को फजीहत से बचाने के लिए असंतुष्ट नेताओं की ओर से कोई अधिकृत बयान मीडिया को नहीं दिया गया है।

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बताया जाता है कि बैठक तो ठीक ठाक संपन्न हो गई। लेकिन असंतुष्ट नेताओं के रुख से पार्टी के सामने अभी भी सवाल ये है कि सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी कौन होगा ? क्या राहुल गांधी नई जिम्मेदारी संभालने के लिए योग्य है ? सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सोनिया गांधी ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है। सोनिया आम सहमति से अध्यक्ष पद का फैसला चाहती हैं. इसके लिए विरोधी गुट की मांगो पर विचार करने के लिए पार्टी तैयार हो गई है। लेकिन पूरी तरह से नहीं। सूत्रों के मुताबिक नए पार्टी अध्यक्ष के लिए किसी भी गैर गाँधी परिवार के उम्मीदवार की मांग अभी भी जारी है। ये और बात है कि विरोधियों को संदेश देने के लिए पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रणनीतिक तौर पर राहुल के समर्थन में यह कहकर हवा बनाई है कि 99. 9 फीसदी कांग्रेसी चाहते है कि राहुल ही अध्यक्ष बने। असंतुष्ट खेमा इसे ख़याली पुलाव बता रहा है। इसका मतलब ये भी हुआ कि कांग्रेस में विरोधी गुट राहुल को लेकर अभी भी तैयार नहीं है।

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हालाँकि असंतुष्ट नेता अब की बार सतर्कता बरतते हुए सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी और ट्वीट से बच रहे है। उनकी दलील है कि चार महीने के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोनिया गांधी ने कांग्रेस के भविष्य और असंतुष्ट खेमे से मिलकर संवाद की तैयारी दिखाई है।बताया जाता है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष की ओर से बैठक का एजेंडा पहले से ही तय था। मसलन पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा ? कब होगा और कैसे होगा ? राहुल के विरोध में झंडा उठाए नेताओं को पार्टी के एक गुट ने बता दिया था कि मुहर गाँधी परिवार पर ही लगेगी। उधर असंतुष्ट खेमा भी इस बैठक में अभी नहीं तो कभी नहीं के संकल्प के साथ शामिल हुआ था।

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सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में गुलाम नवी आजाद ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि पार्टी में बड़ा बदलाव वक्त की मांग है। पार्टी को एक अदद चुनावी जीत के साथ एक जागरूक नेतृत्व की तलाश है। साफ है कि कांग्रेस में विरोध का झंडा उठाए नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की मांग दोहरा दी है। उधर सोनिया गांधी, पार्टी में आम सहमति से अगला अध्यक्ष चुनने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उनकी प्राथमिकता में सिर्फ गाँधी परिवार है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में फैसला लिया गया है कि जनवरी के अंत और फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हो सकता है। लेकिन अध्यक्ष पद को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश तभी होगी जब उम्मीदवार गाँधी परिवार से हो।

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सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने बैठक में साफ कर दिया कि पार्टी का अगला अध्यक्ष तो चुनाव से ही आएगा। यही नहीं पार्टी में दी गई हर जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने हामी भरी। फ़िलहाल आगामी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के संकल्प के साथ यह बैठक तो संपन्न हो गई। लेकिन इस बैठक के बाद अब होने वाली असंतुष्टों की बैठक और रणनीति पर राजनीतिज्ञों की निगाहे है।

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