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गलवान के बाद LAC पर भारत की जय जय, चीन का तंबू उखड़ गया, सामने आई पहली तस्वीर

भारत-चीन के बीच सीमा पर चार साल से चल रहा तनाव अब धीरे-धीरे खत्म होता दिख रहा है. पीएम मोदी-जिनपिंग की मुलाकात और समझौते पर बात के बाद चीनी सेना ने पैर वापस खींच लिए हैं. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों की डिसइंगेजमेंट शुरू हो गई है. दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बाद ये कदम उठाया जा रहा है. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग मैदानों में 2 बिंदुओं पर सैनिक पीछे हट रहे हैं.

ऐसे में चीनी सेना ने टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं. उसके अस्थाई कंस्ट्रक्शन भी हटाये जा रहे हैं. डेमचौक से चीनी सेना की वापसी हो रही है. चीनी सेना पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रही है. भारत और चीन के बीच हुए समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में हालात बेहतर हुए हैं. दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने लगी हैं. देपसांग और डेमचॉक में स्थानीय कमांडर स्तर की मीटिंग 22 अक्टूबर से शुरू हुई थी.

इस मीटिंग में दोनों देशों के बीच सहमति बनी और अब सेनाएं पीछे हटने लगी हैं. बुधवार को डेमचॉक में दोनों तरफ से एक-एक टेंट हटाया गया. गुरुवार को भी कुछ टेंपरेरी स्ट्रक्चर तोड़े गए हैं. अबतक 40 फीसदी डिसइंगेजमेंट हो चुका है. चीनी सेना और भारतीय सेना की ओर से अस्थायी संरचना और बेस हटा दिए गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत द्वारा चीन के साथ गश्त व्यवस्था पर सहमति की घोषणा के कुछ दिनों बाद, पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में जमीन पर हो रहे विघटन की पहली सैटेलाइट तस्वीरें पब्लिक डोमेन में आई हैं. भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट का ऐलान होने के बाद 11 अक्टूबर को डेपसांग इलाके की एक सैटेलाइट फोटो में 4 गाड़ियां और 2 टेंट दिखा रहे हैं. इसी जगह बीते शुक्रवार को ली गई तस्वीर से पता चलता है कि टेंट हटा दिए गए हैं और बख्तरबंद सैन्य गाड़ियां दूर जा रही हैं. जिस ज़मीन पर तंबू गड़े थे उसे सपाट कर दिया गया है.

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सेना के सूत्रों के मुताबिक मंगलवार, 29 अक्टूबर तक दोनों विवादास्पद क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और सैनिक अपनी पुरानी पोस्ट यानी चौकियों पर लौट जाएंगे जहां 2020 में गतिरोध शुरू होने से पहले थे. इस समझौते के तहत सीमा पर बनाए कंक्रीट के ब्लॉक्स को नष्ट करना और उस जमीन को समतल करना शामिल है, जैसी वो पहली थी. भारत और चीन दोनों के पास देपसांग और डेमचोक में निगरानी के विकल्प बने रहेंगे और सैनिक गश्त पर निकलने से पहले किसी भी तरह की गफलत से बचने के लिए दूसरे पक्ष को जरूर सूचित करेंगे.

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