कोलकाता : प्रणब भट्टाचार्य 22 जुलाई की सुबह 11:30 बजे हमेशा की तरह डायमंड सिटी साउथ में अपने ऑफिस पहुंचे. लेकिन यहां उन्हें पता चला कि उनकी नौकरी छूट गई है और इस महीने का वेतन नहीं मिलेगा. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लगभग 10 अधिकारियों को उनकी नियोक्ता (काम देने वाला) अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट में भेज दिया गया. पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाला मामले में मुखर्जी के स्वामित्व वाली संपत्ति पर प्रवर्तन निदेशालय की यह पहली छापेमारी थी. इसके बाद दो और अन्य संपत्तियों पर भी एजेंसी ने छापेमारी की, जहां से सोने के गहनों, दस्तावेजों और कोड लिखी डायरी के साथ लगभग 50 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए.
प्रणब भट्टाचार्य सात महीने से अर्पिता मुखर्जी के लिए ड्राइवर का काम कर रहे थे. अपने नियोक्ता अर्पिता मुखर्जी, जो कि तृणमूल कांग्रेस के बर्खास्त मंत्री पार्थ चटर्जी की सहयोगी है, दोनों की गिरफ्तारी के बाद भट्टाचार्य अपने भविष्य को लेकर सदमे की स्थिति में हैं. भट्टाचार्य सात महीने पहले नौकरी की तलाश में पार्थ चटर्जी के निर्वाचन क्षेत्र के कार्यालय में पहुंचे थे. उन्होंने मंत्री से मिलने की कोशिश में कई दिन बिताए और एक दिन उन्हें सफलता मिल ही गई. उसने चटर्जी को अपनी नौकरी की जरूरत के बारे में बताया और कहा कि वह एक ड्राइवर के तौर पर काम कर सकते हैं.
भट्टाचार्य ने न्यूज़18 को बताया, ‘कुछ दिनों बाद, मुझे सर के कार्यालय से फोन आया. फोन की दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने कहा कि सर मुझसे बात करेंगे. फिर पार्थ चटर्जी सर ने मुझे अगले दिन डायमंड सिटी साउथ में मिलने के लिए कहा. मेरे लिए यह एक बेहतरीन मौका था. मैंने नौकरी ज्वॉइन कर ली.’ भट्टाचार्य ने कहा कि उसने जनवरी में नौकरी करनी शुरू की और वह पिछले सात महीनों से अर्पिता मुखर्जी के लिए ड्राइविंग कर रहा है, खास तौर से उनके तीन सैलून में. भट्टाचार्य ने कहा कि मुखर्जी अक्सर काम के बाद पार्थ चटर्जी के घर जाया करती थीं. उसने कहा, ‘वह अपने पार्लर जाती थीं और काम के बाद, कभी-कभी पार्थ चटर्जी के घर जाती थीं. मैं चटर्जी के घर पर कार छोड़ कर अपने घर लौट जाता था.’
प्रणब भट्टाचार्य ने अर्पिता मुखर्जी को एक रिजर्व पर्सन बताया, जो यात्रा के दौरान भी फोन पर ज्यादा बात नहीं करती थीं. उसने खुलासा किया कि एक मर्सिडीज बेंज और एक अन्य होंडा सिटी मुखर्जी के आवास पर खड़ी रहती थी, लेकिन उन्होंने कभी भी उन कारों की चाबी उन्हें नहीं दी. उसने डायमंड सिटी साउथ में एक और फ्लैट में सिर्फ कुत्तों को रखने की बात भी कही. भट्टाचार्य ने कहा कि अर्पिता मुखर्जी जब अपनी मां और बहन के साथ शांतिनिकेतन घर आई थीं, तो उनके साथ पार्थ चटर्जी नहीं थे. जिस दिन उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई उसी दिन ईडी के अधिकारियों ने भट्टाचार्य को बालकनी में बैठने को कहा और उनका फोन भी उनसे छीन लिया गया. उन्होंने कहा कि जब नकदी खत्म हो गई तो वह ‘कांप’ रहे थे.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘ईडी के अधिकारी पैसे गिनने में व्यस्त हो गए इसलिए मैं भी पूरे एक दिन वहीं रहा. वे मैडम से सवाल कर रहे थे और मैडम परेशान लग रही थीं. मैं सदमे में हूं. यह कैसे संभव है… इतना पैसा?’ उनका मोबाइल फोन अभी भी ईडी के पास है. उनका कहना है कि उन्हें इसे लेने के लिए कहा गया था, लेकिन जब वह वहां गए, तो अधिकारी मौजूद नहीं थे. यह क्रूर विडंबना है कि अर्पिता मुखर्जी के घर से करोड़ों के नोट जब्त किए गए, लेकिन भट्टाचार्य को अभी तक उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया गया है और मामले को बदतर बनाने के लिए, उनकी नौकरी भी चली गई है. अपनी मां, पत्नी और परिवार की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए प्रणब को अब नई नौकरी की तलाश करनी होगी. अपनी बात को खत्म करते हुए उसने आखिर में कहा कि वह इस घटना को कभी नहीं भूलेगा.
