लखनऊ: लखनऊ में विजिलेंस विभाग ने प्रदेश के अपर निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. आरोप है कि वीरेंद्र विक्रम के पास आय से करीब 86 लाख रुपये अधिक संपत्ति मिली है. विजिलेंस ने इस मामले की जांच के बाद कार्रवाई की है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.
जानकारी के मुताबिक, वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ विजिलेंस ने लंबे समय से जांच शुरू कर रखी थी. जांच के दौरान यह सामने आया कि उनकी संपत्ति उनकी आय से कहीं ज्यादा है. विजिलेंस की टीम ने आय और खर्च से जुड़े दस्तावेजों की गहराई से जांच की थी. जांच में सामने आया कि उनकी संपत्ति उनकी ज्ञात आय से 86 लाख रुपये ज्यादा है. जब उनसे इस संबंध में जवाब मांगा गया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.
विजिलेंस की रिपोर्ट के अनुसार वीरेंद्र विक्रम ने अपनी आय के मुकाबले ज्यादा खर्च किए. उन्होंने इस खर्च और संपत्ति के बारे में कोई वैध स्पष्टीकरण नहीं दिया. बता दें कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988) के तहत ऐसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है. किसी सरकारी कर्मचारी की आय से अधिक संपत्ति मिलने पर, उसे भ्रष्टाचार का सीधा मामला माना जाता है. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर न सिर्फ जेल की सजा होती है बल्कि संपत्ति को जब्त भी किया जा सकता है.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया है. विजिलेंस विभाग को सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की संपत्तियों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. इसी कड़ी में यह कार्रवाई की गई है. लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संपत्तियों पर नजर रखने का काम तेजी से हो रहा है. भ्रष्टाचार को लेकर लगातार शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने विजिलेंस की भूमिका को और मजबूत किया है.
वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ दर्ज एफआईआर ने एक बार फिर सरकारी महकमे में खलबली मचा दी है. इस मामले की जांच अभी जारी है. विजिलेंस का कहना है कि आगे भी अगर उनके खिलाफ और सबूत मिलते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सरकार की सख्ती और विजिलेंस की जांच ने कई बड़े अधिकारियों को अलर्ट कर दिया है. अब देखना होगा कि वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ विजिलेंस की अगली कार्रवाई क्या होती है.