रामचरितमानस की चौपाई सुनाकर जज ने दुष्कर्मी को सुनाई  उम्रकैद  की सजा, कहा- ऐसे दुराचारियों का संहार पाप नहीं,छत्तीसगढ़ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की जज ने कहा – ”अनुज वधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कृदृष्टि विलोकई जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।’’  

0
14

भिलाई / देश में  नाबालिगों के साथ हो रहे यौन अपराधों को लेकर आये दिन खबरे सुर्ख़ियों में रहती है। बच्चों के यौन शोषण के मामलों की गति  देश – दुनिया में थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच, छत्तीसगढ़ के भिलाई की फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज ने साढ़े चार साल की बच्ची  से अश्लील हरकत करने के  आरोपी को दोषी करार देते हुए कड़ी सजा सुनाई है। इस जज ने अपना  फैसला सुनाते हुए रामचरितमानस की चौपाई का उल्लेख किया। अपर सत्र न्यायाधीश ममता भोजवानी ने दोषसिद्ध कलयुगी मामा को मरते दम तक जेल में कैद रहने की सजा सुनाई है।  उन्होंने उस पर अर्थदंड भी लगाया। इसकी राशि जमा नहीं करने पर दोषी को दो वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश भी दिया है।

न्यायाधीश ने अपने फैसले में  रामायण की चौपाई बोल कर मौके पर मौजूद लोगो का दिल जीत लिया। अपर सत्र न्यायाधीश ममता भोजवानी ने फैसले में लिखा है, ‘अनुज वधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कृदृष्टि विलोकई जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।’  न्यायाधीश ने चौपाई का अर्थ भी समझाया। उन्होंने बताया कि उपरोक्त छंद रामचरित मानस के किष्किंधा कांड मेंं बाली वध के संदर्भ में है। इसका आशय है कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, बहू और कन्या ये चारों समान हैं। इन पर बुरी नजर रखने वाले का संहार पाप नहीं है।

इस मामले की जानकारी देते हुए  विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने बताया कि , घटना भिलाई के स्मृति नगर पुलिस चौकी इलाके की है। यहाँ  अगस्त 2019 में साढ़े चार साल की नाबालिग बच्ची माता-पिता के साथ ननिहाल आई थी। मासूम को घर में छोड़कर उसकी मां रिश्तेदार से मिलने गई। जब वह घर लौटी, तो उन्हें बेटी रोती हुई हालत में पड़ी मिली। उसके शरीर पर चोट के निशान भी थे। वहीं पर संदिग्ध हालत में 28 वर्षीय मामा भी मौजूद था। इस घटना से आहत होकर बेटी की मां ने थाने में शिकायत की थी, जिस पर मामला दर्ज हुआ था। उन्होंने बताया कि इस मामले में अदालत ने मासूम की मां शिकायत पर शिकायत करते हुए दुष्कर्मी मामा आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही जुर्माना नहीं भरने पर सजा को दो साल बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

ये भी पढ़े :पत्नी से पैसे मांगना उत्पीड़न नहीं, आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी बरी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया फैसला