रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने खुद को अनपढ़ बताया है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में उनकी योग्यता ‘साक्षर’ बताई गई है। यही नहीं पूर्व मंत्री लखमा ने यह भी दावा किया है कि वे हस्ताक्षर करते थे। हालांकि यह भी साफ़ किया है कि तत्कालीन आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी और उनके ओएसडी जिस कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहते थे, वे कर दिया करते थे। छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले पर सरकारी एजेंसियों के अलावा आम लोगों की निगाहे भी लगी हुई है। सवाल उठ रहा है कि सरकार की सर्वाधिक कमाई वाले आबकारी विभाग की कमान किसी पढ़े-लिखे योग्य विधायक को सौंपने के बजाय ‘अनपढ़’ को सौंपने के पीछे कोई साजिश 2018 में कांग्रेस सरकार के गठन के साथ ही रच ली गई थी। आखिर क्यों तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सरकारी तिजोरी भरने वाले इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी एक अनपढ़ मंत्री को सौंपी थी ?
जांच एजेंसियों के हवाले से अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के मुताबिक इस सरकारी विभाग में प्राइवेट कारोबारियों का तांता लगा हुआ था। विभागीय कर्मचारी और अधिकारी भी शराब घोटाले कों अंजाम देने के लिए गैर-क़ानूनी निर्देशों का पालन कर रहे थे। ED की ECIR में कहा गया है कि घोटाले की रकम से लखमा को 50 लाख रूपए प्रतिमाह प्राप्त होते थे। जबकि सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि घोटाले में लिप्त पूर्व मुख्यमंत्री समेत आबकारी विभाग के दर्जनों जिम्मेदार अधिकारियों की भी पौ-बारह थी। उन्हें भी हर माह करोड़ों की रकम प्राप्त होती थी। भूपे सरकार द्वारा उपकृत इस महकमे के दर्जनों अधिकारियों की घोषित – अघोषित संपत्ति का ग्राफ 100 करोड़ का आंकड़ा प्राप्त कर चूका है।
छत्तीसगढ़ में कोरोना काल में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में शराब की नदियां बहाई गई थी। लॉकडाउन के दौरान रायपुर से लेकर प्रदेश के गांव-कस्बों तक शराब की खेप की खेप उपलब्ध कराई जाती थी। जबकि सरकारी दुकानों-ठेकों से लेकर हाट-बाजार तक तालाबंदी के शिकार थे। शराब घोटाले की परत दर परत अब साफ हो चली है। पूर्व मुख्यमंत्री और उनके गिरोह का काला-चिट्ठा सार्वजनिक हो गया है। इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस राज में शराबबंदी का शिगूफा सिर्फ सत्ता हथियाने के लिए बतौर हथियार प्रयोग किया गया था।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के जिम्मेदार नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी के बाद लखमा का बयान गौरतलब बताया जा रहा है। पूर्व मंत्री ने अपने बयानों में तत्कालीन मुख्यमंत्री के नाम का जिक्र तक नहीं किया है। इससे साफ हो रहा है कि भ्रष्टाचार के भूपे को बचाने के लिए आदिवासी विधायक लखमा खुद बा खुद सूली पर चढ़ने को तैयार है। लेकिन घोटाले के असली मास्टरमाइंड और चौकीदार का नाम अपनी जुबान पर लाने तक को भी तैयार नहीं है।
प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में सबूतों के साथ घोटाले से जुड़े कई ऐसे तथ्य पेश किये है, जिससे पता चलता है कि इतने महत्वपूर्ण विभाग की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने किसी खास मकसद से अनपढ़ विधायक को कैबिनेट मंत्री बना कर सौंपी थी। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल से अब तक पूछताछ नहीं हो पाई है। यही नहीं जनता की तिजोरी पर दिन-दहाड़े हाथ साफ करने वाले गिरोह को तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल आखिर क्यों संवैधानिक संरक्षण और मुख्यमंत्री की शक्तियों का उपयोग-दुरूपयोग करने की अनुमति प्रदान कर रहे थे ? जांच के दायरे में है। सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले में लखमा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का नंबर बताया जाता है।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक कवासी लखमा की छवि कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में उभर रही थी। वे लगातार 4 वर्षों तक अपने विरोधी उम्मीदवारों को पटकनी देते रहे। लखमा ने विधानसभा का पहला चुनाव संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में 1998 में लड़ा था। वे अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते। आम लोगों के बीच जाते हैं तो उनके जैसे बन जाते हैं, कभी युवाओं के सामने बीड़ी पीकर नाक से धुआं निकालने की कलाबाजी दिखाते तो कभी शराबबंदी के खिलाफ जुमले कसने से पीछे नहीं रहते। बताते है कि कवासी लखमा पढ़े-लिखे नहीं हैं, इस कारण उनके विरोधियों ने कभी यह सोच ही नहीं था कि वे कभी मंत्री भी बन पाएंगे।
मध्यप्रदेश विभाजन के दौरान वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ की अजीत जोगी के नेतृत्व में बनी पहली सरकार में लखमा ना केवल पहली बार के विधायक चुने गए थे, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जोगी के प्रबल समर्थक सिपाही के रूप में जाने-पहचाने जाते थे। इसके बाद उनका विजय अभियान लगातार जारी रहा। वर्ष 2018 में भूपेश बघेल के नेतृत्व में गठित कांग्रेस सरकार में उन्हें आबकारी और उद्योग जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया। बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने आबकारी महकमा कारोबारी अनवर ढेबर के हवाले कर दिया। जबकि उद्योग विभाग की कमान दागी प्रमोटी आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सौंप दी गई। फ़िलहाल लखमा पिता-पुत्र से ED पूछताछ जारी है।
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