छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों का खून चूसने के बाद लालची डाक्टरों ने इंश्योरेंस कंपनियों को चूना लगाने का पैतरा आजमाया , अब फंस सकते है मुसीबत में , आधा सैकड़ा से ज्यादा डॉक्टर और अस्पतालों के भागीदार बन सकते है चार सौ बीसी के आरोपी , इंश्योरेंस कंपनियां मामला पुलिस को सौंपने की तैयारी में , कई चौकाने वाले प्रमाणिक सबूतों का काला चिट्ठा क्लेम में आया सामने 

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रायपुर / सरकार के निर्देश पर इंश्योरेंस कंपनियों ने डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ समेत अस्पताल में कार्यरत सामान्य कर्मचारियों के लिए विभिन्न इंश्योरेंस प्लान जारी किये है | ये प्लान उन कोरोना पीड़ितों के लिए है , जो संक्रमण का शिकार हुए है | लेकिन छत्तीसगढ़ में रायपुर समेत आधा दर्जन जिलों में चालाक डॉक्टरों ने इसे भी कमाई का जरिया बना लिया है | खासतौर पर अस्पतालों को सेवा के बजाए कमाई का धंधा बनाने वाले डॉक्टरों ने इंश्योरेंस कंपनियों को चूना लगाने के लिए ऐसा आपराधिक षड्यंत्र रचा कि अब वे ही इसके जाल में फंसते नजर आ रहे है | यदि निष्पक्ष जांच हुई तो कई नामी-गिरामी डॉक्टरों समेत उनका संदिग्ध स्टाफ चार सौ बीसी के आरोप में जेल में चक्की पीसता नजर आएगा |

बताया जा रहा है कि अस्पताल संचालकों ने डॉक्टरों समेत अपने लगभग सभी स्टाफ को फर्जी तौर पर कोरोना पॉजिटिव करार देकर उनका मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम किया है | इस मामले में क्लेम करने वाले 8 डॉक्टरों और 5 पैरा मेडिकल स्टाफ ने बातचीत के दौरान स्वीकार  किया है कि वे ड्यूटी के दौरान कभी भी कोरोना संक्रमित नहीं हुए | उन्होंने सामन्य बातचीत के दौरान माना कि मैनेजमेंट ने फर्जी तौर पर उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव तैयार कर इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम किया है | जबकि वे पूरी तरह से स्वस्थ है | इनमे से कई ने डॉक्टरी पेशे पर सवालियां निशान लगाते हुए यह भी कहा कि कोरोना काल में अस्पतालों ने किस  तरह से इलाज के नाम पर मरीजों से भारी भरकम रकम वसूल की है | 

रायपुर के दो बड़े अस्पतालों की ओर से लगभग 80 फीसदी डॉक्टरों और कर्मचारियों के फर्जी कोरोना रिपोर्ट के आधार पर क्लेम इंश्योरेंस कंपनियों को सौंपे गए है | इन्हे देखकर इंश्योरेंस कंपनियां भी हैरत में है | उन्होंने अपने स्तर पर जब पड़ताल की तो सारी कोरोना रिपोर्ट उन्हें बोगस नजर आई | जिन कर्मियों और डाक्टरों को कोरोना संक्रमित बताया गया , वे भले चंगे अपनी ड्यूटी करते नजर आए | यही नहीं ना तो कभी छुट्टी पर गए और ना ही क्वारंटाइन किये जाने को लेकर उनका कोई प्रमाण मिला | यही नहीं जिस तिथि पर क्लेम किया गया , उस तिथि पर संबंधित डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ पूरी तरह से स्वस्थ और अस्पताल में पाया गया | इसके भी प्रमाण एकत्रित किये गए है |

