दिल्ली / ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी में प्रवेश कर लिया है | अपने निर्धारित समय से लगभग डेढ़ घंटे बाद सिंधिया ने बीजेपी मुख्यालय का रुख किया | यहां उनका जेपी नड्डा की मौजूदगी के बीच गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया | सिंधिया ने कहा कि बगैर किसी शर्तो के वे बीजेपी में शामिल हुए है | घर से निकलते वक्त पत्रकारों से उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आप को पता है मैं कहां जा रहा हूँ |
इस वक्त उनके साथ पार्टी प्रवक्ता जफर इस्लाम भी मौजूद थे | बताया जा रहा है कि सिंधिया को बीजेपी ने अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया है | उनके साथ हर्ष चौहान भी पार्टी की ओर से नामांकन दाखिल करेंगे |
मध्यप्रदेश में सियासी नजारा अब साफ़ होता जा रहा है | ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार की रवानगी तय मानी जा रही है | बताया जा रहा है कि सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके समर्थक ज्यादतर विधायक भी उनके साथ अपने हाथों में कमल थामेंगे | जाहिर है , इन नए समीकरणों से राज्य की कांग्रेस सरकार की रवानगी तय हो जाएगी | हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया है कि वो सदन में अपना बहुमत साबित कर देंगे | दोनों ही नेताओं ने दावा किया है कि पिक्चर अभी बाकि है |
उधर बीजेपी मुख्यालय में ज्योतिरादित्य सिंधिया का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया | पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया | फिर उन्हें बीजेपी की स प्राथमिक सदस्यता दिलाई गई | इस दौरान सिंधिया काफी खुश और आत्म विश्वास से भरे दिखाई दिए |
ज्योतिरादित्य
सिंधिया का राजनीतिक करियर साल 2001
में उनके पिता माधव
राव सिंधिया के असामयिक निधन के बाद शुरू हुआ और मंगलवार को पिता की जन्मतिथि के
दिन ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़कर एक नए राजनीतिक सफर की शुरुआत
की।कांग्रेस पार्टी में कई लोगों के लिए 49 वर्षीय
ज्योतिरादित्य सिंधिया पुरानी पार्टी एक मॉडर्न चेहरे के तौर पर देखे जाते थे।
सौम्य स्वभाव के, खासे पढ़े-लिखे, मुद्दों की स्पष्ट
समझ रखने और धरातल से जुड़े नेता के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया माने जाते हैं।
विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के चलते माधव राव सिंधिया के असामयिक निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति में एंट्री करते हुए मध्य प्रदेश की गुना संसदीय सीट से उप-चुनाव के लिए नामांकन भरा। जिवाजी राव सिंधिया (ग्वालियर राजघराने का आखिरी महाराजा) के पोते ज्योतिरादित्य ने अपने विपक्षी बीजेपी उम्मीदवार देशराज सिंह को 4 लाख 50 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया था। उन्होंने लगातार चार बार गुना संसदीय सीट से चुनाव जीता लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अंदरुनी कलह के चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के अंदर के कई नेताओं ने सिंधिया की हार के लिए पार्टी के सीनियर नेताओं को ही कसूरवार ठहराया।
हार्वर्ड और स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े-लिखे सिंधिया कांग्रेस के लिए सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं केन्द्र में भी मजबूत खंभा रहे हैं। वह संगठन से लेकर संसद तक पार्टी के लिए बड़े चेहरों में से एक थे। यूपीए सरकार के दौरान साल 2008 में ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहली बार मंत्रिपरिषद में शामिल कर उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री बनाया गया। एक साल बाद यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में युवा सिंधिया को वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। 28 अक्टूबर 2012 को सिंधिया को ऊर्जा का केन्द्रीय राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। कांग्रेस के युवा चेहरों में वह ऐसे पहले नेता थे जिन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्रालय का जिम्मा दिया गया। संसद में राहुल गांधी, सिंधिया, सचिन पायरल, मुरली देवड़ा और जितेन्द्र प्रसाद को एकसाथ देखा जाता रहा है और वे एक दूसरे के साथ ही बैठते रहे हैं। अक्सर विपक्ष के खिलाफ हमले की अगुवाई भी करते रहे हैं।
सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने ना सिर्फ युवा नेता को खो दिया है बल्कि ऐसे समय में एक बड़ा चेहरा निकल गया जब संगठन को एक नया रूप देने के लिए पार्टी संघर्ष कर रही है।