अंबिकापुर / छत्तीसगढ़ में यह पहला मौक़ा है जब यूनिवर्सिटी के किसी कुलपति को हटाने का फ़ैसला सरकार ने लिया है | सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति रोहिणी प्रसाद को राज्य सरकार ने हटाए जाने की अनुशंसा राज्यपाल को भेजी थी | आख़िरकर इस पर राजभवन की मुहर के बाद रोहणी प्रसाद की विश्यविद्यालय से छुट्टी हो गई है | कुलपति रोहिणी प्रसाद पर भ्रष्ट्राचार और मनमानी के आरोपों के अलावा उनकी कार्य प्रणाली को लेकर लगातार सवालियां निशान लग रहे थे | राजपत्र में जब कुलपति को हटाने की सूचना प्रकाशित हुई तो प्रदेश के तमाम विश्विद्यालयों के प्रशासनिक गलियारे में यह चर्चा का विषय बन गया |
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सरगुजा विश्वविद्यालय को लेकर राज्य सरकार के नोटिफिकेशन में उल्लेख है कि, गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के क्रियाकलापों में कुप्रशासन और अव्यवस्था, समन्वय की कमी,आंतरिक विवाद के कारण स्वस्थ शैक्षणिक एवं प्रशासनिक वातावरण का अभाव और जनसाधारण एवं छात्रों के मन में विश्वविद्यालय के विश्वसनीयता के प्रति गिरावट आई है।जिस वजह से छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 13,14,23से 25 तक,40,47,54 तथा 68 के प्रावधानों को लागू किया जाता है। इस नोटिफिकेशन से साफ़ है कि राज्य सरकार यह स्वीकार कर लिया है कि कुलपति रोहिणी प्रसाद का कार्यकाल संतोषजनक नहीं है | सरकार ने अपनी अनुशंसा राज्यपाल भवन को भेज दी है।
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सरगुजा विश्वविद्यालय के 11 वर्षों के इतिहास के अलावा राज्य के समस्त विश्विद्यालयों में यह पहला मौक़ा है जबकि किसी कुलपति को हटाए जाने का फ़ैसला शासन स्तर पर लिया गया हो। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के इस आदेश को कुलपति रोहिणी प्रसाद अदालत में चुनौती दे सकते है | जानकारी के मुताबिक कुलपति रोहिणी प्रसाद के करीबियों ने उन्हें अदालत की शरण में जाने की सलाह दी है | हालांकि अभी कुलपति रोहिणी प्रसाद इस कार्रवाई को लेकर अपनी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है | लेकिन उनके करीबी दलील दे रहे है कि उन्हें बेबुनियाद आरोपों के तहत हटाया गया है |