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि रायपुर के पंडरी मार्केट-देवेंद्र नगर स्थित एक अस्पताल के संचालक और मेडिकल क्लेम करने वाले डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ के तमाम दस्तावेजों की बारीकी से पड़ताल की गई है | यही हाल मोवा सद्दू स्थित एक बड़े अस्पताल के संचालक और मेडिकल स्टाफ का है | इनके दस्तावेजों की इबारते उनके बोगस होने की गवाही खुद दे रहे है | बताया जाता है कि इन दोनों अस्पतालों के 80 फीसदी से ज्यादा मेडिकल स्टाफ के कोरोना संक्रमित होने के बावजूद इन अस्पतालों ने चौबीसों घंटे कोरोना मरीजों का इलाज किया था | यही नहीं क्लेम वाली तिथि में मेडिकल स्टाफ का क्वारंटाइन होने के बजाए ड्यूटी पर तैनात रहना सवालों के घेरे में है | बताया जाता है कि इस तरह के फर्जी क्लेम सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि बिलासपुर , दुर्ग और रायगढ़ के कुछ अस्पतालों ने भी किये है | 

दरअसल कोरोना काल में ज्यादातर डॉक्टर कोरोना वारियर के रूप में ख्याति अर्जित कर रहे है |  वे इस कठिन दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की जान बचाने में जुटे है | कई डॉक्टरों ने अपनी शहादत भी दी है | ये डॉक्टर वाकई भगवान का रूप है | जो बगैर अपने घर परिवार की परवाह किये दिन रात मरीजों की सेवा में जुटे है | कई डॉक्टर तो कोरोना संक्रमित होने के बाद जब दोबारा ड्यूटी पर लौटे तो वही शिद्द्त के साथ अपने कामकाज में जुट गए | इन डाक्टरों के सेवाभावी रवैये से जहां डॉक्टरी का पेशा भगवान की तर्ज पर पूजा जा रहा है , वही चंद ऐसे डॉक्टर है जो कोरोना का खौफ पैदा कर उसे अपनी कमाई का जरिया बना लिए है | ऐसे अस्पताल रोजाना लाखों रूपये की अवैध वसूली कर रहे है | वे ना तो कोरोना इलाज की सरकारी दरों पर भुगतान सुनिश्चित कर रहे है और ना ही दवाइयों का निर्धारित शुल्क वसूल रहे है | दोनों ही मामलो में ऐसे डॉक्टर और उनके अस्पताल लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए है |  

छत्तीसगढ़ में कोरोना काल का भरपूर फायदा उठाने के लिए कई अस्पतालों ने इलाज के नाम पर उगाही का खेल जारी कर रखा है | कई निजी धर्मशाला और होटलों में अस्पतालनुमा दुकान खोल दी गई है | यहां क्वारंटाइन सेंटर और इलाज के नाम पर सरकारी दरों से सौ फीसदी ज्यादा दरों पर कोरोना संक्रमितों के इलाज का दावा किया जा रहा है | रायपुर में ही विभिन्न समाजों के भवन और धर्मशाला लाखों रूपये महीने की दर पर किराये पर लेकर कई अस्पताल अपना धंधा चमका रहे है | इलाज के नाम पर डरे सहमे मरीज यहां क्वारंटाइन है | इन मरीजों ने न्यूज टुडे को बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित इलाज के शुल्क की दरे इन सेंटरों पर लागू नहीं है | सरकारी दर की चर्चा करते ही अस्पताल प्रबंधन उनकी रवानगी सुनिश्चित करने की बात कहता है , लिहाजा कोरोना के खौफ के चलते वे अपनी जीवन भर की कमाई इन अस्पतालों को मेडिकल फीस और इलाज के नाम पर भुगतान कर रहे है |

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इन मरीजों ने सरकार से गुहार लगाई है कि सामाजिक संस्थाओं के भवन निर्माण के लिए सरकार ने रियायती दरों पर जमीनें आवंटित की थी | यही नहीं भवन निर्माण के लिए जन प्रतिनिधियों ने आर्थिक योगदान भी दिया था | और तो और आयकर विभाग ने धारा 80 के तहत दान में छूट भी दी है | लेकिन इन भवनों का कोरोना काल में लोक कल्याण के लिए नहीं बल्कि अस्पतालों के भागीदारों की अवैध कमाई के लिए व्यावसायिक उपयोग हो रहा है | लिहाजा ऐसे सामाजिक भवनों पर कार्रवाई होनी चाहिए | मरीजों और उनके परिजनों ने सरकार से मांग की है कि कोरोना इलाज की निर्धारित दरों से अधिक भुगतान लेने वाले अस्पतालों और उनके कर्ता-धर्ता के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए |