नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लड़की और आरोपी के बीच ‘प्रेम संबंध’ तथा कथित तौर पर ‘शादी से इनकार’ जैसे आधारों का पॉक्सो के मामले में जमानत के मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 और भादंसं (IPC) के तहत दर्ज मामले में एक आरोपी को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया.
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत के समक्ष सामग्री से प्रतीत होता है कि जब कथित अपराध हुआ था तो अपीलकर्ता की उम्र बमुश्किल 13 वर्ष की थी. इसने कहा कि इन दोनों आधारों का जमानत देने पर कोई असर नहीं पड़ेगा कि अपीलकर्ता (लड़की) और प्रतिवादी (आरोपी) के बीच ‘प्रेम संबंध’ थे तथा साथ ही कथित तौर पर शादी से इनकार करने वाली परिस्थितियां थीं. पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, ‘अभियोजन पक्ष की उम्र और अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता.’
शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि 27 जनवरी 2021 को रांची जिले के कांके थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी. प्राथमिकी में याचिकाकर्ता लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह नाबालिग थी तो आरोपी उसे एक आवासीय होटल में ले गया था और उसने शादी करने का आश्वासन देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए थे. उसने आरोप लगाया था कि आरोपी उससे शादी करने से इनकार कर रहा है और उसने उसके पिता को कुछ अश्लील वीडियो भेजे हैं.