रायपुर/बिलासपुर:- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह एवं उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी थी। इस घटनाक्रम के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों व कमर्चारी संगठनों ने मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है। उनकी दलील है कि, झूठी एफआईआर दर्ज करने की ज़वाबदारी सरकार को लेनी चाहिए। उनके मुताबिक़ एक दम्पति कई महीनों तक इस झूठी एफ़आइआर को लेकर तनाव में रहे। अपना कार्य छोड़ कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते रहे। सरकार को अब ऐसे पीड़ितों की फ़िक्र करनी चाहिए। उनके मुताबिक़ किसी अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करना सरकार का सोचा समझा कार्य था। अमन सिंह दम्पति के खिलाफ एफआईआर के निर्देश मुख्यमंत्री सचिवालय ने दिए थे। नाम न छापने की शर्त पर कुछ आला अधिकारियों ने यहां तक कहा कि, अब मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस को भी अमन सिंह दम्पति से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उनकी यह भी ददील है कि, स्वयं मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह एफआईआर दर्ज की गई थी लिहाजा इसकी जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए।
अमन सिंह मामले को लेकर मंत्रालय में चर्चा जोरो पर है।सरकारी अफसर हैरानी जता रहे है कि, कोर्ट में सबूतों को लेकर कांग्रेस सरकार ने घुटने टेक दिए जबकि अखबारों और मिडिया में अमन सिंह को लेकर बड़े बड़े दावे किये गए थे। कर्मचारी-अधिकारी संगठनों के नेताओ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, अपने राजनैतिक हितों को साधने के लिए नौकरशाही का दुरुपयोग रोका जाना चाहिए। सरकारें बदलने पर अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रताड़ित करने से पूर्व उनकी शिकायतों की गम्भीरता पूर्वक जांच की जानी चाहिए। अमन सिंह मामले में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि, प्रत्येक शासकीय सेवक आचार संहिता से बंधे हुए है इसलिए उन्हें छतीसगढ़ सिविल सेवा अधिनियम 1965 के प्रावधानों के अनुसार सरकारी कार्यों को सम्पादित करना चाहिए। इसी क्रम में हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने कहा कि, शासकीय सेवक हमेशा सरकार का साथ निभाता है क्योंकि वो सरकार का हिस्सा होता है। उनके मुताबिक सरकार बदलने पर अधिकारियों व कर्मचारियों को राजनैतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने मांग रखी कि, झूठी एफआईआर दर्ज करने वाले अफसरों के खिलाफ भी एफआईआर होनी चाहिए। उधर याचिकाकर्ता उचित शर्मा ने इस प्रकरण को लेकर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि, राज्य सरकार जाने। इसके साथ ही अमन सिंह मामले को लेकर नई बहस छिड़ गई है। लोगो की दलील है कि अब क्या कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अमन सिंह दम्पति से माफी नहीं मांगनी चाहिए…? गौरतलब है कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर ही ईओडब्ल्यू ने अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ कई धाराओं में एफआईआर दर्ज किया था। मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश के बाद दर्ज हुई इस एफआईआर को लेकर राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारे में हड़कम्प मच गया था।
दरअसल भाजपा शासन काल में अमन सिंह काफी मजबूत नौकरशाह के रूप में जाने पहचाने जाते थे। उनकी प्रशासनिक कुशलता के चलते कई लोग उन्हें सुपर सीएम के नाम से भी पुकारते थे। हालांकि वे इससे हमेशा इनकार करते रहे। अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता और कार्यप्रणाली से अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच वे काफी लोकप्रिय रहे। बताया जाता है कि, इस दम्पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाने से नौकरशाही सकते में आ गई थी।
साल भर से इस एफआईआर के चर्चे सियासी गलियारों में गूंज रहे थे। इस बीच नए साल के पहले हफ्ते में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर ही रद्द कर दिए जाने से अब नई सियासी बहस छिड़ गई है। दबी जुबान में ही सही परन्तु कई बड़े नौकरशाह हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि अब मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस को बगैर देर किए नैतिक आधार पर सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने एसीबी और ईओडब्ल्यू से केस डायरी के साथ ही आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा था लेकिन , इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि आय से अधिक सम्पति का मामला बनता है या नहीं। इधर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक सिंह ने तर्क दिया था कि आय से अधिक सम्पति का मामला ही नहीं बनता, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दृष्टांत भी रखे थे। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला आदेश अमन सिंह दम्पति के पक्ष में दिया।फिलहाल इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय और कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।