हाथरस कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर गृह मंत्रालय ने दिखाई सख्ती, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को MHA ने जारी की नई एडवाइजरी, दो महीने में पूरी हो जांच

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नई दिल्ली / हाथरस मामले के बाद से देशभर में महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवालिया निशान उठ रहे हैं | इस बीच केंद्र सरकार भी मामले को लेकर हरकत में आ गई है | देश में तेजी से बढ़ते महिला अपराध को देखते हुए गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है | दरअसल रेप जैसे गंभीर मामलों में भी पीड़ित के एफआईआर के लिए थानों के चक्कर काटने के मामलों को केंद्र ने गंभीरता से लिया है |

केंद्र सरकार ने एक एडवायजरी जारी की है | इसके मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. गृह मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य / केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करने को कहा है | गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ।

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संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है | सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है |जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो | IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है | सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है | अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है | सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा|