छत्तीसगढ़ CSEB में अडानी का बोल बाला, देश की उच्चतम परिवहन दरों पर कोल परिवहन का ठेका, घटिया कोयला सप्लाई करने पर कंपनी ब्लैक लिस्टेड नहीं, पुराने ठेको की वसूली नहीं, फिर भी ‘भ्रष्टाचार’ का टेंडर

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छत्तीसगढ़ बिजली विभाग केंद्रीय जाँच एजेंसियों के लिए मुसीबत बनते जा रहा है। बताते है कि ED के आरोपियों सौम्या चौरसिया और सूर्यकान्त तिवारी गिरोह के धन शोधन के लिए बिजली विभाग और उसके अफसर कारगर हथियार साबित हो रहे है। खासतौर पर विभाग की कमान संभाल रहे आईएएस अंकित आनंद की कार्यप्रणाली से बड़े पैमाने पर निकल रही ब्लैक मनी, व्हाइट मनी में तब्दील होकर ED के आरोपियों के बही खातों में दर्ज हो रही है। यह रकम सालाना 500 करोड़ का आकंड़ा पार कर रही है। दरअसल सूर्यकान्त तिवारी ने अपनी ब्लैक मनी को जायज ठहराने के लिए खुद को अडानी के लिए कार्यरत बताया है। इस बाबद सूर्यकान्त की ओर से एक दस्तावेज अदालत में भी दाखिल किया गया है। बताया जाता है कि अडानी की एमडीओ वाली खदान से कोयले के परिवहन ठेको से सूर्यकान्त गिरोह को हर माह करोडो रुपये की आमदनी होती थी।

सूर्यकान्त गिरोह के ठिकानो में हुई छापेमारी के बाद ED ने साफ किया था कि सूर्यकान्त तिवारी रोजाना 2 से 3 करोड़ रुपये कमाता था। बताते है कि इस रकम में बड़ी हिस्सेदारी CSEB के ठेको से होने वाली आमदनी की भी है। सूत्रों के मुताबिक आईएएस अंकित आनंद की कार्यप्रणाली से CSEB की मढ़वा एवं अन्य बिजली बनाने वाली यूनिट ने बिजली के साथ साथ ब्लैक मनी का भी उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके चलते जहाँ सूर्यकान्त और सौम्या चौरसिया की नामी बेनामी संपत्ति में इजाफा हो रहा है, वही बिजली कम्पनियाँ घाटे के दौर से गुजर रही है।

बताते है कि सूर्यकान्त गिरोह को अनुचित फायदा पहुंचाने के चलते CSEB के कई अधिकारियों की अनुपातहीन संपत्ति में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि दूसरी ओर उपभोक्ताओं पर वितीय भार डालते हुए बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी भी की गई है। यही नहीं बिजली विभाग की माली हालत सुधारने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश भर के उपभोक्ताओं पर एक और आर्थिक बोझ डाल दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार अब उपभोक्ताओं से बिजली मीटर की अमानत राशि दुबारा वसूल कर रही है।

इस मुद्दे पर बवाल मचने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं को अमानत राशि में छूट दिए जाने की घोषणा भी की गई है। फिर भी बिजली कंपनियों के घाटे का हवाला दे कर दोबारा बिजली मीटर की अमानत राशि वसूलने का यह मामला अभी तक विवादों में है। प्रदेश भर में बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं से दुबारा बिजली मीटर की अमानत राशि वसूलना शुरू कर दिया है। कई इलाको  से  उपभोक्ताओं के साथ बिजली कर्मियों की इस मामले को लेकर तू-तू मैं-मैं की ख़बरें भी सामने आ रही है।
 

दरअसल CSEB द्वारा रायगढ़ स्थित अपने पॉवर प्लांट में भारत सरकार से एप्रूव्ड SECL की परिवहन दर गाइडलाइन नहीं अपना कर मनमाने तरीके से लगभग 4 गुना अधिक दरों पर एक खास कंपनी को कोल परिवहन का ठेका दिया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ शासन को दोबरा 500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा। जबकि पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया अपनाने से जनता की रकम की बंदर बांट पर रोक लगाईं जा सकेगी। गौरतलब है कि CSEB की रायगढ़ स्थित 2 लोकेशन रॉबर्ट्सन और धरगोडा के लिए ऊँची दरों पर ठेका दिए जाने की प्रक्रिया जोरो पर है।

बताया जाता है कि देश भर में सर्वाधिक महँगी दरों पर कोल परिवहन ठेको को आईएएस अंकित आनंद ने मंजूरी दी है। आमतौर पर अधिकतम 350 रूपए प्रति टन की दरों को CSEB में दूसरी बार ऊँची दरों पर ठेकेदारों को सौंपे जाने की प्रक्रिया जारी है। जबकि पिछले ठेको में भी ऊँची दरों में भुगतान से सरकार को अरबो का नुकसान उठाना पड़ा है।  

बताया जा रहा है कि CSEB के पार्टी विशेष को अनुचित लाभ पहुंचाने वाले आईएएस अंकित आनंद के ठेको से छत्तीसगढ़ सरकार की तिजोरी पर सालाना अरबो का वित्तीय भार पड़ा है। जबकि कोल परिवहन के दौरान घटिया कोयले की आपूर्ति से CSEB को हुए नुकसान की भरपाई के कोई ठोस प्रयास अंकित आनंद द्वारा नहीं किये गए। बताया जाता है कि अडानी की एमडीओ वाली कोयला खदान से CSEB के प्लांट में गुणवत्ता वाले कोयले के साथ साथ घटिया कोयले की भी आपूर्ति की गई थी। सूत्र बताते है कि इसके लिए विभाग के कुछ अफसरों ने एमडीओ वाली अडानी की कंपनी से पत्राचार कर आपत्ति प्रगट की थी। घटिया कोयले से हुए नुकसान का हवाला देकर वसूली की कार्यवाही भी शुरू की गई थी।

बताते है कि 100 करोड़ से भी ज्यादा के भुगतान का मामला लंबित है, और एक बार फिर अंकित आनंद द्वारा एमडीओ की वरदहस्त वाली एक कंपनी को भारी भरकम परिवहन दरों पर ठेका देने के लिए व्यक्तिगत रूचि लिया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक घटिया कोयले की आपूर्ति आपराधिक कृत्य है। यह अडानी की स्वामित्व वाली कंपनी के एमडीओ के अनुबंध का उल्लंघन भी बताया जा रहा है। इसके लिए एमडीओ को ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय उसे दोबारा उपकृत करना काफी गंभीर मामला बताया जा रहा है। बताते है कि एमडीओ की सिफारिश वाली इस कंपनी की योग्यता भी सवालों के घेरे में है।

जानकारी के मुताबिक अंबिकापुर की जिस कंपनी को कोल परिवहन का ठेका देने की बुनियाद रखी गई है। वो सड़क निर्माण कार्य से जुडी है, जबकि ठेको के शर्तों के मुताबिक कोल परिवहन के लिए निविदा कर्ता को विशेष अहर्ता पूरी करना जरुरी है। टेंडर की शर्त पूरा करने के लिए जुगाड़ के दस्तावेजों को उपलब्ध करा कर, खास लोगो द्वारा फिर से ठेका हासिल करने का मामला प्रदेश के EOW और केंद्रीय एजेंसियों के लिए भी जाँच का विषय है। सूत्र बताते है कि इस मामले में ठेके में शामिल 4 कंपनियों के पूर्व एवं वर्तमान सभी दस्तावेज भी जाँच के दायरे में है।

जानकारी के मुताबिक अडानी की कंपनी का एमडीओ और CSEB के बीच अनुबंध भी चौकाने वाला है। छत्तीसगढ़ में  CSEB का ऊँची दरों पर कोल परिवहन ठेको से एक बार फिर काला बाजारी बढ़ने के आसार है। ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में तब्दील होते  मामलो को जानते बुझते हुए भी नेता और अधिकारी अपने फायदे के लिए सरकारी तिजोरी में डाका डाल रहे है। यह मामला देश की उच्चतम परिवहन दरों पर किसी पार्टी को अनुचित फायदा पहुंचाने से जोड़ कर देखा जा रहा है।