दिल्ली: भारतीय कारोबारी अडानी ने अमेरिका के आरोपों को बकवास करार दिया है। अडानी ग्रुप का कहना है कि उसने अपने बंदरगाह पर ईरान या उसके स्वामित्व वाले किसी भी जहाज या कार्गो को संभालने का काम नहीं किया है. ना ही उसकी कंपनी अडानी पोर्ट ने ईरान पर लगाए गए किसी प्रतिबंध को जानबूझकर तोड़ने का काम किया है. अडानी ग्रुप की दलील है कि उसकी किसी भी कंपनी और ईरानी एलपीजी के बीच संबंध की रिपोर्ट ‘बकवास’ है. इसके पीछे ग्रुप को नुकसान पहुंचाने की मंशा है. ईरान के खिलाफ लगे किसी प्रतिबंध को ग्रुप ने या ग्रुप की किसी कंपनी ने कभी भी जानबूझकर नहीं तोड़ा है. अमेरिका ने तेहरान के संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम के कारण ईरानी तेल या उत्पादों की खरीद पर प्रतिबंध लगाया है.

इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिकी प्रोसीक्यूर्स इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या अडानी ग्रुप की कंपनियां गुजरात स्थित अपने मुंद्रा बंदरगाह के माध्यम से भारत में ईरानी एलपीजी का आयात करती हैं. अडानी ग्रुप ने इन्हीं आरोपों पर कहा कि वह अपने किसी भी बंदरगाह पर ईरान से आने वाले किसी भी कार्गो को नहीं संभालता है.
इसमें ईरान से आने वाली कोई भी खेप या ईरानी झंडे के नीचे चलने वाला कोई भी जहाज शामिल हैं. समूह किसी भी ऐसे जहाज को सुविधाएं नहीं देता है, जिसके मालिक ईरानी हों. कंपनी के सभी पोर्ट पर इस नीति का कड़ाई से पालन किया जाता है.
भारतीय बाजार के सबसे बड़े प्राइवेट पोर्ट कारोबार का नेतृत्व करने वाले अडानी ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हिंडनबर्ग से लेकर रिश्वत देने तक के मामले में अमेरिका की जांच एजेंसी ने ग्रुप की नाक में दम किया हुआ है. ताजा मामला ग्रुप पर ईरान के खिलाफ लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और अमेरिका में इसे लेकर जांच शुरू होने से जुड़ा है, जिसे अडानी ग्रुप ने सिरे से खारिज कर दिया है. अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनियाद और नुकसान पहुंचाने की मंशा से की गई कार्रवाई बताने के बाद, देशी बाजार में जान में जान आ गई है। माना जा रहा है कि अडानी के पक्ष रखने के बाद अमेरिकी नीति-मंशा में बदलाव के भी आसार है।
