नई दिल्ली वेब डेस्क / एक फरवरी को निर्भया के दोषियों को सूली पर लटकाने के बाद जल्लाद उस महिला को भी फांसी के फंदे पर लटकाएगा जिसने तमाम सामाजिक मर्यादाएं तोड़कर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी थी | इस महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था | हालांकि इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को धर दबोचा था | देश में पहली बार किसी महिला की फांसी मुकर्रर की गई है | अदालत ने उसके कृत्यों को नृशंस माना | अब जेल अमला इस महिला को फांसी देने की तैयारी में जुटा है |
इस महिला को मौत की देवी के नाम से जाना जाने लगा है | इस महिला ने अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या की है | हत्यारी महिला का नाम शबनम है | मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा का है | शबनम यहीं की निवासी है | सलीम नाम के एक लड़के से उसके प्रेम संबंध थे |शबनम ने एक दिन ये बात अपने परिवार को बताई लेकिन परिवार वालों को उसकी ये बात रास न आई | मतलब परिवार उसके प्रेम संबंध के विरुद्ध खड़ा हो गया | परिवार को इन दोनों का ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था।वहीँ, अपने प्रेम संबंध में अपने परिवार को रोड़ा बनता देख शबनम ने मौका देखकर प्लानिंग कर परिवार के 7 लोगों की हत्या कर डाली|बताया जाता है कि, शबनम जब हत्याओं को अंजाम दे रही थी तब उसका प्रेमी सलीम भी उसके साथ था|
पुलिस डायरी के मुताबिक शबनम ने सलीम के साथ प्लानिंग की और सबके खाने में जहर मिलाया | जिसे खाने के बाद सब बेहोश हो गए| जिसके बाद शबनम ने एक धारदार कुल्हाड़ी से एक के बाद एक, पूरे परिवार की बेरहमी से हत्या कर दी। हालाँकि दोनों पुलिस से नहीं बच पाए | दोनों पकडे गए | जहां जांच के दौरान दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया |
अदालत ने दोनों कोफांसी की सजा सुनाई है | पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जहां इस तरह बेहद संगीन जुर्म के चलते दोनों को कोर्ट ने फांसी की सजा मुकर्रर की | हालांकि दोनों ने फांसी की सजा को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की लेकिन यहां से भी इन्हे निराशा हाथ लगी | सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बोबड़े ने 7 लोगों की हत्या की दोषी शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई की | इसके बाद अंत में रिव्यू पिटिशन को ख़ारिज कर दिया | चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा- “हर चीज़ के लिए लड़ाई नहीं की जानी चाहिए । दोषी को ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि मौत की सज़ा के फ़ैसले को वह जब चाहे चुनौती दे सकता है जैसा कि आज कल बहुत केसों में हो रहा है। हमारी ज्जमेंट का सम्मान होना चाहिए। मौत की सज़ा के फ़ैसले को स्वीकार किया जाना चाहिए | चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हम निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सज़ा को बरकरार रखते हैं |
दोनों ही दोषियों शबनम और सलीम ने सुप्रीम कोर्ट से हताश होने के बाद राष्ट्रपति से सज़ा माफ़ी की गुहार लगाई, लेकिन घटना की वीभत्सता को देखते हुए, वहां से भी सज़ा माफ़ नहीं हुई | शबनम फांसी की सज़ा पाने वाली आज़ाद भारत की पहली महिला होगी। इसके पूर्व भारत में कई महिलाएं हत्याओं के मामलों में दोषी पाई गई है | लेकिन उन्हें आजीवन कारावास की सजा ही मिल पाई | इस लिहाज से यह पहला मौका होगा जब महिलाओं को भी फांसी के फंदे पर लटकाया जायेगा | जेल प्रशासन दोनों ही दोषियों को अलग अलग सेल में फांसी की सजा देने की तैयारी में जुटा है |