
दिल्ली / रायपुर : ”गलती कानून में नहीं बल्कि इसका इस्तेमाल करने वालों में है” दो टूक इन वाक्यों से सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री की दूसरी याचिका को भी खारिज कर दिया है। पिछले हप्ते भी शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री पिता – पुत्र से जुडी एक याचिका को ख़ारिज कर तगड़ा झटका दिया था। कोर्ट ने अब दूसरी याचिका को भी सुनवाई के बाद, कानून का रास्ता दिखाया गया है। जानकारी के मुताबिक अब आरोपी पिता – पुत्र अपने बचाव के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खट -खटा रहे है। जबकि एजेंसियां वैधानिक कार्यवाही में जुटी बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि बचाव के तमाम क़ानूनी उपचार फेल होने के बाद विभिन्न घोटालों के आरोपियों और संदेहियों पर एजेंसियों का शिकंजा कसने लगा है।

सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री को भी ED जल्द समन जारी कर सकती है। उनसे व्यापक पूछताछ के आसार है। पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकाने पर ED और सीबीआई की छापेमारी के बाद कई आपत्तिजनक दस्तावेज और नगदी बरामद हुई थी। नगद रकम गिनने के लिए ED को करंसी काउंटिंग मशीन तक बुलाना पड़ा था। बताया जाता है कि चैतन्य उर्फ़ बिट्टू, पूर्व आबकारी कवासी लखमा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर से पूछताछ के बाद ED जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल से भी रूबरू हो सकती है। ED के रुख को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने अपनी सतर्कता भी बढ़ा दी है। उन्हें अंदेशा है कि गिरोह के अन्य सदस्यों की तर्ज पर वे भी ED के हत्थे चढ़ सकते है।

सुप्रीम कोर्ट में बघेल की याचिका में शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच करने की शक्ति को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक शब्दों में याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह देते हुए कहा कि गलती कानून में नहीं, उसके दुरुपयोग में है। याचिका में पीएमएलए एक्ट के तहत एजेंसियों की शक्तियों पर सवाल उठाते हुए धारा 44 को रीड डाउन (दायरा या अनुप्रयोग सीमित) करने की मांग की थी।

बघेल ने अपने दावे में कहा था कि पहली शिकायत दर्ज होने के बाद ईडी को सिर्फ विशेष परिस्थितियों में अदालत की अनुमति और जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ ही आगे जांच करने का अधिकार होना चाहिए। बहस के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि इस प्रावधान में कोई खामी नहीं है, अगर इसका दुरुपयोग हो रहा है, तो पीड़ित व्यक्ति हाईकोर्ट जा सकता है और उचित समाधान प्राप्त किया जा सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री और उनका परिवार लगातार घोटालों की जद में समाते जा रहा है, बचाव में जुटे बघेल ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की कुछ धाराओं की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर एजेंसियों के अरमानों पर पानी फेरने के लिए नया दांव खेला था। याचिका क्रमांक 303 में उन्होंने मुख्य रूप से धारा 45 की व्याख्या को चुनौती देते हुए अलग-अलग दो याचिकाएं लगाई गई थी, जिसमें एक अग्रिम जमानत और दूसरी ED और उसके उप निदेशक के खिलाफ दायर की गई थी। जानकारों के मुताबिक एक याचिका CBI, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ थी, इसमें बघेल ने स्वयं के लिए अग्रिम और बेटे चैतन्य को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिलाने के लिए देश के महंगे वकीलों को मैदान में उतारा था। पूर्व मुख्यमंत्री ने ED की गिरफ्तारी के अधिकारों को चुनौती देते हुए प्रदेश के ACB – EOW को भी दबाव में लाने का पैंतरा फेंका था।

उधर, दिल्ली से डेरा लेकर रायपुर – बिलासपुर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अपनी गिरफ़्तारी से बचने के तमाम हथकंडो को अपनाए जाने की जुगत में व्यस्त बताये जाते है। कानून के जानकारों के अलावा वे सत्ताधारी दल के उन ठिकानों का भी रुख कर रहे है, जहाँ से कृपा बरसने के आसार है। हालांकि सुप्रीम सुनवाई के बाद बघेल के बचाव के तमाम रास्ते बंद होते नजर आ रहे है। कांग्रेसी नेताओं के किनारा करने के बाद अब सत्ताधारी दल से पूर्व मुख्यमंत्री ने नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है। हालांकि इस मोर्चे से भी नाकामी उनके हाथ लग रही है। पूर्व मुख्यमंत्री का नाम सुनते ही सत्ताधारी दल के दिल्ली रायपुर में प्रभावशील कई बड़े नेताओं ने बघेल को दूर से ही चलता कर दिया है। ऐसे में बघेल की मुश्किलें लगातार बढ़ती दिखाई देने लगी है। एक जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री से पूछताछ को लेकर एजेंसियों के गलियारों में सरगर्मियां तेज है, बघेल के खिलाफ जल्द समन जारी होने के आसार जाहिर किये जा रहे है। फ़िलहाल, पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से हाईकोर्ट बिलासपुर में दायर याचिकाओं की सुनवाई पर लोगों की निगाहें लगी हुई है।