छत्तीसगढ में 5 साल बाद जेल विभाग की गतिविधियां पटरी पर, इंसानी सम्मान बनाए रखने के लिए जेलरों को विशेष हिदायत, वरना…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में अपराधों का केंद्र रहे जेलों में गुंडे-बदमाशों तक से उगाही होती है। फिर तो आम इंसान जेल में दाखिल हो गया तो उसका कौन रखवाला?तो उसकी भी खैर नही।पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राज्य की आधे से अधिक जेलों में बड़े सुनियोजित तरीके से अवैध उगाही के कारोबार ने अपनी जड़े जमा ली थी। क्या जेलर और क्या जेल प्रहरी बस , भू-पे और उसकी सरकार को कमिशन भर सौंप दो, फिर सब काम जायज है।दोनों की आमदनी रोजाना आसमान छू रही थी। जेल मैन्युअल का दुरूपयोग ही नही बल्कि उसे तोड़ मरोड़ कर लागू करने से उगाही का एक नया कारोबार तेजी से फल फूल गया था। राज्य की जेलों में बिहार की तर्ज पर भू-पे पोषित माफिया अवैध उगाही में जुटे थे। इनमें से कई खाकी वर्दीधारी भी थे। ये सभी कैदियों की मजबूरी का कारोबार करने में जुटे थे।जेल विभाग के कुछ चुनिंदा अधिकारी मानवाधिकारों का हनन करते हुए जेल में रहने का किराया बंदियों से वसूल करने में नैतिकता और तमाम प्रशासनिक हदें लगातार पार कर रहे थे। लेकिन अब इस कारोबार पर पर लगाम कसने लगी है।

जेल सूत्रों के मुताबिक नए DG डॉ राजेश मिश्रा के कार्यभार संभालने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप है। इन दिनों अवैध उगाही के मामले सामने आने के बाद 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट आने से बेलगाम अफसर हैरत में है। दोषी अफसरों को अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करने के चलते नुकसान उठाना पड़ रहा है। अवैध उगाही में जुटे जेल अधिकारियों और प्रहरियों की छुट्टी हो रही है। उन्हें जेल मैन्युअल का पाठ पढ़ाया जा रहा है, ताकि कानून का पालन खुद करने और औरों से भी कराने के लिए वे अपनी नौकरी के योग्य बन सकें।

बताया जाता है कि सारंगढ़ उप जेल में बंदियों से अवैध उगाही किए जाने के मामले में जेलर समेत 4 प्रहरियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही सभी आरोपियों के खिलाफ अवैध उगाही और बंदियों के साथ मारपीट किए जाने की घटना को लेकर दफा 323, 324, 384, 34 IPC के तहत अपराध भी पंजीबद्ध किया गया है।SDM की शिकायत के बाद पुलिस ने अवैध उगाही में जुटे जेल अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।इस मामले में जेल प्रशासन के अलावा जिला प्रशासन ने मजेस्ट्रियल जांच भी कराई थी। इसके बाद जिला प्रशासन की पहल पर जेल अधिकारियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की गई है। बताते हैं कि घटना की गंभीरता को देखते हुए अवैध उगाही में जुटे जेल मुख्यालय ने त्वरित कार्यवाही करते हुए आरोपी कर्मियों को ना केवल फौरन सस्पेंड कर दिया गया बल्कि सभी जेलरों को स्पष्ट कर दिया गया है कि जेल मैन्युअल का उल्लंघन करने पर अधिकारियों को भी गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके पूर्व एक अन्य घटना में रायपुर सेंट्रल जेल में पदस्थ एक अन्य ट्रेनी जेलर को भी अनुशासनहीनता के चलते निलंबित कर दिया गया था।

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के मामले में जेल विभाग अव्वल नंबर पर है। वो विष्णुदेव साय सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है।DG जेल एवम सुधारात्मक सेवाएं डॉ राजेश मिश्रा इन दिनों विभाग में कानून व्यवस्था बनाए रखने पर ही जोर दे रहे हैं। उन्होंने जेल मैन्युअल का पालन कराने के कड़े निर्देश जारी किए हैं।जानकार बताते हैं कि बीते 5 सालों में पहली बार जेल की प्रशासनिक व्यवस्था पटरी पर आई है, हालांकि कि इसे पूरी तरह लागू और स्थापित किए जाने पर अभी वक्त लगेगा।

छत्तीसगढ़ के जेलों में बंदियों के साथ अमानवीयता अपनी तमाम हदें पार कर चुकी हैं। कांग्रेस शासनकाल में काले अंग्रेजों की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल और उनकी सरकार के मंत्री जेल में निरुद्ध बंदियों से भी अवैध उगाही किया करते थे। इसके चलते मानवीयता को भी दरकिनार कर दिया गया था।कई जेलर कैदियों और विचाराधीन बंदियो की मजबूरी का फायदा उठाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ रहे थे। इसके लिए वे सुविधाओं के नाम पर बंदियों से हफ्ते और महीने हजारों में अवैध वसूली किया करते थे, रकम नही देने पर बंदियों के साथ मारपीट की जाती थी। ये जेलों का आम नजारा था।

कांग्रेस राज में शुरू किए गए अवैध उगाही के कारोबार पर अब बीजेपी शासनकाल में लगाम कसी जा रही है। कई बंदी सोशल मीडिया में अपनी आप-बीती सुना रहे हैं।जेल प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर गंभीर नजर आ रहा है। बताते हैं कि जेल मैन्युअल के प्रावधानों को लागू करने के लिए DG डॉ राजेश मिश्रा ने अपनी कमर कस ली है। सूत्र बताते हैं कि उनके द्वारा जारी निर्देशों का परिपालन सुनिश्चित नही होने पर जेल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्यवाही शूरू कर दी गई है। इसके तहत अभी तक लगभग आधा दर्जन जेल स्टॉफ को निलंबित किया जा चुका है। रायपुर सेंट्रल जेल के अधिक्षक और DIG तिग्गा को भी कड़ी फटकार लगाई गई है। गौरतलब है कि दोहरे पद पर आसीन श्री तिग्गा की कार्यप्रणाली विवादों में है। इसके अलावा बंदी कल्याण कार्यक्रमों और सुधारात्मक सेवाओं को सही मायनो में लागू किए जाने पर जेल मुख्यालय द्वारा जोर दिया जा रहा है।