नई दिल्ली / हाथरस मामले के बाद से देशभर में महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवालिया निशान उठ रहे हैं | इस बीच केंद्र सरकार भी मामले को लेकर हरकत में आ गई है | देश में तेजी से बढ़ते महिला अपराध को देखते हुए गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है | दरअसल रेप जैसे गंभीर मामलों में भी पीड़ित के एफआईआर के लिए थानों के चक्कर काटने के मामलों को केंद्र ने गंभीरता से लिया है |
केंद्र सरकार ने एक एडवायजरी जारी की है | इसके मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. गृह मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य / केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करने को कहा है | गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ।
ये भी पढ़े :छत्तीसगढ़ की स्टील कारोबारी महिला अपने नौकर के प्यार में पागल, मालकिन 4 साल तक नौकर के साथ रही लिव इन रिलेशनशिप में, नौकरी छोड़ जब नौकर पहुंचा अपने शहर तो मालकिन भी पहुँच गई उसके ठिकाने, ली पुलिस की शरण, मामला दर्ज करने के निर्देश
संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है | सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है |जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो | IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है | सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है | अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है | सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा|